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दाल में काला है : फलियों में उगे थे मूंग, डोडों में कपास, फिर भी नहीं माना अकाल

8 तहसीलों में परबतसर से ज्यादा बारिश, फिर भी एक गांव अकालग्रस्त नहीं- खरीफ-2021 में फसल खराबे के बावजूद गांवों को अकालग्रस्त घोषित नहीं करने पर घिरी सरकार- जिले की मेड़ता, लाडनूं, डीडवाना, मूण्डवा, नावां, कुचामन, रियांबड़ी व डेगाना तहसीलों में वर्ष 2021 में परबतसर व जायल तहसील से ज्यादा हुई थी बारिश, फिर भी नहीं माना खराबा- लाडनूं व डीडवाना विधायकों ने विधानसभा में प्रश्न लगाकर मांगी जानकारी, अब जवाब देने में आ रहे पसीने

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Despite crop failure, villages are not declared famine-hit in Nagaur

Despite crop failure, villages are not declared famine-hit in Nagaur

श्यामलाल चौधरी
नागौर. जिले में खरीफ-2021 में जिले के सैकड़ों गांवों में अतिवृष्टि व बेमौसम बारिश से फसलें खराब होने के बावजूद जायल, परबतसर व मकराना तहसील के 396 गांवों में ही फसल खराबा माना गया है, जबकि नागौर के 8 व खींवसर के तीन गांवों को सूखे से प्रभावित मानते हुए कृषि आदान-अनुदान के लिए पात्र माना है। जबकि जिला प्रशासन के आंकड़े बता रहे हैं कि वर्ष 2021 में सबसे अधिक 947 एमएम बारिश ही मेड़ता तहसील में हुई थी, इसी प्रकार मूण्डवा, रियां बड़ी, लाडनूं, डीडवाना, कुचामन, नावां व डेगाना में भी जायल व परबतसर से अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई, इसके बावजूद आठों तहसील का एक भी गांव कृषि आदान अनुदान के लिए चयनित नहीं किया गया है, इससे प्रशासनिक अधिकारियों एवं राजस्व विभाग के कर्मचारियों की कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि बरसात से भीगने से न केवल मूंग की दाल काली हुई, बल्कि गांवों को अकालग्रस्त घोषित करने की प्रक्रिया में भी कुछ काला है। हालांकि दाल में काला की आशंका को देखते हुए जिले के लाडनूं व डीडवाना विधायकों ने विधानसभा में सवाल लगाकर जानकारी मांगी है, अब सरकार व राजस्व विभाग को जवाब देने में पसीना आ रहा है।
गौरतलब है कि खरीफ-2021 की सीजन में नागौर जिले की आधी से ज्यादा तहसीलों में अतिवृष्टि से तो नागौर व खींवसर जैसी तहसील में कम बारिश के कारण फसलें नष्ट हो गई थीं। मेड़ता, मूण्डवा, डेगाना, डीडवाना, रियां बड़ी आदि तहसीलों में फसलें पकने के समय हुई बारिश से मूंग, मोठ, कपास, बाजरा व ग्वार आदि की फसलें पूरी तरह खराब हो गई थीं। कई खेतों में मूंग की फसल भीगने से फलियों में ही मूंग के दानों का अंकुरण हो गया था, वहीं कपास की फसल भीगने से डोडों में ही कपास उग गई थीं। अतिवृष्टि से हुई तबाही के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व तत्कालीन राजस्व मंत्री हरिश चौधरी ने विशेष गिरदावरी के निर्देश दिए थे, ताकि प्रभावित किसानों को मुआवजा दिया जा सके, लेकिन राजस्व विभाग के कर्मचारियों एवं अधिकारियों ने नागौर तहसील के 8 व खींवसर के 3 गांवों को सूखे से प्रभावित माना और जायल, परबतसर व मकराना के 396 गांवों को अतिवृष्टि से प्रभावित माना। इससे अन्य तहसीलों के किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है।

आंकड़े बोल रहे हैं, गड़बड़ तो हुई है
जानिए, कहां कितनी बारिश हुई थी
तहसील - कुल बारिश
मेड़ता - 947
मकराना - 799
रियांबड़ी - 647
लाडनूं - 635
डेगाना - 620
डीडवाना - 617
नावां - 611
मूण्डवा - 600
कुचामन - 598
परबतसर - 546
जायल - 507
खींवसर - 454
नागौर - 429
- बारिश के आंकड़े मिलीमीटर में हैं।


प्रशासन ने 404 गांवों को ही माना अकालग्रस्त
सूखे से प्रभावित गांव :
- 50 प्रतिशत से अधिक और 75 प्रतिशत से कम खराबे वाले गांव - तहसील खींवसर के भोजास, सोननगर व झाडेली को शामिल किया।
- 33 प्रतिशत से अधिक व 50 प्रतिशत से कम खराबे वाले गांव - नागौर तहसील के अलाय, कुंकणों की ढाणी, धुंधवालों की ढाणी, नया गांव, बासनी बेहलीमा, हरीमा, सरासनी, पिथासिया को शामिल किया।

अतिवृष्टि से प्रभावित गांव :
- 75 से 100 प्रतिशत खराबे वाले गांव - परबतसर तहसील के 46 गांव
50 से 75 प्रतिशत खराबे वाले गांव - जायल तहसील के 142 गांव, मकराना तहसील के 133 गांव व परबतसर तहसील के 69 गांव शामिल।
- 33 से 50 प्रतिशत खराबे वाले गांव - मकराना तहसील के 5 तथा परबतसर तहसील का एक गांव शामिल है।


लाडनूं व डीडवाना विधायक ने लगाए प्रश्न
गौरतलब है कि वर्ष 2021 में जिले में औसत बारिश 600 मिलीमीटर दर्ज की गई थी, जबकि नागौर की औसत बारिश 369 एमएम है। ज्यादातर बारिश फसलें पकने के समय हुई, जिसके कारण भारी नुकसान हुआ। इसके बावजूद सरकार ने प्रभावित गांवों को अकालग्रस्त घोषित नहीं किया। इसको लेकर लाडनूं विधायक मुकेश भाकर ने विधानसभा में प्रश्न लगाकर सरकार द्वारा फसल खराबे के मुआवजे के लिए तय किए गए मापदंडों की जानकारी मांगी है। साथ ही यह भी पूछा है कि उक्त मापदंडों के तहत वर्ष 2020-21 व 2021-22 में विधानसभा क्षेत्र लाडनूं में कितने किसानों को फसल खराबे का मुआवजा मिला तथा कितने किसान वंचित रहे? साथ ही वंचित रहे किसानों को मुआावजा देने को लेकर सरकार का क्या विचार है?
इसी प्रकार डीडवाना विधायक चेतन सिंह चौधरी ने भी प्रश्न लगाकर पूछा कि क्या यह सही है कि वर्ष 2021 में नागौर जिले में किसानों की खरीफ की फसल 90 प्रतिशत तक खराब हो चुकी थी? यदि हां, तो क्या सरकार व बीमा कम्पनियों द्वारा किसानों को मुआवजा राशि दी गई है? विधायक ने तहसीलवार विवरण मांगा है। गौरतलब है कि न तो सरकार ने मुआवजा दिया है और न ही बीमा कम्पनी ने क्लेम दिया है।

मूंग को खरीदा तक नहीं
खरीफ-2021 में फसलें खराब होने के बावजूद न तो किसानों को कृषि आदान-अनुदान का भुगतान किया गया और न ही खराब हुए मूंग की समर्थन मूल्य पर खरीद की। गत वर्ष जिले में समर्थन मूल्य पर मूंग की 10 फीसदी खरीद भी नहीं हुई, इसका प्रमुख कारण बारिश के कारण मूंग का खराब होना रहा। यानी सरकार के पास इस बात की रिपोर्ट है कि मूंग बारिश से खराब हो गया, जिसके कारण किसानों को 7200 रुपए प्रति क्विंटल बिकने वाला मूंग 4 से 5 हजार रुपए प्रति क्विंटल बेचना पड़ा। साथ ही उत्पादन भी आधे से कम रहा। इसके बावजूद किसानों को राहत नहीं दी। गौरतलब है कि जायल के साथ खींवसर व मूण्डवा में भी मूंग, कपास, मोठ, ग्वार, बाजरा, ज्वार आदि की फसल पूरी तरह खराब हो गई थी।


गड़बड़ की है, मंत्री को पत्र लिखा है
खरीफ-2021 में फसल खराबे के बावजूद खींवसर, मूण्डवा सहित अन्य तहसीलों के गांवों में राजस्व विभाग ने 33 प्रतिशत से कम खराब बता दिया, जिसके कारण कृषि आदान अनुदान का लाभ किसानों को नहीं मिल पाया है। इसको लेकर मैंने आपदा एवं प्रबंधन मंत्री को पत्र लिखा है।
- नारायण बेनीवाल, विधायक, खींवसर