
नागौर. जिले में बिजली उपभोक्ताओं को सुचारू एवं गुणवत्तापूर्ण विद्युत आपूर्ति करने के लिए हर साल जीएसएस एवं बिजली लाइनों की मरम्मत पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन विभागीय अधिकारियों की अनदेखी व लापरवाही के चलते ठेकेदार धरातल पर काम ही नहीं करते हैं और लाखों रुपए के बिल उठ जाते हैं। डिस्कॉम में अधिकारियों की मिलीभगत से किए जा रहे सरकारी राशि के दुरुपयोग का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आधा दर्जन से ज्यादा अनियमितता के मामले अकेले दिशा कमेटी में चल रहे हैं, जिनमें किसी की जांच हो गई तो किसी में अधिकारी टालमटोल कर रहे हैं। इसमें मुख्य रूप से 33/11 केवी सब स्टेशनों की मरम्मत, बिजली लाइनों की मरम्मत, जीएसएस संचालन में अनियमितता, टेंडरों में सरकारी राशि का दुरुपयोग, बिजली टावर के फाउण्डेशन कार्य में अनियमितता जैसे मामले हैं। इसके अलावा कृषि कनेक्शन के ट्रांसफार्मर जलने पर दूसरा लगाने के टेंडर में बिना काम किए राशि उठाना, एफआरटी में निर्धारित संख्या से कम आदमी लगाना, जीएसएस पर तीन आईटीआई होल्डर कर्मचारी लगाने की जगह एक कार्मिक लगाकर तीन का भुगतान उठाना जैसे कई मामले हैं, जिनमें बड़े स्तर पर राजकोष का दुरुपयोग हो रहा है। ऐसा ही एक मामला मेड़ता खंड में पिछले चार साल से चर्चा में है, जिसकी जांच में गड़बड़ी साबित होने पर अधिकारियों ने केवल पेनल्टी वसूलकर इतिश्री कर ली, जबकि पिछले करीब एक साल से सांसद बेनीवाल ठेकेदार मैसर्स श्रीराम इलेक्ट्रीक एंड कंस्ट्रक्शन कम्पनी अड़वड़ के खिलाफ मामला दर्ज कराने के निर्देश दे रहे हैं।
एसई ने दुबारा भेजा रिमांइडर
गत 16 जुलाई को दिशा की बैठक में सांसद बेनीवाल ने डिस्कॉम एसई अशोक चौधरी को निर्देश दिए कि सरकारी राशि का दुरुपयोग, गबन व अनियमितता करने वाले ठेकेदार के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई जाए। जिसकी पालना में एसई चौधरी 17 जुलाई को मेड़ता एक्सईएन को पत्र लिखकर ठेकेदार के खिलाफ मामला दर्ज कराने के निर्देश दिए, लेकिन एक्सईएन ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद 11 सितम्बर को एसई ने दुबारा एक्सईएन को पत्र लिखकर निर्देश दिए कि ठेकेदार कम्पनी के खिलाफ मामला दर्ज करवाकर सूचित करें, लेकिन अब तक मामला दर्ज नहीं कराया गया है। इससे उनकी कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं।
अधिकारी शुरू से ही बचाव के मूड में
- मैसर्स श्रीराम इलेक्ट्रीक एंड कंस्ट्रक्शन कम्पनी अड़वड़ के खिलाफ सरकारी राशि का दुरुपयोग, गबन व अनियमितताओं की शिकायत मिलने पर दिशा कमेटी की बैठक में अध्यक्ष सांसद हनुमान बेनीवाल ने डिस्कॉम एसई को ठेकेदार के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने के निर्देश दिए। 13 जनवरी 2025 को हुई बैठक में एसई ने कहा कि मुकदमा करवाने का प्रावधान नहीं है। इस पर सांसद ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि राजकोष का दुरुपयोग करने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं करने की बात कहीं नहीं लिखी है, इसलिए 15 दिन में एफआईआर दर्ज करवाएं।
- इसके बाद 16 जुलाई 2025 को दुबारा आयोजित हुई दिशा की बैठक में डिस्कॉम ने पालना रिपोर्ट में बताया कि ठेकेदार कम्पनी की ओर से किए गए मेड़ता खंड के अधीन विभिन्न 33/11 केवी सब स्टेशनों के मेन्टीनेंस कार्यों की जांच के लिए गठित दल ने 24 लाख, 83 हजार, 530 रुपए की पेनल्टी आरोपित की थी। जिसमें से 11,99,424 रुपए 21 फरवरी 2022 को व 12,84,106 रुपए 28 दिसम्बर 2022 को ठेकेदार ने राजकोष में जमा करवा दिए। इसके बाद लीगल ओपिनियन ली तो पैनल अधिवक्ता ने बताया कि नुकसान की भरपाई होने व प्रकरण में काफी लम्बा समय हो जाने के कारण दांडिक कार्रवाई अमल में लाई जाना उचित नहीं रहेगा। इस पर सांसद बेनीवाल ने अधिकारियों को लताड़ लगाते हुए कहा कि ऐसे तो कोई भी व्यक्ति राजकोष का दुरुपयोग कर लेगा और फिर पता चलने पर वापस जमा करवा देगा। यह गंभीर मामला है, ठेकेदार के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई जाए।
- डिस्कॉम नागौर वृत्त के अधीक्षण अभियंता अशोक चौधरी ने 17 जुलाई व 11 सितम्बर 2025 को दो बार मेड़ता एक्सईएन को पत्र लिख दिए हैं, लेकिन अब तक ठेकेदार के खिलाफ मामला दर्ज नहीं कराया गया है।
एक्सईएन बोले - काहे का मुकदमा, फिर बोले सोमवार को देखेंगे
ठेकेदार कम्पनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने को लेकर डिस्कॉम के मेड़ता एक्सईएन रामजीवन जाखड़ से बात की पहले तो उन्होंने कहा, ‘ना, काहे का मुकदमा। फिर बोले किसका है?’ जब उनको बताया कि श्रीराम इलेक्ट्रीक एंड कंस्ट्रक्शन कम्पनी अड़वड़ का तो बोले - नहीं कराया, सोमवार को दखेंगे।
Published on:
14 Sept 2025 10:14 am
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