
Nagaur. Shravikas listening to discourses in Jaimal Jain Nursery
नागौर. जयगच्छीय जैन साध्वी बिंदुप्रभा ने सोमवार को जयमल जैन पौषधशाला में प्रवचन में कहा कि हर व्यक्ति को अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए। लक्ष्य निरर्थक एवं दिशाविहीन नहीं होना चाहिए। इच्छा एवं लक्ष्य में अंतर बताते हुए साध्वी ने कहा कि मात्र इच्छा रखने से ही मंजिल प्राप्त नहीं हो सकती। लक्ष्य प्राप्ति के लिए धैर्य, आत्मविश्वास, इच्छाशक्ति एवं सम्यक् पुरूषार्थ होना जरूरी है। एक आदर्श श्रावक देव दुर्लभ मनुष्य भव प्राप्त करने के बाद अपने चरम और परम लक्ष्य मोक्ष की प्राप्ति के लिए निरंतर प्रयत्नशील रहता है। जीवन में लक्ष्य का होना बहुत जरूरी है। लक्ष्य बिना जीवन निरर्थक है। लक्ष्य निर्धारित हुए बिना वह दिशाविहीन रहता है। लक्ष्य की प्राप्ति होना ही लक्ष्मी है। भौतिक जीवन हो या आध्यात्मिक जीवन, हर क्षेत्र में लक्ष्य होना जरूरी है। व्यापारी का लक्ष्य धन कमाना होता है जबकि एक आत्मार्थी का लक्ष्य मोक्ष की प्राप्ति करना। लक्ष्य की प्राप्ति पुरुषार्थ से सफल होती है। लक्ष्य कभी काल्पनिक नहीं होना चाहिए। लक्ष्य की पूर्ति जब तक ना हो तब तक पुरुषार्थ करते जाना चाहिए। असमय पर हुए कार्य की कोई महत्वता नहीं है। मनुष्य भव की प्राप्ति अपने चरम और परम लक्ष्य की प्राप्ति के लिए ही मिली है। एक श्रावक का लक्ष्य है मोक्ष की प्राप्ति। इसलिए अपना अमूल्य समय साथ में लगाना चाहिए।
प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता आयोजित
मोहित बोथरा के एकांतर की तपस्या के उपलक्ष्य में प्रवचन की प्रभावना, जय जाप की प्रभावना एवं प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत करने के लाभार्थी चांदमल, धर्मेंद्र, अनमोल, मोहित बोथरा थे। प्रवचन में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर ज्ञानचंद माली, सुनील ललवानी, रिया सोनी एवं पुष्पा ललवानी ने दिए। दोपहर में महाचमत्कारिक जयमल जाप का अनुष्ठान किया गया। आगंतुकों के भोजन का लाभ महावीरचंद, पारस भूरट ने लिया। इस मौके पर लीलादेवी बैद, संगीता ललवानी, वीणा बोहरा, सुनीता ललवानी आदि श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित थीं।
Published on:
09 Aug 2021 09:48 pm
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