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समर्थन मूल्य पर बाजरे की खरीद नहीं होने से आशंकित किसान, तो फिर होगा घाटा

जिले में बाजरे की तीन लाख 39 हजार 478 हेक्टेयर एरिया में बाजरे की हुई है बुवाई, सर्वाधिक बोई गई उपज में मूंग के बाद बाजरे का एरिया, समर्थन मूल्य घोषित होने से उत्साहित किसानों ने कर ली थी बाजरे की रिकार्ड बुवाई, अब खरीद नहीं हुई तो फिर उठाना पड़ेगा नुकसान, खुले बाजार की दर समर्थन मूल्य से कम होने पर बढ़ी परेशानी

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नागौर. जिले में समर्थन मूल्य पर पंजीकरण में केवल मूंग एवं उड़द को ही शामिल किया। जबकि बाजरा की बुवाई मूंग के बाद दूसरे नंबर पर हुई है। समर्थन मूल्य भी बाजरे का 1950 रुपए प्रति क्विंटल घोषित कर दिया गया था। इससे उत्साहित काश्तकारों ने बाजरा में इस बार जिले में रिकार्ड बुवाई की, मगर सरकार की ओर से इसकी खरीद शुरू नहीं किए जाने हजारों किसानों को करोड़ा घाटा होने की आशंकाएं अब सताने लगी है। जानकारों की माने तो खुले बाजार की दर घोषित समर्थन मूल्य की दर से कम होने के कारण बुवाई करने वाले किसान अब खुद को क्षला हुआ महसूस करने लगे हैं।
सरकार की ओर से समर्थन मूल्य पर मूंग के साथ बाजरे का भी समर्थन मूल्य घोषित किए जाने के बाद उत्साहित किसानों ने जिले भर में तीन लाख 39 हजार 478 हेक्टेयर एरिया में मूंग की बुवाई कर डाली। मूंग की बुवाई तीन लाख 99 हजार 780 हेक्टेयर में हुई। आंकड़ों में साफ है कि मूंग की बुवाई महज 60302 हेक्टेयर में ही ज्यादा है। अन्य में ज्वार, मोठ, चौला, मूंगफली, तिल, कपास एवं ग्वार आदि रबी उपज की बुवाई इन दोनों से काफी कम रही। किसानों ने केवल मूंग एवं बाजरे की रिकार्ड बुवाई समर्थन मूल्य का लाभ मिलने की नीयत से की, लेकिन अब तक खरीद इसकी नहीं शुरू किए जाने पर काश्तकारों में निराशा है। स्थिति यह है कि वर्तमान सर्वाधिक आने वाली उपज में इस बाजरे की उपज ही नजर आ रही है। काश्तकारों के अनुसार खुले बाजार में बाजरे की दर घोषित समर्थन मूल्य की दर से औसतन निम्नतर स्थिति हैं। काश्तकारों को औसतन 100 रुपए में से केवल 35 रुपए ही मिल रहे हैं। ऐसा काश्तकारों का कहना है। समर्थन मूल्य पर इसकी खरीद शुरू कर दिए जाने पर निश्चित रूप से किसानों को प्रति क्विंटल बेहतर राशि का लाभ मिल जाता।