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नागौर

इंसानियत पर कमाई भारी, मानवता हारी…! 500 रुपए किराया मांगा तो दिव्यांग बेटे को व्हील चेयर पर बैठा रवाना हो गया पिता

दिव्यांग के पिता हरी तांती झारखंड के मिर्जा चौकी में सब्जी बेचने का काम करते हैं

नागौरMay 14, 2024 / 12:39 pm

Rakesh Mishra

तस्वीर में जिन्हें आप देख रहे हैं ये है झारखंड निवासी हरी तांती। जो अपने 14 साल के दिव्यांग बेटे जसविंदर सिंह को रेण से 19 किमी दूर बुटाटी धाम व्हील चेयर पर लेकर जा रहे हैं। आखिरी ऐसी क्या नौबत आ गई…। यह सब कुछ हुआ पैसे नहीं होने की वजह से। सुबह-शाम रेण से बुटाटी के बीच दौड़ने वाले टैक्सी चालकों की ओर से इस सवारी से 500 रुपए मांगे गए, लेकिन इतनी राशि नहीं होने की वजह से एक पिता अपने दिव्यांग बेटे को लेकर पैदल ही बुटाटी के लिए रवाना हो गया, लेकिन किसी ने भी मानवीयता नहीं दिखाई कि उन्हें बिना किराए के बुटाटी धाम मंदिर तक छोड़ सके। अगर इतने टैक्सी चालकों में से कोई एक भी इन्हें बिना किराया लिए छोड़ देता तो उनका कोई बड़ा नुकसान नहीं हो जाता। रेण से बुटाटी पैदल जाते मजबूर पिता और उनके दिव्यांग बेटे की यह तस्वीर मानवता पर एक तमाचा है।

सुबह 10.30 बजे करीब पहुंचे बुटाटी धाम

रेण से 6 बजे रवाना होने के बाद साढ़े 4 घंटे पैदल चलकर हरी तांती अपने दिव्यांग पुत्र को व्हील चेयर से बुटाटी लेकर पहुंचा। उल्लेखनीय है कि दिव्यांग के पिता हरी तांती झारखंड के मिर्जा चौकी में सब्जी बेचने का काम करते हैं। दिन में जो देहाड़ी बनती है उसी से परिवार का पालन-पोषण करते हैं। उनके 2 लड़कियां और 2 लड़के हैं। जिनमें से सबसे बड़ा पुत्र पक्षाघात पीड़ित है।
झारखंड राज्य के साहिबगंज जिला अंतर्गत मिर्जा चौकी निवासी हरी तांती ने बताया कि उसका पुत्र जसविंदर सिंह पैरों से लकवाग्रस्त है। मैंने राजस्थान के बुटाटी धाम के बारे में सुना था तो वहां आने का सोचा। मैं रविवार शाम साढ़े 7 बजे लीलण सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन में रेण रेलवे स्टेशन पर उतरा। बुटाटी जाने के साधन के बारे में जानकारी ली तो टैक्सी चालकों ने 500 रुपए किराया बताया। जो मेरे पास नहीं था। फिर मैं बेटे को लेकर रेलवे बस स्टैंड पर ही सो गया। रुपए का जुगाड़ नहीं होने से सुबह 6 बजे मैं व्हील चेयर पर बेटे को बैठाकर रवाना हो गया।

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