सुबह 10.30 बजे करीब पहुंचे बुटाटी धाम
रेण से 6 बजे रवाना होने के बाद साढ़े 4 घंटे पैदल चलकर हरी तांती अपने दिव्यांग पुत्र को व्हील चेयर से बुटाटी लेकर पहुंचा। उल्लेखनीय है कि दिव्यांग के पिता हरी तांती झारखंड के मिर्जा चौकी में सब्जी बेचने का काम करते हैं। दिन में जो देहाड़ी बनती है उसी से परिवार का पालन-पोषण करते हैं। उनके 2 लड़कियां और 2 लड़के हैं। जिनमें से सबसे बड़ा पुत्र पक्षाघात पीड़ित है। झारखंड राज्य के साहिबगंज जिला अंतर्गत मिर्जा चौकी निवासी हरी तांती ने बताया कि उसका पुत्र जसविंदर सिंह पैरों से लकवाग्रस्त है। मैंने राजस्थान के बुटाटी धाम के बारे में सुना था तो वहां आने का सोचा। मैं रविवार शाम साढ़े 7 बजे लीलण सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन में रेण रेलवे स्टेशन पर उतरा। बुटाटी जाने के साधन के बारे में जानकारी ली तो टैक्सी चालकों ने 500 रुपए किराया बताया। जो मेरे पास नहीं था। फिर मैं बेटे को लेकर रेलवे बस स्टैंड पर ही सो गया। रुपए का जुगाड़ नहीं होने से सुबह 6 बजे मैं व्हील चेयर पर बेटे को बैठाकर रवाना हो गया।