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पांच सौ साल बाद भी नहीं सुलझी मीरां बाई के जन्म की गुत्थी

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पांच सौ साल बाद भी नहीं सुलझी मीरां बाई के जन्म की गुत्थी

भक्त शिरोमणि मीरां बाई के जन्म स्थान को लेकर मतभेद
रुद्रेश शर्मा / राधेश्याम शर्मा
नागौर / मेड़तासिटी. नागौर जिले के मेड़तासिटी में हाल ही में 514वें महोत्सव का आयोजन हुआ है। पांच सौ बरस बाद आज भी भक्त शिरोमणि मीरा बाई के जन्म की गुत्थी अनसुलझी है। मीरा का जन्म कहां और कब हुआ था? इसे लेकर ज्यादातर इतिहासकार एकमत नहीं हैं। किताब और लेखों में मीरा के जन्म स्थान अलग-अलग बताए गए हैं। इनमें मुख्य मेड़ता और कुडक़ी को लेकर अलग-अलग मत है। कुछ जगह चौकड़ी और बाजोली गांव को भी मीराबाई का जन्म स्थान बताया जाता है।

मेड़ता के राजपरिवार में जन्मी मीरा बाई

मीरा बाई मेड़ता के राजपरिवार में जन्मी थी, इसलिए सबसे पहला दावा यही किया जाता है कि मीराबाई मेड़ता में जन्मी थीं। शायद इसीलिए सरकारी रिकॉर्ड में भी इसे ही तरजीह दी जाती है। मीरा बाई के जन्म स्थान का दूसरा दावा कुडक़ी का है। इसके पीछे दलील यह कि मीरा के पिता रतन सिंह मेड़ता के शासक दूदा के चौथे पुत्र थे और कुडक़ी गांव उन्हें जागीर में मिला था, सो मीरा का जन्म भी वहीं हुआ। कई लेखों में जोधपुर रियासत के चौकड़ी गांव को मीरा बाई का जन्म स्थान लिखा गया है तो कहीं बाजोली गांव को मीरा बाई का जन्म स्थान बताया गया है।

विद्वानों ने स्वीकार किए मतभेद
मीरा के जन्म स्थान को लेकर राजस्थान पत्रिका ने कुछ संदर्भ खंगाले, लेकिन कहीं भी कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला। जोधपुर के जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में राजस्थानी के विभागाध्यक्ष रहे प्रो.कल्याण सिंह शेखावत की पुस्तक मीरां बाई ग्रांथवली- प्रथम में मीरा की जीवनी को लेकर मतभेदों को स्वीकार किया गया है। मीरा बाई के जीवनवृत्त पर पुनर्विचार में उन्होंने लिखा है कि मध्ययुगीन भक्त कवयित्री मीरा बाई पर अनेक अध्ययनकर्ताओं ने अपने शोधपूर्ण विचार रखे, लेकिन इस सर्वोत्कृष्ट भक्त कवयित्री का जीवनवृत्त अद्यावधि इतिहास और साहित्य के लिए उलझन बना हुआ है।

मीरा का जन्म स्थान बाजोली

शेखावत ने अपनी इस पुस्तक में लिखा है कि मीरा का जन्म स्थान तत्कालीन जोधपुर राज्य का बाजोली गांव है। ना कि कुडक़ी या चौकड़ी, जैसा कि प्रसिद्ध है। इस कथन के पक्ष में उनका दावा है कि मीरा बाई के पिता रतनसी दूदावत (रतन सिंह) को जागीर में 12 गांव मिले थे। इनमें कुडक़ी व बाजोली दोनों प्रमुख गांव थे। लेकिन मीरा बाई के जन्मोत्सव के समय तक रतनसी बाजोली में ही रहा करते थे। जोकि उस समय धान की मंडी के रूप में प्रसिद्ध था।

..to be continued