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VIDEO…रामदेव पशु मेला में परंपरागत भारतीय खेलों की प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए आते थे विदेशी सैलानी…….

रामदेव पशु मेला मे पहले हुआ करती थी कबड्डी, रस्साक्सी, मटका फोड़ आदि की प्रतियोगिताये, विदेशी भी इसमें बड़ेचाव से होते थे शामिल

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Nagaur news

Foreign tourists used to come to Ramdev Cattle Fair to participate in traditional Indian sports competitions

-कोविड के दौरान बंद हुई तो फिर दोबारा अब तक चालू नहीं हो पाई, मेला प्रशासन ने भी नहीं ली दिलचस्पी
-परम्परागत भारतीय खेलो मे भाग लेने के साथ भारतीय संस्कृति व परम्परा से जुड़ाव करते थे महसूस विदेशी सैलानी
-पशु मेला आयोजन में फिर से खेलों का आयेाजन हो तो फिर बढ़े रामदेव पशु मेला का क्रेज
नागौर. रामदेव पशु मेला में पिछले पांच सालों से परंपरागत खेल पूरी तरह से गायब रहे हैं। इसका मेला पर प्रतिकूल असर पड़ा है। बताते हैं कि पांच साल पहले यहां पर कबड्डी, रस्साकसी, मटका फोड़ एवं तीन टांग दौड़ आदि की प्रतियोगिताएं हुआ करती थी। इसमें विदेशी सैलानी भी भाग लेते थे। इनको देखने के लिए पशु मेला में लोगों की भारी भीड़ उमड़ती थी। कोविड-19 की त्रासदी से उबरने के बाद पशु मेला का तो फिर से पहले की तरह ही आयोजन होने लगा, लेकिन इन परंपरागत खेलों को आयोजन नहीं कराया गया। इसकी वजह से भी स्थानीय लोगों के साथ ही विदेशी सैलानियों का भी मेला से मोह भंग होने का पूरा असर इस मेले पर पड़ा है।
मिली जानकारी के अनुसार रामदेव पशु मेला पिछले तकरीबन पंद्रह सालों से स्थानीय लोक संस्कृति को उजागर करने के साथ ही विदेशी सैलानियों को भी मेले से जोड़े रखने के लिए हर साल विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता रहा। इन प्रतियोगिताओं में कई बार तो विदेशी सैलानियों के बीच ही प्रतिस्पर्धा होती थी, तो कई प्रतियोगिताओं में देशी एवं विदेशी, दोनों ही के खिलाड़ी शामिल होते थे। ऐसे आयोजनों को देखने के लिए रामदेव पशु मेला में काफी भीड़ उमड़ती थी। हार-जीत की भावना से इन परंपरागत खेलों को खेलने वाले विदेशी सैलानी भी इससे रामदेव पशु मेला से अपना जुड़ाव महसूस करने लगे थे। बताते हैं कि केवल ऐसी खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए ही विदेशी सैलानी यहां मेला मैदान में पहुंच जाते थे। इनके आयेाजनों में शिक्षा विभाग, पर्यटन विभाग एवं पशु पालन आदि संयुक्त रूप से अपनी सहभागिता करते थे। अब मेला के घटते क्रेज के साथ ही यहां पर आने वाले सैलानियों की प्रतिवर्ष कम होती संख्या को ध्यान में रखते हुए इस प्रकार के आयोजन से फिर से आवश्यकता महसूस की जाने लगी है। इस संबंध में पशुपालन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि खेल विभाग परंपरागत खेलों का आयेाजन आदि कराए जाने के लिए प्रयास करने के साथ ही विभाग से संपर्क करेगा तो उनको हरसंभव सहयोग किया जाएगा।
मेला मैदान में जुटती थी भीड़
बताते हैं कि पूर्व के वर्षों में मेला में परंपरागत खेलों की प्रतियोगिता में विदेशी सैलानियों के साथ प्रतियोगिता के रोमांचक क्षणों का हिस्सा बनने के लिए स्थानीय लोगों के साथ ही आसपास के शहर एवं ग्रामीण क्षेत्रों से भी लोग यहां पर पहुंचते थे। इसके चलते न केवल मेला मैदान में आमजन की भारी भीड़ एकत्रित होती थी, बल्कि मेला एवं मेला के आसपास लगी स्टॉलों पर भी जमकर खरीदारी होती थी। इसकी वजह से मेला में चहल-पहल बढ़ जाती थी। मेला प्रशासन को तो राजस्व मिलता ही था, बल्कि दुकानदारों की भी अच्छी आय हो जाती थी। यही वजह रही कि पहले मेला मैदान के अंदर दुकानों को लेने के लिए दुकानदारों में होड़ लगी रहती थी। अब ऐसा नहीं रहा। ऐसे में पशु पालन विभाग इन आयोजनों के लिए प्रयास करता है तो निश्चित रूप से रामदेव पशु मेला के घटते क्रेज पर लगाम लग सकती है।
खेल विभाग पूरा सहयोग करेगा
जिला स्टेडियम के खेल अधिकारी सोहनलाल गोदारा से बातचीत हुई तो उनका कहना है कि रामदेव पशु मेला में सांस्कृतिक एवं सामाजिक विशेषताओं को उजागर करने वाली खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन निश्चित रूप से होना चाहिए। इसका आयोजन कम से कम तीन दिनों तक लगातार होना चाहिए। विदेशी सैलानियों के साथ ही स्वदेशी खिलाडिय़ों को जोड़ते हुए परस्पर प्रतियोगिताओं का आयेाजन कराया जा सकता है। इसका निश्चित रूप से रामदेव पशु मेला पर केवल एक सकारत्मक असर पड़ेगा, बल्कि विदेशी सैलानी भी भारतीय सांस्कृतिक विशेषताओं से जुड़ाव महसूस कर सकेंगे।
फिर से होनी चाहिए प्रतियोगिताएं
पूर्व जिला खेल अधिकारी भंवरराम सियाग का कहना है कि वह पिछले पंद्रह सालों से खुद के स्तर पर प्रयास कर रामदेव पशु मेला में कबड्डी, रस्साकसी एवं मटका फोड़ आदि की प्रतियोगिताएं कराते रहे हैं। इसमें विदेशी सैलानी जमकर भाग लेते थे। अब कोविड-19 के संक्रमण के चले दौर के बाद आयोजन कराए जाने की शृंखला ही थम गई। इसे फिर से शुरू कराना चाहिए। इससे न केवल मेला को प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि विदेशी सेलानियों में भी इसका क्रेज बढ़ेगा। सियाग ने कहा कि वह खुद के स्तर पर शिक्षा विभाग, पर्यटन विभाग आदि से संपर्क कर इसमें शामिल खिलाडिय़ों को सम्मानित भी कराते थे। फिर से ऐसे आयोजन शुरू होते हैं तो फिर वह इसमें आज भी पूरा सहयोग करने के लिए तैयार हैं।