
Government opens the funeral of unclaimed dead bodies
देवेन्द्र प्रताप सिंह/नागौर. दुनिया में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो पूरा जीवन संघर्ष में जीते हैं और मरने के बाद उनके शव को भी अंतिम संस्कार के लिए तरसना पड़ता है। कुछ मानसिक विक्षिप्त होते है, जिन्हें दुनियादारी से कोई लेना-देना नहीं होता। मानसिक रूप से कमजोर होने के कारण कई बार ऐसे लोग घर से कहीं दूर निकल जाते हैं। कई बार उनकी हादसे में मौत होने पर शव को अग्नि देने वाले भी नहीं मिलते। ऐसे शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए प्रशासन को स्वयं सेवी संस्थाओं और दानदाताओं का सहयोग लेना पड़ता है। अब ऐसा नहीं होगा। राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी जिलों में लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए 1 करोड़ 43 लाख का बजट जारी किया है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की अंत्येेष्टि अनुदान योजना के तहत प्रत्येक शव की अंत्येेष्टि पर ५ हजार रुपए खर्च किए जाएंगे। विभाग ने इसकी कवायद शुरू कर दी है।
इन जिलों को जारी किया बजट
राज्य सरकार ने जयपुर शहर, भरतपुर, उदयपुर , अजमेर , कोटा व जोधपुर जिले के लिए ५-५ लाख रुपए का बजट जारी किया है। जबकि जयपुर ग्रामीण, अलवर, दौसा, सीकर, झुंझुनूं, श्रीगंगानगर, चुरू, हनुमानगढ़, टोंक, भीलवाड़ा, बारां, बूंदी, झालावाड़, डूंगरपुर, राजसमंद, बांसवाड़ा, चित्तौडग़ढ़ व नागौर जिले सहित शेष सभी जिलों के लिए ४-४ लाख रुपए का बजट जारी किया गया है।
विभाग दिखा रहा सुस्ती
सरकार लावारिस व निराश्रित शवों को सम्मान देने के लिए अंत्येेष्टि अनुदान योजना पर लाखों रुपए खर्च कर रही है, वहीं सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अधिकारी इस योजना की क्रियान्विति को लेकर सुस्त हैं। अन्य जिलों में योजना की क्रियान्विति को लेकर प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है, लेकिन नागौर जिले में विभाग द्वारा संस्थाओं के चयन को लेकर बैठक तक आयोजित नहीं की है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की सहायक निदेशक पिंकी गौड़वाल से इस संबंध में जानकारी मांगी गई तो उन्होंने कहा कि लावारिस शवों के अंतिम संस्कार के लिए संस्थाओं का चयन किया जाना है, लेकिन फिलहाल इसमें कुछ नहीं हो पाया है।
Published on:
28 Oct 2017 11:26 am
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