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यहां माता रानी खतरे से पहले दे देती है आवाज

-गांव में आने वाली बीमारी या फिर किसी अन्य खतरे से पहले शीतला माता दे देती आवाज, सैकड़ों वर्ष पुराने पाटण डूंगरी माताजी मंदिर से जुड़े है चमत्कारों के किस्से

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Didwana Dungri Mata Temple News

डीडवाना. पाटण डूंगरी पर स्थित माता का मंदिर।

डीडवाना. शहर से कुछ दूरी पर स्थित पाटण डूंगरी माताजी मंदिर के चमत्कारों के कई किस्से हैं जो श्रद्धालुओं द्वारा कहे जा रहे हैं। मंदिर कितने वर्ष पुराना है या फिर कब-कैसे बना इसके बारे में सटीक जानकारी तो नहीं है, लेकिन गांव में रहने वाले लोगों के अनुसार सैकड़ों वर्ष पूर्व माता की प्रतिमा डूंगरी के अंदर से प्रकट हुई थी। जिसके बाद यहां पर माता का छोटा सा मंदिर बना दिया गया। कहा जाता है कि बरसों पूर्व गांव में जब कोई समस्या आने वाली होती तो माता रानी आवाज देकर ग्रामीणों को सचेत कर देती थी। कुछ बरस पहले डूंगरी को नष्ट करने का प्रयास करने वाले व्यक्ति के साथ क्या हुआ और किस प्रकार से उसी व्यक्ति ने डूंगरी पर माता का मंदिर बनवाया का किस्सा भी माता के मंदिर से जुड़ा हुआ है। मान्यता तो यह भी है कि किसी की आंखो की रोशनी यदि कमजोर हो और वह मंदिर में चांदी की बनी आंखे चढ़ावे के रूप में माता को भेंट करे तो आंखों की रोशनी बढ़ जाती है। किस्सों की सच्चाई क्या है और किस हद तक सही है इसके बारे में मंदिर के पुजारी व गांव के लोग पूरा विश्वास प्रकट करते हैं। यहां पर प्रतिवर्ष शीतला अष्टमी के दिन मेले का आयोजन भी होता है। जिसमें आसपास के ही नहीं बल्कि दूर दराज के अनेक श्रद्धालु आते हैं। मंदिर के चमत्कारों के बारे में सुनने के बाद पत्रिका टीम पाटण डूंगरी मंदिर व पाटण गांव में पहुंची।

सावधान हो जाओ खतरा आ गया है
पत्रिका टीम से बात करते हुए मंदिर के पुजारी व ग्रामीणों ने बताया कि बरसों पूर्व डूंगरी पर माता की प्रतिमा प्रकट हुई। बताया जाता है कि पूर्व डकैत या बदमाश या फिर कोई बीमारी का असर गांव में होने वाला होता तो डूंगरी से आवाज आ जाती, जिसके बाद ग्रामीण सावधान हो जाते और लूटपाट की घटना से गांव वालों की रक्षा हो जाया करती थी। कहा यह भी जाता है कि इस बात से खफा होकर किसी बदमाश ने माता की प्रतिमा को खंडित कर दिया था, जिसके बाद मूर्ति से आवाज आना बंद हो गया।

50 बरस पुरानी घटना भी कम चमत्कारी नहीं
लगभग 50-60 साल पूर्व पास ही हो रहे एक सरकारी निर्माण कार्य के दौरान संवेदक (ठेकेदार) द्वारा डूंगरी से पत्थर तोड़े जाने लगे। गांव वालों के विरोध करने पर भी काम रुका नहीं। बताया जाता है कि ठेकेदार के परिवार में लगातार अनिष्ट होने लगा। डूंगरी पर काम कर रहे मजदूरों की आंखो की रोशनी भी चली गई तो ठेकेदार को माता के चमत्कार का पता चला। जिसके बाद ठेकेदार की ओर से एक नई मूर्ति मंदिर में लगवाते हुए यहां पर मंदिर का निर्माण करवाया गया।

इनका कहना-
मंदिर बरसों पुराना है। पूराने समय में जब गांव में चोर-डाकू या बीमारी आने वाली होती तो माता आवाज लगाती व गांव वाले सचेत हो जाते। 70-72 वर्ष पहले लाडनू सडक़ मार्ग बनाने वाले ठेकेदार ने डूंगरी से पत्थर निकलवा लिए थे। जिसका मियाजा ठेकेदार व मजदूरों को भुगतना पड़ा। गलती का अहसास होने के बाद ठेकेदार ने यहां पर मंदिर का निर्माण करवाया। नवरात्री में यहां पर धार्मिक आयोजन होते हैं। अष्टमी के समय दो दिवसीय मेले का आयोजन भी होता है।
विनोद शर्मा, पुजारी

यहां की मूर्ति जमीन से निकली हुई है। बरसों पहले जब किसी प्रकार की बीमारी या संकट गांव में आने वाला होता तो माता आवाज लगाते हुए सचेत कर देती। पचास बरस पहले पूर्व हाईवे निर्माण के दौरान ठेकेदार ने डूंगरी से पत्थर निकालने शुरू कर दिए। ठेकेदार का परिवार खत्म होने लगा, मजूदरों की आंखों की रोशनी जाने लगी व माता के संकेत के बाद ठेकेदार ने यहां पर मंदिर का निर्माण करवाया। आंखों की बीमारी होने पर श्रद्धालु मंदिर में चांदी की आंखें चढाते हैं, जिसके बाद बीमारी ठीक हो जाती है।
श्रवणसिंह, ग्रामीण