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गोवंश की ‘नागौरी नस्ल’ को जीवित रखना है तो चाहिए ‘मालगाड़ी’

- राज्य स्तरीय पशु मेले में बिकने वाले पशुओं के परिवहन के लिए चाहिए ट्रेन की स्वीकृति - प्रदेश में सबसे अधिक गोवंश और गोशाला वाला जिला है नागौर - खेती में उपयोगिता कम होने से किसान के बाड़े से गोशाला पहुंच गई गाय

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प्रदेश में सबसे अधिक गोवंश और गोशाला वाला जिला है नागौर

प्रदेश में सबसे अधिक गोवंश और गोशाला वाला जिला है नागौर

नागौर. प्रदेश में सबसे अधिक गोवंश नागौर जिले में हैं। गोशालाओं की संख्या भी सबसे अधिक नागौर जिले में हैं। भरतपुर, कोटा व उदयपुर तीनों संभाग में मिलाकर जितनी गोशालाएं और गोवंश हैं, उससे ज्यादा अकेले नागौर जिले में हैं। संभागवार देखें तो जयपुर संभाग से भी ज्यादा गोशालाएं व गोवंश नागौर में हैं। जल्द ही इनकी ओर ध्यान नहीं दिया तो प्रदेश ही नहीं देशभर में अपनी विशेष पहचान रखने वाले 'नागौरी नस्ल' के गोवंश को बचा पाना मुश्किल हो जाएगा। हाईकोर्ट की ओर से तीन वर्ष तक के बछड़ों के परिवहन पर लगाई गई रोक के बाद जिले में आयोजित होने वाले तीन राज्य स्तरीय पशु मेलों (नागौर, परबतसर व मेड़ता) का दायरा सिमटता जा रहा है और गोवंश किसान के बाड़े से गोशाला में पहुंचने लगा है।

जिले में जितना गोवंश किसानों के पास है, उतना ही गोशालाओं में पल रहा है। स्थानीय स्तर पर खेती में नर गोवंश की महत्ता खत्म होने तथा दूसरे राज्यों में ले जाते समय रास्ते में आने वाली परेशानियों के कारण व्यापारियों ने भी मुंह मोडऩा शुरू कर दिया है। ऐसे में यदि पशु मेलों के दौरान पशु परिवहन के लिए 'मालगाड़ी' चलाई जाए तो ही विश्व स्तर पर अपनी पहचान रखने वाले जिले के तीनों राज्य स्तरीय मेलों को जीवित रखकर गोवंश की नागौरी नस्ल को भी बचाया जा सकता है। हालांकि पिछले चार -पांच साल में प्रशासनिक अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों के स्तर पर 'मालगाड़ी' चलाने के प्रयास किए गए, लेकिन वो प्रयास मेले के समय ही करने से सफल नहीं हो पाए। यदि अभी से नागौर के रामदेव पशु मेले के लिए ट्रेन चलाने के प्रयास शुरू हो तो सफलता मिल सकती है।

नागौर में गोशालाएं व गोवंश की स्थिति

कुल गोशाला -685

गोशालाओं में कुल गोवंश - 2,08,648

अजमेर संभाग में कुल गोशाला - 836

अजमेर जिला - 53

टोंक जिला - 42

भीलवाड़ा जिला - 56

प्रदेश में संभागवार पंजीकृत गोशाला/नंदीशाला/कांजी हाउस

संभाग - गोशाला - 3 साल से बड़े गोवंश - 3 साल से छोटे गोवंश - कुल गोवंश

अजमेर - 831 - 1,95,848 - 46,917 - 2,42,765

भरतपुर - 68 - 18,144 - 4,340 - 22,484

बीकानेर - 810 - 2,55,841 - 69,457 - 3,25,298

जयपुर - 626 - 1,17,232 - 29,873 - 1,47,105

जोधपुर - 1036 - 3,32,529 - 91,303 - 4,23,832

कोटा - 149 - 32,264 - 8,760 - 41,024

उदयपुर - 116 - 18,990 - 6,445 - 25,435

कुल - 3636 - 9,70,848 - 2,57,095 - 12,27,943

प्रदेश का 17 प्रतिशत गोवंश नागौर में

प्रदेश में कुल 3636 पंजीकृत गोशलााएं, नंदीशालाएं व कांजी हाउस हैं, जिनमें 12 लाख 27 हजार 943 गोवंश हैं, जबकि नागौर जिले में 2 लाख, 8 हजार 648 गोवंश 685 गोशलाओं में हैं। यानी प्रदेश के 33 जिलों की गोशलाओं में जो गोवंश है, उसका 17 प्रतिशत अकेले नागौर जिले में हैं।

पहले भी हुए प्रयास, लेकिन सफल नहीं रहे

गौरतलब है कि नागौर के रामदेव पशु मेले के दौरान पशु परिवहन के लिए ट्रेन चलाने को लेकर पूर्व में भी प्रयास किए गए, लेकिन सफल नहीं हो पाए। वर्ष 2017 में मालगाड़ी छापरी तक पहुंच गई और बैलों को नागौर रेलवे स्टेशन तक ले आए, ऐनवक्त पर यूपी सरकार ने हाथ खड़े कर दिए। इसके बाद वर्ष 2018 व 2019 में भी सांसद हनुमान बेनीवाल ने प्रयास किए, लेकिन व्यापारियों ने ट्रकों को किराए के लिए बुक कर लिया। इस बार मेले से पहले यदि प्रयास किए जाएं और ट्रेन की स्वीकृति मिल जाए तो व्यापारी भी अधिक आएंगे और मेले की रंगत भी अलग होगी।

पूरे प्रयास करेंगे

नागौर के रामदेव पशु मेले से बैल खरीदकर ले जाने वाले व्यापारियों के लिए हमने पहले भी प्रयास किए थे। मेले हमारी सांस्कृतिक धरोहर है और पशुपालन आजीविका का साधन भी, इसलिए मेलों को बचाना आवश्यक है। इस बार मेले से पूर्व रेल मंत्री व सम्बन्धित अधिकारियों से बात कर ट्रेन चलवाने का प्रयास करेंगे, ताकि बाहरी राज्यों से आने वाले पशु व्यापारियों को रास्ते में बैल ले जाने पर कोई असुविधा नहीं हो तथा किराया भी कम चुकाना पड़े।

- हनुमान बेनीवाल, सांसद, नागौर