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नए सत्र में 241 दिन ही खुलेंगे शिक्षण संस्थान

निदेशालय की ओर से शिविरापंचांग जारी

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Nagaur patrika

Guinani school again operated in single innings

नागौर. शिक्षा विभाग ने नए शिक्षा सत्र 2018-19 के लिए शिविरा पंचांग जारी कर दिया। पंचांग के अनुसार इस शैक्षिक सत्र में स्कूल संचालन केवल 241 दिन ही होगा। इसमें भी अपरिहार्य कारणों से स्कूलों के बंद रहने की स्थिति आई तो यह अवधि और भी कम हो सकती है। शिक्षा अधिकारियों के अनुसार सरकारी एवं निजी शिक्षण संस्थानों का संचालन इसी पंचांग के अनुसार किया जाएगा। नए सत्र में एक जुलाई 2018 से 30 जून, 019 तक केवल 241 दिन ही स्कूलें लगेंगी। इसमें भी 53 रविवार व 71 अवकाश होंगे। माध्यमिक कक्षाओं में प्रवेश 15 जुलाई तक होगा। पांचवीं कक्षा तक के विद्यार्थी सत्र के दौरान कभी भी प्रवेश ले सकते हैं। स्कूलों में मध्यावधि अवकाश 29 अक्टूबर से नौ नवंबर तक और शीतकालीन अवकाश 15 दिसंबर 2018 से सात जनवरी 2019 तक रहेंगे। ग्रीष्मावकाश दस मई से 18 जून 2019 तक होंगा। जिला स्तर पर शैक्षिक सम्मेलन 28-29 सितंबर और राज्य स्तर पर 26-27 अक्टूबर को होंगे। जिला स्तरीय प्राथमिक स्कूल खेलकूद प्रतियोगिता 25 से 27 सितंबर के बीच होगी। नया सत्र 2019-20 एक मई से शुरू होगा।
शिक्षा विभाग का यह रहेगा परीक्षा कार्यक्रम
प्रथम परख 16 से 18 अगस्त
द्वितीय परख 11 से 13 अक्टूबर
अद्र्धवार्षिक परीक्षाएं 11 से 24 दिसंबर
तृतीय परख 11 से 13 फरवरी, 2019
वार्षिक परीक्षाएं 10 से 25 अप्रेल, 2019
इनका कहना है...
& नए शिक्षआ सत्र का शिविरा पंचांग घोषित कर दिया गया है। इसमें उल्लिखित जानकारियां नोडल प्रभारी व ब्लॉक शिक्षाधिकारियों को दी जा चुकंी है। इसके अनुसार ही स्कूलों का संचालन किया जाएगा।
ब्रह्माराम चौधरी, जिलाशिक्षाधिकारी (माध्यमिक प्रथम), नागौर
पौधे लगाकर सींचना भूल गए
नागौर. शहर के दरगाह रोड पर करीब छह साल पहले नगर परिषद एवं जिला प्रशासन द्वारा लगाए गए नीम के सैकड़ों पेड़ पानी के अभाव में सूख रहे हैं। पीपुल फॉर एनीमल्स के जिलाध्यक्ष हिम्मताराम भांभू ने शनिवार को जिला कलक्टर कुमारपाल गौतम को ज्ञापन सौंपकर बताया कि गिनाणी तालाब के पास दरगाह रोड पर पानी के अभाव में करीब 500 पेड़ सूखने की कगार पर है। उन्होंने बताया कि 2012 में शहर के सौन्दर्यकरण व शुद्ध वातावरण एवं पर्यावरण की रक्षा के लिए जिला प्रशासन, नगर परिषद व स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा 750 पेड़ वन विभाग के सहयोग से लगवाए गए थे, जो वर्तमान में नगरपरिषद के अधीन हैं। इन पेड़ों को खत्म करने के लिए कई बार शरारती तत्वों ने आग लगाई तो कई बार पेड़ों को तोडकऱ छाल उतारी गई। अब मुश्किल से 500 पेड़ बचे हैं, जो पानी के अभाव में सूख रहे हैं। नगर परिषद द्वारा पेड़ों को समय पर पानी नहीं दिया गया तो इनकी दुर्दशा होना तय है।