
नागौर. अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड की ओर से पिछले कुछ वर्षों से ठेके पर दिए जा रहे ग्रिड सब स्टेशन (जीएसएस) ठेकेदारों की मोटी कमाई का जरिया बन गए हैं। डिस्कॉम ने उपभोक्ताओं को सुचारू बिजली उपलब्ध कराने व हादसों को रोकने के लिए ठेका व्यवस्था शुरू की, लेकिन इसके परिणाम विपरीत सामने आ रहे हैं। नागौर जिले में कुल 213 जीएसएस हैं, जिनमें 90 प्रतिशत से अधिक ठेके पर दिए हैं, जिनके संचालन के बदले ठेकेदारों को हर माह लाखों रुपए का भुगतान किया जा रहा है, लेकिन ठेकेदार न तो नियमानुसार पूरे कार्मिक रखते हैं और न ही संसाधन उपलब्ध करवा रहे हैं। ऐसे में विभागीय अधिकारियों की कार्यशैली पर भी सवालिया निशान खड़ा हो रहा है।
गौरतलब है कि ठेके पर संचालित जीएसएस पर ठेकेदार को आइटीआइ होल्डर तीन कार्मिकों की नियुक्ति करनी होती है, जो 8-8 घंटे की शिफ्ट में काम करते हैं। लेकिन जिले के ज्यादातर जीएसएस ठेकेदारों ने एक-एक कार्मिक के भरोसे छोड़ रखे हैं। कई जगह तो जो एक-एक कार्मिक लगे हैं, वे भी आइआइटी होल्डर नहीं है। इनमें से कुछ लोग तो ऐसे हैं, जिन्होंने विद्युतकर्मियों के साथ कुछ समय काम किया था और आज पूरा जीएसएस संभाल रहे हैं। जीएसएस पर लगे कार्मिकों को बिजली के संबंध में पूरी जानकारी नहीं होने के कारण आए दिन कार्मिकों की जानें जा रही हैं।
जिले में करंट से होने वाले हादसों पर नजर डालें तो स्थिति भयानक है, हर वर्ष 35 से 40 लोग लोग जान गंवा रहे हैं, जबकि पशुओं की संख्या इससे तीन गुनी है। इसके बावजूद डिस्कॉम के अधिकारी गंभीर होने की बजाय लापरवाह बने हुए हैं। ठेका पद्धति पर संचालित जिले के 90 प्रतिशत जीएसएस में सरकारी नियम-कायदे खूंटी पर टांगे हुए हैं। ठेकेदार इन जीएसएस का संचालन अप्रशिक्षित लोगों से करवा रहे हैं, जिन्होंने आइटीआइ का ‘क’, ‘ख’, ‘ग’ भी नहीं पढ़ा है, जबकि सरकारी आदेशों के अनुसार ठेके पर संचालित प्रत्येक जीएसएस पर आइटीआइ होल्डर कर्मचारी होने चाहिए।
ठेकेदार के जिम्मे हैं ये काम
ठेकेदार को प्रत्येक जीएसएस पर तीन कार्मिक नियुक्त करने हैं। प्रति दिन तीन शिफ्ट में एक-एक कार्मिक होना चाहिए। कार्मिकों का वेतन, जीएसएस का रखरखाव, कार्मिकों को सुरक्षा उपकरण उपलब्ध करवाना, कार्मिकों का बीमा, पीएफ, ईएसआई में नाम दर्ज करना उसका दायित्व है, लेकिन ठेकेदार इन नियमों को ताक पर रखकर एक कार्मिक को रख रहे हैं, जिसे 8 से 10 हजार रुपए देकर शेष राशि डकार रहे हैं।
अधिकारियों की मौन स्वीकृति
ऐसा नहीं है कि ठेकेदारों की इस कारस्तानी के बारे में निगम के अधिकारियों को जानकारी नहीं है। उच्चाधिकारियों की ओर से समय-समय पर निर्देश देकर जीएसएस का निरीक्षण करने को कहा जाता है। समय-समय पर आयोजित होने वाली दिशा व जिला परिषद की बैठकों में भी इस संबंध में निर्देश दिए जाते हैं, लेकिन स्थानीय अधिकारी ठेकेदारों की अनियमितता को अनदेखा कर रहे हैं, जिसके चलते आए दिन हादसे हो रहे हैं।
निरीक्षण किया तो हैरान रह गए एसडीएम
नागौर एसडीएम गोविन्दिसिंह भींचर ने शुक्रवार को बासनी के 33 केवी जीएसएस का निरीक्षण किया तो पता चला कि जीएसएस ठेके पर है और वहां एक ही कार्मिक लगा है। जीएसएस पर रखा अग्निशमन यंत्र सितम्बर 2016 में एक्सपायर हो चुका है, जिसमें वापस गैस नहीं भरवाई। ठेकेदार संसाधन भी उपलब्ध नहीं करवाता है, जबकि एक जीएसएस पर 8-8 घंटे की शिफ्ट के हिसाब से तीन आइटीआइ होल्डर कार्मिक रखना अनिवार्य है।
ठेकेदार के खिलाफ कठोर कार्रवाई के लिए लिखा
बासनी जीएसएस का औचक निरीक्षण किया तो पाया कि जीएसएस पर सिर्फ एक ही व्यक्ति भवानीसिंह 13 फरवरी से 24 घंटे काम कर रहा है। इतनी महत्वपूर्ण जगह पर एक ही व्यक्ति से लगातार 24 घंटे ड्यूटी करवाना मानवीय अत्याचार की श्रेणी में आता है। बिना आराम किए 24 घंटे कार्य किसी व्यक्ति की ओर से किया जाना संभव नहीं है। इसमें कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। भवानीसिंह के पास न तो आइडी कार्ड है और न ही उसे संवेदक टॉर्च आदि सामान उपलब्ध करवाता है। लॉग बुक भी सही नहीं पाई गई, जिसमें एक से 12 फरवरी तक एक बार भी लाइट काटने की जानकारी नहीं मिली। निरीक्षण में मिली अनियमितताओं के सुधार व ठेकेदार के खिलाफ कठोर कार्रवाई के लिए डिस्कॉम के एक्सईएन व एसई को निर्देशत किया है।
- गोविन्दसिंह भींचर, उपखंड अधिकारी, नागौर
Published on:
23 Feb 2025 09:17 am
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