
Machines not started even once after E-Mitra Plus scheme started
नागौर. प्रदेश में ‘डिजिटल इंडिया मिशन’ के सपने को साकार करने के उद्देश्य से करीब ढाई वर्ष पहले लांच की गई ई-मित्र प्लस की कीमती मशीनें कहीं कबाड़ के बीच धूल फांक रही हैं तो कहीं बंद होने से उपेक्षा की शिकार हो रही हैं। वहीं सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार विभाग के संयुक्त निदेशक योगेश कुमार का कहना है कि जिले को 618 मशीनें मिली हैं, जिनमें से 617 इंस्टाल हो चुकी हैं और उनसे ट्रांजेक्शन भी हो रहा है। वहीं सोमवार को जिला कलक्टर जितेन्द्र कुमार सोनी ने ई-मित्र प्लस की महत्ता का व्यापक प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिए हैं। इसको लेकर राजस्थान पत्रिका ने मंगलवार को जिलेभर में लगाई गई ई-मित्र प्लस मशीनों की हकीकत जानी तो अधिकतर जगह मशीनें बंद मिली और उन पर धूल जमी हुई थी, जो यह बता रही है कि मशीनों को कार्यालयों में रखने के बाद चालू भी नहीं किया गया। हां, कुछ कार्यालयों में कर्मचारियों ने बताया कि 15-20 दिन से एक व्यक्ति आता है और कुछ देर काम करने के बाद वापस चला जाता है। मामला साफ है, ठेकेदार कम्पनी का कर्मचारी ई-मित्र प्लस मशीनों पर ट्रांजेक्शन बताने के लिए 15-20 दिन में एक बार जाकर थोड़ा काम कर लेता है, जिसके कारण ऑनलाइन ट्रांजेक्शन बताता है, जबकि ग्राउण्ड की स्थिति कुछ और ही है।
गौरतलब है कि 12 जून 2018 को राजस्व विभाग के तत्कालीन राज्य मंत्री अमराराम चौधरी व राजस्व मंडल के तत्कालीन अध्यक्ष वी. श्रीनिवास ने नागौर की रोहिणी ग्राम पंचायत से इस योजना को लांच किया था। करोड़ों रुपए के इस प्रोजेक्ट के माध्यम प्रदेश की जनता व सरकार को टेक्नोलॉजी से जोडकऱ सरकारी व निजी क्षेत्र की 300 से अधिक सेवाओं का लाभ ई-मित्र प्लस के माध्यम से पहुंचाने का दावा किया गया था। सूत्रों की मानें तो वर्तमान में प्रदेशभर में लगाई गई करीब साढ़े 14 हजार मशीनों के पेटे 300 करोड़ से अधिक रुपए का भुगतान ठेकेदार को कर दिया गया है। इसमें ग्रामीण क्षेत्र में प्रत्येक ग्राम पंचायत मुख्यालय पर ई-मित्र प्लस मशीन रखी गई है, प्रदेश में इनकी संख्या करीब 10 हजार है, जबकि करीब साढ़े चार हजार से अधिक मशीनें शहरी क्षेत्र में लगाई गई हैं, लेकिन आमजन को इनके बारे में जानकारी नहीं होने के कारण ज्यादातर बंद पड़ी हैं।
बूड़सू में दिखाई देते हैं विज्ञापन
बूड़सू ग्राम पंचायत भवन में लगाई गई ई-मित्र प्लस मशीन पर सरकारी विज्ञापन दिखाए जाते हैं। इसके अलावा कुछ प्रिंट आउट निकालने का काम भी हो रहा है। पटवारी कभी कभार काम में लेते हैं, लेकिन ईमित्र प्लस के बारे में लोगों को अभी तक कोई जानकारी नहीं है। न ही यहां नियुक्त कर्मचारियों को किसी प्रकार की जानकारी है।
एसडीएम कार्यालय में बंद पड़ी मशीन
पत्रिका टीम ने नागौर एसडीएम कार्यालय में रखी ई-मित्र प्लस मशीन को जांचा तो बंद मिली। बटन दबाकर चालू किया तो चालू हो गई। कर्मचारियों ने बताया कि 15-20 दिन से ठेकेदार का एक आदमी आता है और कुछ देर काम करके वापस चला जाता है। इसके अलावा इसे कोई नहीं चलाता।
शो-पीस बनकर रह गई ईमित्र प्लस मशीनें
चौसला कस्बे सहित आस-पास की ग्राम पंचायतों में ई-मित्र प्लस मशीनें लगाई गई थी, जिनमें से अधिकतर जानकारी व जागरुकता के अभाव में शो-पीस बनकर रह गई हैं। चौसला राजीव गांधी सेवा केंद्र में लगी ई-मित्र प्लस का दो साल से उपयोग नहीं हो रहा है। यहां ग्रामीणों को जानकारी ही नहीं है कि मशीन का संचालन कैसे होता है और न ही अब तक किसी ऑपरेटर को इसके संचालन के लिए नियुक्त किया गया है।
जानकारी के अभाव में पड़ी बंद
डीडवाना के बांगड़ अस्पताल, नगर पालिका, डीटीओ आदि कार्यालयों में लगाई गई ई-मित्र प्लस की मशीने जानकारी के अभाव में धूल चाट रही है। मशीनें चालू तो हैं, आमजन को संचालन करने की जानकारी नहीं होने से काम में नही लिया जा रहा। मशीनों पर धूल जम रही हैं।
कबाड़ में पड़ी मशीन
कुचामन नगरपालिका कार्यालय भवन के एक कोने में कबाड़ के बीच पड़ी ई-मित्र प्लस मशीन तक आमजन का पहुंचना ही मुश्किल हो रहा है। मशीन बंद होने से इसका उपयोग नहीं हो पा रहा है।
रियांबड़ी में खराब पड़ी मशीन
रियांबड़ी उपखंड कार्यालय परिसर में लगी ई-मित्र प्लस मशीन तकनीकी खराबी के कारण बंद पड़ी है। जानकारी के अनुसार मशीन में लगने वाला सीपीयू खराब होने के कारण ई-मित्र प्लस की सेवाओं का लाभ आमजन को नहीं मिल पा रहा है। हालांकि उपखंड प्रशासन ने इस संबंध में एक माह पूर्व मशीन को ठीक करवाने के लिए संबंधित विभाग में मेल कर दिया था।
ये कार्य होते हैं ई-मित्र प्लस पर
ई-मित्र प्लस के माध्यम से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा देने का दावा किया गया है। इसके साथ इन पर नकद, डेबिट/क्रेडिट कार्ड और बायोमेट्रिक के माध्यम से सभी सरकारी सेवाएं जैसे, उपयोगिता बिल, विभिन्न आवेदनों आदि का भुगतान करने की सुविधा देने का दावा किया गया है। खास बात यह है कि यह स्वचालित कियोस्क है, जहां सरकारी स्टेशनरी पर सभी आवश्यक दस्तावेज जैसे जन्म प्रमाण पत्र, डोमिसाइल आदि प्रिंट करता है।
एक मशीन खराब है
जिले में अब तक कुल 618 मशीनें लगाई गई हैं, जिनमें से 617 मशीनें इंस्टाल की जा चुकी है। एक मशीन मकराना क्षेत्र में डैमेज होने से बंद है। जिला कलक्टर के निर्देशानुसार अब मशीनों के उपयोग व उपयोगिता को लेकर प्रचार-प्रसार किया जाएगा।
- योगेश कुमार, संयुक्त निदेशक, सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार विभाग, नागौर
Published on:
10 Feb 2021 02:28 pm
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