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Video : मोबाइल पशु चिकित्सा इकाई डेढ़ महीने में ही ठप

ठेकेदार कम्पनी ने चिकित्सकों, एलएसए व चालकों को नहीं दिया वेतन, अब बिना डॉक्टर कैम्प करने का डाल रही दबाव- कम्पनी ने डेढ़ महीने बाद भी शुरू नहीं किए हैल्पलाइन नम्बर

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Mobile veterinary unit stopped within one and a half month

Mobile veterinary unit stopped within one and a half month

नागौर. राज्य सरकार की ओर से ‘खुशहाल पशुपालक समृद्ध राजस्थान’ की थीम को लेकर करीब डेढ़ महीने पहले शुरू की गई मोबाइल पशु चिकित्सा इकाई ठप हो गई है। सरकार ने योजना के संचालन का ठेका एक निजी कंपनी को दिया था, लेकिन पिछले 44 दिनों का वेतन मोबाइल वैन में लगे पशु चिकित्सकों, एलएचए व वाहन चालकों को नहीं देने पर नागौर जिले में भी ये कार्मिक हड़ताल पर चले गए हैं। पिछले तीन दिन से हड़ताल पर चल रहे मोबाइल यूनिट के कार्मिकों ने सोमवार को जिला मुख्यालय पर पहुंचकर पहले पशुपालन विभाग कार्यालय में अपना विरोध प्रकट किया तथा बाद में जिला कलक्टर को ज्ञापन सौंपकर वेतन दिलाने सहित अन्य मांगें रखी।
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने करीब डेढ़ महीने पहले पशुपालकों को राहत देने के लिए मोबाइल पशु चिकित्सा इकाई योजना शुरू की थी। इसके तहत नागौर व डीडवाना-कुचामन जिले में 12-12 मोबाइल यूनिट शुरू की गई थी। प्रति मोबाइल यूनिट एक पशु चिकित्सक, एक एलएसए (पशुधन सहायक) व एक चालक नियुक्त किया गया, लेकिन समय पर वेतन नहीं मिलने व ज्वॉइनिंग लेटर नहीं देने के कारण ये कार्मिक हड़ताल पर चले गए हैं।

वेतन में भी हेरफेर करने का आरोप
जानकारी के अनुसार राज्य सरकार ने केंद्र सरकार की योजना को लागू करते हुए फरवरी माह में राज्य में मोबाइल पशु चिकित्सा योजना शुरू की। योजना के तहत वैन में एक-एक पशु चिकित्सक, पशुधन सहायक व पशु परिचर कम ड्राइवर को लगाया गया। जिनका वेतन क्रमश: 56100, 20000 और 18000 रुपए निर्धारित किया गया। सोमवार को नागौर आए योजना के तहत लगे कार्मिकों ने आरोप लगाया कि कम्पनी उन्हें निर्धारित वेतन से कम भुगतान करने की बात कर रही है। साथ ही कम्पनी अब इस बात का दबाव भी बना रही है कि बिना पशु चिकित्सक के गांवों में कैम्प करो, अन्यथा ट्रांसफर करके दूसरे जिले में भेज देंगे।

नियमों की अनदेखी कर रही कम्पनी
योजना से जुड़े डॉ. सुनील कुमार ने पत्रिका को बताया कि मोबाइल पशु चिकित्सा यूनिट योजना में संबंधित कंपनी की ओर से नियमों की पालना नहीं की जा रही है। वैन में पूरी दवाइयां भी उपलब्ध नहीं करवाई गई और आपातकाल में दवाइयों के लिए चिकित्सकों को इधर-उधर भटकना पड़ता है। हेल्पलाइन नंबर भी अभी तक सक्रिय नहीं हो पाया है। केंद्र सरकार की ओर से निर्धारित किए गए वेतन से भी कम वेतन देने की बात कंपनी की ओर से कही जा रही है।

हां, मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं कार्मिक
जिले में मोबाइल यूनिट में लगे पशु चिकित्सक एवं कार्मिक वेतन सहित अन्य मांगों को लेकर दो-तीन दिन से हड़ताल पर हैं। इनकी नियुक्ति ठेकेदार कम्पनी की ओर से की गई, इसलिए हमारा इसमें कोई लेना-देना नहीं है। इस सम्बन्ध में उच्च अधिकारियों को अवगत करवा दिया है।
- डॉ. महेश मीणा, संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग, नागौर