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विधानसभा के चौथे सत्र के ज्यादातर प्रश्नों के नहीं मिले जवाब, सरकार के दावे खोखले

मात्र 18 घंटे 40 मिनट चला मानसून सत्र, विधायकों ने लगाए 1249 प्रश्न, जवाब 25 फीसदी के भी नहीं मिले, छह-छह महीने बाद मिलते हैं सवाल के जवाब, तब तक बदल जाती है धरातल की स्थिति, सोलहवीं विधानसभा के पहले, दूसरे व तीसरे सत्र में लगाए गए कई प्रश्नों के जवाब आज भी बाकी, खासकर सरकार के खिलाफ लगे सवालों के जवाब देने में हो रही लेटलतीफी

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Rajasthan-VidhanSabha

राजस्थान विधानसभा। पत्रिका फाइल फोटो

नागौर. विधानसभा में विधायकों की ओर से लगाए जाने वाले सवालों के जवाब देने को लेकर विभागीय अधिकारी गंभीर नहीं हैं। यही कारण है कि हर सत्र में कुछ प्रश्न ऐसे होते हैं, जिनके जवाब देने अधिकारियों को पसीना छूटता है, इसलिए वे चाहे सरकार बदल जाए, लेकिन जवाब नहीं देते। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 16वीं विधानसभा के चौथे सत्र में लगाए गए अधिकतर प्रश्नों का जवाब आज तक नहीं दिया है। हालांकि एक सितम्बर से शुरू हुआ चौथा सत्र (मानसून सत्र) 10 सितम्बर 2025 को समाप्त हो गया था, जिसमें कुल छह बैठकों में मात्र 18 घंटे 40 मिनट की कार्यवाही हुई। इस सत्र में विधायकों ने ज्यादा सवाल भी नहीं लगाए, मात्र 1249 सवाल लगाए गए, उनमें सभी 70 फीसदी से अधिक सवाल आज भी अनुत्तरित हैं।

विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी भले ही सवालों के जवाब को लेकर सख्ती बरतने की बात करते हैं, लेकिन 16वीं विधानसभा के पहले, दूसरे व तीसरे सत्र में लगाए गए कई प्रश्नों के जवाब भी आज बाकी हैं। प्रथम सत्र में 2098 प्रश्न लगाए गए, जिनमें से 2073 प्रश्नों के उत्तर प्राप्त हुए, जबकि 25 प्रश्नों के जवाब आज भी नहीं मिले हैं। इसी प्रकार द्वितीय सत्र में 7945 में से 7682 प्रश्नों के उत्तर प्राप्त हुए, जबकि 263 प्रश्नों के जवाब आज भी नहीं मिले। तृतीय सत्र में 9701 में से 8351 प्रश्नों के उत्तर प्राप्त हुए। यानी 1350 सवालों के जवाब आज भी नहीं मिले हैं।

गौरलब है कि विधानसभा के प्रत्येक सत्र में एक विधायक को अधिकतम 100 सवाल पूछने का अधिकार है, हालांकि ज्यादातर विधायक 100 का आंकड़ा नहीं छू पाते हैं, इसके बावजूद विधायकों की ओर से लगाए लाने वाले सभी प्रश्नों के जवाब सरकार अपने पूरे कार्यकाल में नहीं दे पाती है। कुछ प्रश्न तो बहुत सामान्य हैं, लेकिन अधिकारियों में शासन का भय नहीं होने से विधायकों के सैकड़ों प्रश्न आज भी अनुत्तरित हैं। कई विधायक तो खुद प्रश्न लगाकर भूल गए, इसलिए उन्होंने इस मुद्दे को विधानसभा में नहीं उठाया है।

15वीं विधानसभा के सवालों के जवाब भी बाकी

विधायकों के सवालों को लेकर अधिकारियों की ओर से बरती जाने वाली गंभीरता इस बात से स्पष्ट होती है कि 15वीं विधानसभा में लगाए गए सैकड़ों सवालों के जवाब भी आज अनुत्तरित है। 15वीं विधानसभा के 8वें सत्र में 8349 सवाल लगाए थे, जिनमें से 629 आज भी अनुत्तरित हैं। इसी प्रकार 7वें सत्र में 8355 सवालों में से 298 सवालों के जवाब आज तक नहीं मिले हैं। छठे सत्र के 8469 में से 226 प्रश्नअनुत्तरित हैं। इसी प्रकार अन्य सत्रों में भी कुछ न कुछ प्रश्न ऐसे हैं, जिनके जवाब अधिकारी नहीं दे पाए।

समय पर नहीं मिलते जवाब

एक ओर जहां विधायक के प्रश्नों का जवाब तीन-चार साल बाद भी नहीं दिया गया है, वहीं दूसरी ओर जिन सवालों के जवाब दिए जाते हैं, उनके भी एक या दो साल बाद विधानसभा की वेबसाइट पर अपलोड किए जाते हैं, तब तक कई प्रश्नों का औचित्य ही समाप्त हो जाता है। जो प्रश्न विधानसभा सत्र की चर्चा में शामिल हो जाता है, उनके जवाब मिल जाते हैं, शेष के छह महीने से एक साल बाद तक जवाब देते हैं या फिर देते ही नहीं हैं। ऐसे में विधायकों के विशेषाधिकार का हनन हो रहा है।