
नम्बोला बिश्वां में बोले गहलोत - मेरी बोहनी अच्छी हो गई
नागौर. प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की सरकार बनाने के लिए छह विधायक देने वाले नागौर जिले को तीसरे साल भी उचित स्थान नहीं मिल पाया। लम्बे इंतजार के बाद मुख्यमंत्री ने मंत्रीमंडल का पुनर्गठन तो किया, लेकिन नागौर से एक भी विधायक को मंत्री की ‘कुर्सी’ नहीं दी। हालांकि कांग्रेस ने ‘किसान महापंचायत’ के लिए नागौर को चुना, लेकिन प्रदेश की स्तर की ‘पंचायती’ में भागीदार नहीं बनाया। राजनीतिक मंचों पर भी राजनेता अपने भाषणों में नागौर को राजनीति को दिशा देने वाला जिला बताते हैं लेकिन लम्बे समय बाद ऐसा हुआ कि नागौर को न तो प्रदेश में और न ही केन्द्र में मंत्री पद मिला।
केन्द्र की सरकार में सहयोग के तौर पर शामिल सांसद व आरएलपी के संयोजक हनुमान बेनीवाल भी किसानों के लिए एनडीए से अलग हो गए। इधर, खुद को गिरने से बचाने में जुटी कांग्रेस सरकार ने भी नागौर को खाली हाथ रखा।
राजनीति के हिसाब से देखें तो नावां विधायक महेन्द्र चौधरी के अलावा अन्य कोई भी विधायक अपने क्षेत्र को कोई बड़ी सौगात नहीं दिला पाया। मुख्यमंत्री ने बजट में घोषणाएं भी काफी की, लेकिन बजट घोषणाओं की सबसे ज्यादा क्रियान्विति भी नावां विधानसभा क्षेत्र में हुई।
मकराना की किसान महापंचायत में भाषण देकर चले गए
नागौर जिले के मकराना में 13 फरवरी 2021 को कांग्रेस ने प्रदेश की किसान महापंचायत आयोजित की, जिसमें कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित कांग्रेस के एक दर्जन से अधिक बड़े नेता शामिल हुए। किसानों एवं जिलेवासियों को सरकार से किसी बड़ी घोषणा की उम्मीद थी, लेकिन सभी नेता केन्द्र सरकार के खिलाफ अपना गुबार निकालकर चले गए। मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि किसान अन्नदाता है, जिनकी आवाज दबाने का प्रयास केन्द्र सरकार कर रही है, लेकिन नागौर से निकली आवाज पूरे देश में फैलेगी। अब नागौर ने हुंकार भरी है, महापंचायत में आए किसानों एवं महिलाओं के उत्साह ने राहुल गांधी का दिल जीत लिया है।
आरएलपी ने निकाली ट्रैक्टर परेड
एनडीए से अलग होने के बाद आरएलपी सांसद हनुमान बेनीवाल ने एक ओर जहां शाहजहांपुर बॉर्डर पर धरना दिया, वहीं 5 फरवरी को किसान आंदोलन के समर्थन में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी की ओर से जिला मुख्यालय पर ट्रैक्टर परेड का आयोजन किया गया। जिसमें सैकड़ों ट्रैक्टरों पर सवार होकर किसानों एवं पार्टी कार्यकर्ताओं ने शहर के चारों तरफ रैली निकालकर ‘किसान एकता जिंदाबाद’ के नारे लगाए।
टिकैत ने जोड़ा नागौर से रिश्ता
संयुक्त किसान मोर्चा के तत्वावधान में 3 मार्च 2021 को पशु प्रदर्शनी में आयोजित किसान महापंचायत भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत सहित कई पदाधिकारी आए। टिकैत ने एक ओर जहां कृषि बिलों का विरोध किया, वहीं नागौरी बैलों को लेकर अपना रिश्ता भी जोड़ा। उन्होंने कहा कि नागौर से हमारा वर्षों पुराना रिश्ता है और वो रिश्ता नागौर के मजबूत बैलों से हैं। उन्होंने कहा कि पहले हमारे गांव के किसान ट्रक भरकर यहां से बैल खरीदकर ले जाते थे, लेकिन इन ठेकेदारों ने रोक लगवाकर किसानों को रास्ते में परेशान करना शुरू कर दिया। परिवहन पर रोक लगने से हमारा और आपका दोनों का नुकसान हुआ है। इनके कारण गांव बर्बाद हो रहे हैं। इसलिए लडऩा सीख लो।
नम्बोला बिश्वां में बोले गहलोत - मेरी बोहनी अच्छी हो गई
नागौर जिले के निम्बोला बिश्वां गांव में आयोजित प्रशासन गांवों के संग अभियान शिविर में 22 अक्टूबर को आए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भीड़ देखकर कहा कि नागौर में उनकी बोहनी अच्छी हो गई है। मुख्यमंत्री ने भाषण तो काफी लम्बा दिया, लेकिन यहां भी वे अपना दर्द जाहिर करने से नहीं बच पाए। उनके साथ कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अजय माकन, विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी, शिक्षा मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा, राजस्व मंत्री हरीश चौधरी सहित कई नेता रहे, लेकिन बड़ी घोषणा यहां भी नहीं कर पाए।
निकाय चुनाव : जीतकर भी हारी कांग्रेस, आरएलपी ने भी ठोकी कील
वर्ष 2021 के शुरुआत में हुए नौ स्थानीय निकाय के चुनाव में यूं तो कांग्रेस ने सबसे ज्यादा स्थानों पर अपना बोर्ड बनाया, लेकिन जिला मुख्यालय पर सबसे ज्यादा पार्षद जीतने के बावजूद सभापति बनाने में सफल नहीं हो पाई। यहां भाजपा की स्थिति बेगानी शादी में अब्दुला दीवाना वाली रही। निर्दलीय उम्मीदवार मीतू बोथरा कांग्रेस, भाजपा व निर्दलीयों के वोट लेकर सभापति की कुर्सी पर काबिज हुईं। जिले के 9 निकायों में से परबतसर व नावां में भाजपा का बोर्ड बन पाया, जबकि गत वर्ष मूण्डवा में प्रधान बनाने वाली आरएलपी ने पालिका में भी अपना बोर्ड बना लिया। डेगाना, लाडनूं, कुचामन व मेड़ता में कांग्रेस ने पालिकाध्यक्ष बनाए, वहीं कुचेरा में तेजपाल मिर्धा निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए। मूण्डवा में अल्का कंदोई, नावां में सायरी देवी, परबतसर में ओमप्रकाश सेन, मेड़ता सिटी में गौतम टाक, लाडनूं में रावत खां, डेगाना में मदनलाल अटवाल, कुचामन में आसिफ खान पालिकाध्यक्ष चुने गए।
विरोधी गुट शामिल हुए मां-बेटे
नागौर नगर परिषद के चुनाव में पूर्व सभापति कृपाराम सोलंकी का परिवार काफी चर्चा में रहा। कांग्रेस से सम्बन्ध रखने वाले सोलंकी की पत्नी जंवराई व उनके बेटे प्रवीण सोलंकी ने पार्टी व अपने मामा मांगीलाल भाटी के रवैये से नाराज होकर सभापति बनी मीतू बोथरा के जुलूस में शामिल होकर राजनीतिक चर्चा गर्म कर दी थी।
स्थायी समितियों के चुनाव में सदस्य भी नहीं बन पाए दिग्गज
अगस्त 2021 में हुए जिला परिषद की छह स्थायी समितियों के चुनाव में कई दिग्गज चुनाव हार गए। प्रशासन और स्थापन स्थायी समिति में संजीव सिंह चौधरी (वार्ड 12) व नागौर के पूर्व प्रधान ओमप्रकाश सेन (वार्ड 45) तथा वित्त और कराधान स्थायी समिति में डॉ. सहदेव चौधरी (वार्ड 43) सदस्य का चुनाव भी हार गए। वहीं शिक्षा समिति के अध्यक्ष पद के लिए दोनों प्रत्याशी भाजपा से थे, जिसमें पूर्व विधायक के रिश्तेदार सुनील चौधरी को एक ही मत मिला, जबकि उनकी प्रतिद्वंद्वी मुरधर कंवर ने खुद की पार्टी के साथ अन्य सदस्यों के वोट भी लेकर जीत दर्ज की।
भाजपा ने की जन आक्रोश रैली, विधायक मुरावतिया ने खड़े कर दिए सवाल
राज्य की कांग्रेस सरकार के खिलाफ भाजपा ने 15 दिसम्बर को जिला मुख्यालय पर जन आक्रोश रैली की। हालांकि रैली में जिलेभर से पहुंचे पदाधिकारी व कार्यकर्ता पहुंचे, लेकिन मकराना विधायक रूपाराम मुरावतियों ने खुद की पार्टी को भ्रष्टाचार में लिप्त बताते हुए सच्चाई व अच्छाई पर चलने की सीख दे डाली। कांग्रेस ने जयपुर में महंगाई को लेकर रैली की तो भाजपा ने जिला मुख्यालय पर रैली करके उल्टा चोर कोतवाल को डांटे वाली कहावत सुनाई।
नागौर को मिले नए प्रभारी मंत्री, आते ही नशे पर जताई चिंता
जिले के पूर्व प्रभारी मंत्री हरीश चौधरी को पंजाब का प्रभारी बनाने के बाद जिले को नए जिला प्रभारी मंत्री के रूप में उच्च शिक्षा मंत्री राजेन्द्र यादव मिले। यादव ने पहला दौरा तो कांग्रेस की रैली का आमंत्रण देने के लिए किया, लेकिन दूसरी बार सरकार के तीन साल के कार्यकाल की उपलब्धियां बताने के लिए किया। 22 व 23 दिसम्बर को नागौर दौरे के दौरान मंत्री को मुख्य जोर नशे की बढ़ती प्रवृत्ति को रोकने पर था। उन्होंने एसपी को भी कार्रवाई के निर्देश दिए।
कर्मचारियों के निशाने पर आ गए खींवसर विधायक
साल के जाते-जाते खींवसर विधायक नारायण बेनीवाल कर्मचारियों के निशाने पर आ गए। विधायक द्वारा खींवसर तहसीलदार के साथ सार्वजनिक बैठक में मुर्गा बनाने की धमकी देने के विरोध में विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने नारेबाजी कर विरोध जताया। इसके बाद विभिन्न समाजों के प्रतिनिधियों ने भी ज्ञापन देकर कार्रवाई की मांग की।
Published on:
29 Dec 2021 11:10 am
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