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नागौर: अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा प्रताप सागर तालाब

एक समय में शहरवासियों का गला तर करने वाला 250 साल से ज्यादा पुराना ऐतिहासिक प्रताप सागर तालाब उपेक्षा का शिकार हो रहा है।

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Nagaur news

pratap sagar talab

आम लोगों की लापरवाही पड़ रही भारी, दिनों दिन सिमट रहा प्रताप सागर तालाब का दायरा

नागौर. एक समय में शहरवासियों का गला तर करने वाला 250 साल से ज्यादा पुराना ऐतिहासिक प्रताप सागर तालाब उपेक्षा का शिकार हो रहा है। आम लोगों की लापरवाही व प्रशासन की उदासीनता के कारण धीरे-धीरे तालाब का दायरा सिमट रहा है। जागरूक लोगों की सक्रियता से सात साल पहले 75 से ज्यादा कच्चे-पक्के अतिक्रमण हटाए गए लेकिन लोग धीरे-धीरे फिर से तालाब के अंगोर व आड पर काबिज होने लगे हैं।
लाखों खर्च फिर भी बदहाल
जानकारी के अनुसार आसपास रहने वाले लोगों के घरों के परिण्डों में तालाब का मीठा पानी होता था, लेकिन आज पशुओं के पीने लायक भी नहीं रहा। तालाब में 14 पुरानी कुइयां मौजूद है। इनमें से कुछ कुइयों की सफाई भी करवाई गई थी। शाम को युवा तैराकी का अभ्यास करते थे। तालाब में घाट निर्माण पर करीब 15 लाख रुपए, तारबंदी पर 10 लाख 5 हजार व गंदे पानी का नाला आंधिया पीपल खान से जोडऩे पर करीब 23 लाख रुपए खर्च किए जा चुके हैं।
सुरक्षा दीवार बनवाने की मांग
पत्रिका में रविवार को खबर छपने के बाद श्रीजबरेश्वर महादेव सेवा समिति अध्यक्ष प्रेम चंद लुणावत, उपाध्यक्ष भारतीश जोशी, मंत्री ओमप्रकाश सैन महासचिव सुरेन्द्र मिश्रा समेत अन्य पदाधिकारी नागौर विधायक हबीबुर्रहमान से मिले व तालाब की सुरक्षा के लिए चार दीवारी निर्माण की मांग की। तालाब की आड में पक्के निर्माण कर आशियाने खड़े करने वालों पर कार्रवाई के साथ आशियाने ध्वस्त करने की राजस्व विभाग की तैयारी आज तक पूरी नहीं हो पाई।

करेंगे हर संभव प्रयास
परम्परागत जल स्रोतों को बचाना मेरी पहली प्राथमिकता है। बख्तसागर की तर्ज पर प्रताप सागर तालाब के विकास को लेकर हर संभव प्रयास करेंगे।
कृपाराम सोलंकी, सभापति, नगर परिषद, नागौर

प्रशासन को कराया अवगत
तालाब के उद्धार को लेकर जिला प्रशासन से लगातार मांग कर रहे हैं। तालाब में गंदे पानी की आवक बंद कर तालाब का सौन्दर्यकरण किया जाना चाहिए।
प्रेम चंद लुणावत, अध्यक्ष, श्रीजबरेश्वर महादेव सेवा समिति, नागौर