
Nandi Goshala of the district lost to Kagji Khanapurti
Nagaur patrika latest newsनागौर. घोषणा के करीब एक साल बाद भी जिले में नंदी गोशाला नहीं खुल पाई। पहले सींगड़ में खुलनी थी, लेकिन किन्हीं कारणों से वहां पर नहीं खोली जा सकी। अब रूढ के लिए प्रस्ताव बनाकर भेजने से इसके खुलने के साथ ही बढ़ते गोवंशों के आतंक पर लगाम लगने की उम्मीद नजर आने लगी है। वास्तविक स्थिति यह है कि कागजी खानापूर्ति के बीच ग्रामीण क्षेत्रों में लावारिश घूमने वाले नर गोवंश खरीफ की फसलों को जमकर नुकसान पहुंचाने के साथ शहरी क्षेत्रों में लोगों की जिंदगियों पर खतरा बनने लगे हैं।
तो फिर न परिवार बचेगा, और न ही देश-समाज
शहर एवं ग्रामीण क्षेत्रों में गोवंशों की बढ़ती संख्या की वजह से वर्ष 2018-19 के बजट में प्रत्येक जिले में एक एवं नागौर जिले में गोशालाओं की संख्या ज्यादा होने के चलते ,नागौर व कुचामन सिटी नंदी गोशाला खोलने की घोषणा की थी। यह घोषणाएं केवल कागजी बनकर रह गई। जिले में पिछले पांच से छह सालों के अंतराल में अचानक बढ़ा नर गोवंश अब किसानों की फसलों के लिए खतरा बन गए हैं। गोवंशों में सांड खेतों में खड़ी फसलों को न केवल नुकसान पहुंचाने में लगे हैं, बल्कि शहरी क्षेत्रोंमें वह हाइवे पर भी लोगों के लिए हादसे का सबब बन गए। स्थिति यह है कि सरकारी सहायता लेने वाली गोशालाएं नर गोवंश को गोशाला में रखने से साफ इंकार कर देते हैं। ऐसे में नंदी गोशाला खोलने की आवश्यकता होने के बाद भी प्रशासनिक अधिकारियों की उदासीनता के चलते नंदी गोशाला नहीं खुल पाई है।
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फिर भी नहीं खुल पाई
राज्य के गोपालन विभाग द्वारा गत सात जून को जारी परिपत्र के अनुसार कोई भी संस्था या पंजीकृत गोशाला नंदी गोशाला के लिए आवेदन कर सकेंगी। नंदी गोशाला में 500 या 500 से अधिक नर गोवंश को रखा जा सकेगा। इसके लिए खुद की जमीन या फिर सक्षम स्तर से स्वीकृति प्राप्त लीज की भूमि उपलब्ध होने पर 50 लाख तक का अनुदान दिया जाएगा। विभागीय जानकारों का कहना है कि पशुपालन विभाग के जिम्मेदारों की ओर से इस संबंध में कोई सकारात्मक प्रयास ज्यादा नहीं किए गए। यही वजह रही कि पहले सींगड़ में खुलनी थी, लेकिन बाद में यहां का मामला भी ठंडे बस्ते में चला गया। अब पशुपालन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि रूण का प्रस्ताव बनाकर भेज दिया गया है। उम्मीद है कि यहां पर जल्द ही नंदी गोशाला खुल जाएगी।
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इसलिए स्थिति बिगड़ी
पशुपालन विभाग के आंकड़े ही बताते हैं कि नागौर में गोवंश के साथ गोशालाओं की संख्या भी प्रदेश में सबसे अधिक है। नागौरी नस्ल के बैल देश ही नहीं विश्व प्रसिद्ध हैं, जिसके चलते पशु मेले भी नागौर में सबसे अधिक आयोजित होते हैं। नागौर, मेड़ता व परबतसर के पशु मेलों को तो राज्य स्तरीय मेलों का दर्जा प्राप्त है। जब से तीन साल तक के बछड़ों के परिवहन पर रोक लगी है, न केवल पशु मेलों को ग्रहण लगा है, बल्कि लावारिस नर गोवंश की संख्या भी बढ़ गई। । वर्ष 2012 की पशुगणना के अनुसार नागौर में गोवंश की संख्या 4.81 लाख थी, जो अब बढकऱ पांच लाख के पार हो चुकी है। अब नंदी गोशाला जल्द नहीं खुली तो फिर हालात और ज्यादा विकट हो जाएंगे।
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रूण में नंदी गोशाला का प्रस्ताव बनाकर भेज दिया गया है। तकरीबन एक माह में प्रक्रियाओं के पूर्ण होने पर नंदी गोशाला खुल जाएगी।
सी.आर मेहरड़ा, संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग, नागौर
नंदी गोशाला खोले जाने के लिए प्रशासन की ओर से काफी प्रयास किए गए। इसी प्रयास का नतीजा रहा कि अब एक नंदी गोशाला खोलने का प्रस्ताव बनाकर भेज दिया गया है। पूर्व में भी इसके लिए सींगड़ में प्रयास हुए थे, लेकिन बाद में सींगड़ में ही संबंधित पक्ष की ओर से असमर्थता जता दी गई। अब जल्द ही खुलने की उम्मीद है।
दिनेश यादव, जिला कलक्टर नागौरNagaur patrika latest news
Published on:
16 Sept 2019 11:59 am
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