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जेलों में बंदियों को सुधरने नहीं देते अधिकारी-कर्मचारी, अवैध सामग्री सप्लाई करने से नहीं कतराते

बंदियों को जेल में मोबाइल, नशीले पदार्थ उपलब्ध करवाते पकड़े गए कई अधिकारियों/कर्मचारियों के विरूद्ध हुई अनुशासनात्मक कार्रवाई, दो सालों में तलाशी के दौरान मिली कई आपत्तिजनक वस्तुएं, हथियार के साथ मोबाइल, सिम, बैटरी व नशे की सामग्री मिली

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Nagaur jail

नागौर. अपराधियों को जेल भेजने के पीछे मुख्य उद्देश्य कैदी के सुधार, समाज की सुरक्षा और अपराधों की संख्या में कमी लाना है। इस उद्देश्य को पूरा करने में जेल के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की मुख्य जिम्मेदारी होती है, लेकिन यदि जेल के अधिकारी/कर्मचारी ही इस उद्देश्य से भटक जाए तो कैदियों/बंदियों का सुधरना मुश्किल है। यानी कैदी/बंदी सुधरना भी चाहे तो छोटे से लालच के लिए अधिकारी/कर्मचारी उन्हें सुधरने नहीं देते।

जी हां, राज्य सरकार के गृह विभाग की ओर से विधानसभा में दी गई जानकारी के अनुसार पिछले दो साल में प्रदेश की विभिन्न जेलों में ऐसे कई प्रकरण सामने आए हैं, जिनमें तलाशी के दौरान कैदियों/बंदियों के पास हथियार सहित विभिन्न प्रकार की आपत्तिजनक सामाग्री मिली। चिंता का विषय यह है कि कैदियों/बंदियों तक आपत्तिजनक सामग्री पहुंचाने में जेल के अधिकारी/कर्मचारी लिप्त पाए गए और उनके खिलाफ एफआईआर तक दर्ज करवाई गई। इसमें केन्द्रीय कारागृह जोधपुर, जिला कारागृह जैसलमेर, केन्द्रीय कारागृह अलवर, केन्द्रीय कारागृह भरतपुर, केन्द्रीय कारागृह उदयपुर के 11 कार्मिकों के खिलाफ 17 सीसीए व 16 सीसीए के तहत कार्रवाई की गई है।

प्रदेश में कारागृह एक नजर

सेंट्रल जेल - 9

महिला सुधारगृह - 7

जिला कारागृह ए श्रेणी - 2

जिला कारागृह बी श्रेणी - 24

उप कारागृह - 60

खुली जेल - 51

इसके साथ दौसा में स्पेशल सेंट्रल जेल श्यालावास , जैतारण में किशोर सुधारगृह व अजमेर में हाई सिक्युरिटी जेल गुगरा भी हैं।

एक साल में 20,896 निरीक्षण, दूसरे में मात्र 3001

वर्ष 2022 व 2023 में प्रदेशों की जेलों में जेल प्रशासन की ओर से ली गई तलाशी की कहानी भी अजीब है। विधायक डॉ. जसवन्तसिंह यादव के सवाल का जवाब देते हुए सरकार ने बताया कि वर्ष 2022 में जेल प्रशासन ने प्रदेश की 103 जेलों में कुल 20,896 बार तलाशी ली, लेकिन अगले वर्ष यानी 2023 में मात्र 3001 बार ही तलाशी ली गई। यही नहीं पुलिस प्रशासन की ओर से वर्ष 2022 में मात्र 62 बार तलाशी ली गई, जबकि 2023 में 124 बार तलाशी ली। इसमें बांदीकुई, सांभरलेक, बहरोड़, हिंडोनसिटी, राजगढ़, अकलेरा ऐसी जेल है, जहां वर्ष 2022 में एक बार भी तलाशी नहीं ली गई।

दो साल में 168 एफआईआर

जेलों में तलाशी के दौरान मिली आपत्तिजनक वस्तुओं को लेकर जेल प्रशासन ने दो सालों में कुल 168 एफआईआर दर्ज करवाई। इसमें वर्ष 2022 में 94 तथा 2023 में 74 एफआईआर बंदियों के खिलाफ दर्ज करवाई गई। आपत्तिजनक वस्तुओं में हथियार के साथ मुख्य रूप से मोबाइल फोन, बैटरी, चार्जर, सिम, ईयरफोन, डाटा केबल, गुटखा-जर्दा, बीड़ी-तम्बाकू, मादक पदार्थ आदि शामिल हैं।

दो वर्षों में प्रदेश की जेलों में तलाशी में मिली आपत्तिजन सामग्री के बाद दर्ज एफआईआर

कारागृह - वर्ष 2022 - वर्ष 2023

केन्द्रीय कारागृह, जयपुर - 5 - 7

केन्द्रीय कारागृह, अलवर - 10 - 7

केन्द्रीय कारागृह, भरतपुर - 6 - 7

केन्द्रीय कारागृह, उदयपुर - 1 - 10 श्

केन्द्रीय कारागृह, जोधपुर - 11 - 8

केन्द्रीय कारागृह, गंगानगर - 4 - 1

केन्द्रीय कारागृह, बीकानेर - 9 - 2

केन्द्रीय कारागृह, अजमेर - 3 - 1

केन्द्रीय कारागृह, कोटा - 2 - 1

उच्च सुरक्षा कारागृह, अजमेर - 5 - 2

विशिष्ट केन्द्रीय कारागृह, श्यालावास - 1 - 2

महिला बंदी सुधारगृह, जोधपुर - 1 - 0

महिला बंदी सुधारगृह, जयपुर - 0 - 1

जिला कारागृह, जयपुर - 0 - 1

जिला कारागृह, सिरोही - 2 - 0

जिला कारागृह, धौलपुर - 2 - 3

जिला कारागृह, हनुमानगढ़ - 10 - 2

जिला कारागृह, प्रतापगढ़ - 4 - 3

जिला कारागृह, चित्तौडगढ़़ - 4 - 6

जिला कारागृह, बाड़मेर - 2 - 2

जिला कारागृह, बांसवाड़ा - 0 - 1

जिला कारागृह, जैसलमेर - 1 - 1

जिला कारागृह, टोंक - 1 - 0

जिला कारागृह, चूरू - 1 - 1

उप कारागृह, सूरतगढ़ - 6 - 1

उप कारागृह, डीग - 0 - 2

उप कारागृह, बहरोड़ - 1 - 0

उप कारागृह, श्रीकरणपुर - 1 - 2

उप कारागृह, बालोतरा - 1 - 0

कुल - 94 - 74