
Nagaur. Mahant Jankidas discourses on Bhagwat Katha at Ramdwara Keshav Das Maharaj Bagichi Bakhtsagar
नागौर. रामद्वारा केशव दास महाराज बगीची बख्तसागर में भागवत कथा पर प्रवचन करते हुए महंत जानकीदास नें जड भरत चरित्र का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि मन में विषयों का चिंतन करता है। यही बंधन का कारण भी होता है। मन के ऊपर भक्ति का अंकुश रखना चाहिए। मन से ही बंधन व मुक्ति है। उद्धरण देते हुए समझाया कि पानी के बिना कीचड़ नहीं होता। कीचड़ का कारण पानी है। कीचड़ धोने का कारण पानी से ही कीचड़ धोया जाता है, और इसी से ही कीचड़ बनता है। ज्ञान और भक्ति वैराग्य से दृढ़ होते हैं। वैराग्य के बिना ज्ञान और भक्ति दृढ़ नहीं होती। यह जीव संसार रूपी जंगल में अनादि काल से घूम रहा है। इसका कोई अंत नहीं है। संसार रूपी जंगल में जीव को धूमने के दौरान छह चोर मिलते हैं। यह चोर उसका विवेक रूपी धन लूट कर उसको गड्ढे में फेंक देते हैं। इसे समझाते हुए कहा कि इनमें चोर तो पांच ज्ञानेंद्रियां और छठा चोर मन है। यह विवेक रूपी धन को लूट लेता है। संसार रूपी गड्ढे में फेंक देते हैं। वासना के अधीन होकर के जीव सुख भोगता है सुख भोगने से वासना की गांठ पक्की होती है। शरीर बिगडऩे पर इसका एहसास होता है। सत्संग से ही व्यक्ति कृतार्थ हो सकता है। इसलिए जीवन में अच्छे लोगों का संग हमेशा करना। चाहिए महंत ने बताया कि अच्छे लोगों का संग मिलना भी दुर्लभ है, परंतु दुर्जन लोगों से दूर ही रहना चाहिए। दुर्जनों से वाद-विवाद न करके केवल मन से दूरी बनाए रखने में ही हमारी भलाई है। इसमें किशन जांगिड़ ,अक्षय कुमार, सत्यनारायण सेन ,ज्ञानचंद कच्छावा ,मदनलाल कच्छावा, सोहनलाल कच्छावा, किशोर राम चौधरी ,सत्यनारायण सांखला आदि मौजूद थे।
Published on:
10 Aug 2021 09:37 pm
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