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डेगाना विकास से बेगाना…मकराना के संगमरी एहसास पर ‘खुरदरा’ आदेश…

Rajasthan Assembly Election 2023: कम लोग ही जानते हैं कि डेगाना जंक्शन कस्बे से डेगाना गांव सात किलोमीटर दूर है। रेलवे जंक्शन बनने के बाद इस जगह नाम डेगाना पड़ गया।

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नागौर

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Kirti Verma

Jul 19, 2023

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जयप्रकाश सिंह
नागौर।Rajasthan Assembly Election 2023: कम लोग ही जानते हैं कि डेगाना जंक्शन कस्बे से डेगाना गांव सात किलोमीटर दूर है। रेलवे जंक्शन बनने के बाद इस जगह नाम डेगाना पड़ गया। काम कई हुए, लेकिन अभी भी यह क्षेत्र बुनियादी सुविधाओं की बाट जोह रहा है। नागौर से तरनाऊ होते हुए मैं डेगाना कस्बे में पहुंचा। यह कस्बा रेलवे जंक्शन के दोनों तरफ बसा है। रेलवे क्रॉसिंग फाटक अक्सर बंद रहने से यहां जाम की स्थिति बनी रहती है और लगातार आरओबी बनाने की मांग की जा रही है। आरओबी के लिए रेलवे की स्वीकृति ही नहीं मिल पाई है।

स्थानीय निजी चिकित्सक डॉ. भंवरसिंह राठौड़ का कहना था कि बाजार में ड्रेनेज की समस्या होने से यहां जलभराव की समस्या है। व्यवसायी प्रकाशचंद करवा ने बताया कि क्षेत्र में टंगस्टन और लिथियम अपार मात्रा में है। समुचित खनन हो तो क्षेत्र के अर्थिक विकास को गति मिल सकती है। युवक भावेश सेन ने बाजार में अक्सर जाम लगने की समस्या बताई। डेगाना से हरसौर पहुंचने तक रास्ते में सडक़ें क्षतिग्रस्त मिलीं। यहां अधिकतर किसान सिंचाई के अभाव में केवल बरसात में ही फसल ले पा रहे हैं। रीको ने औद्योगिक क्षेत्र तो बना दिया, लेकिन यहां एक भी उद्योग नहीं लगा है।

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यहां से चलकर परबतसर कस्बे में पहुंचा को यहां दंत चिकित्सक अंकु र टांक ने बताया कि इंदिरा गांधी कैनाल परियोजना से पेयजल की व्यवस्था तो हो गई, लेकिन जलापूर्ति पांच से छह दिन में मात्र एक घंटे के लिए होती है। स्थानीय लोग पानी का टैंकर डलवाने को मजबूर हैं। एडवोकेट रामनिवास दिवाकर का कहना था कि सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार काफी है। सरकारी महकमों में सुनवाई नहीं होती। परबतसर में चिकित्सालय के बाहर मिले जयराम से चिरंजीवी योजना के बारे में बात की तो वे बोले, इसका कोई फायदा नहीं मिला। चिकित्सक अस्पताल के बाहर प्रैक्टिस कर रहे हैं। बाहर की दवाइयां लिखी जा रही हैं। लोगों ने बस स्टैंड पर बसें नहीं आने की शिकायत भी की। बसों के न आने से यहां ठेले पर सामग्री विक्रेताओं और दुकानदारों का कारोबार नहीं चल पा रहा है।

परबतसर के बाद मैं मकराना की तरफ बढ़ा। रास्ते में बिदियाद के बाद से सडक़ के दोनों तरफ मार्बल की खदानें, फैक्ट्री और स्टॉक दिखने लगे। बरसात की वजह से इन दिनों खदानों से मार्बल निकालने का काम लगभग बंद सा है। यहां दुनिया का सबसे बेहतरीन मार्बल मिलता है। ताजमहल, विक्टोरिया महल, बिड़ला मंदिर के निर्माण में इसी का उपयोग हुआ है। अयोध्या के राममंदिर में भी यहीं के मार्बल का उपयोग हो रहा है और यहां के कारीगरों की देखरेख में लगाया जा रहा है। हालांकि, यहां के मार्बल उद्योग को विदेशी मार्बल-टाइल्स से काफी प्रतिस्पर्धा करनी पड़ रही है। मार्बल खदानों के लिए राज्यस्तरीय कमेटी से पर्यावरण संबंधी स्वीकृति लेने के एनजीटी के आदेश के बाद यहां के उद्यमियों में काफी हलचल है। युवा उद्यमी उत्कर्ष बंसल का कहना था कि यहां सबके पास पहले से ही स्वीकृति है, लेकिन अब पांच हेक्टेयर से कम क्षेत्र की खदानों के लिए जिला स्तरीय समिति की स्वीकृति अमान्य कर दी गई है। आदेश के बाद भी तीन माह निकल गए, लेकिन इसका न तो प्रारूप आया और न ही प्रक्रिया शुरू हो पाई है।

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