6 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

रिश्ते में दरार डाल रहा पड़ोसन का उपहार, पढ़ें पूरी खबर

पड़ोसन के पति का स्टेटस भी किसी दम्पती के रिश्ते में दरार डाल देता है। उसके रहन-सहन की छोड़िए पत्नी को देने वाले उपहार की बात हो या फरमाइश पूरी करने का तौर-तरीका, ऐसी ही अपेक्षा कई घरों में शांति भंग करा रही है।

3 min read
Google source verification
Report : Neighbor's Gift Creating Rift In Relationship

नागौर। पड़ोसन के पति का स्टेटस भी किसी दम्पती के रिश्ते में दरार डाल देता है। उसके रहन-सहन की छोड़िए पत्नी को देने वाले उपहार की बात हो या फरमाइश पूरी करने का तौर-तरीका, ऐसी ही अपेक्षा कई घरों में शांति भंग करा रही है। तलाक के आधार पर सरकारी नौकरी पाने की जुगत का भी नागौर जिले में चलन बढऩे लगा है। वजह कुछ भी हो दहेज प्रताडऩा का केस दर्ज कराने में किसी विवाहिता अथवा उसके परिजन अब भी पीछे नहीं हैं।

सूत्रों के अनुसार नागौर जिले के महिला थाना और वहीं के परिवार परामर्श केन्द्र की हकीकत तो कमोबेश यही कहती है। इसके इतर अन्य थानों में भी पति-पत्नी के बीच विवाद के मामले खूब पहुंच रहे हैं। अकेले नागौर के महिला थाने की बात करें तो हर दूसरे दिन यहां पति-पत्नी के बीच विवाद का मामला पहुंच रहा है। लम्बे परामर्श के बाद भी इनमें से आधे से अधिक मामले तलाक के लिए कोर्ट की दहलीज तक पहुंच रहे हैं। झगड़े का कारण कोई भी हो, वजह दहेज की डिमाण्ड अब भी बताई जा रही है। ग्रामीण अथवा कम शिक्षित महिला जहां समझा-बुझाकर अपना घर संवारने पर यकीन कर रही हैं वहीं कुछ पढ़ी-लिखी विवाहिता हर हाल में तलाक को प्राथमिकता देती है। संयुक्त परिवार के साथ नहीं रहने की जिद भी झगड़े की मूल जड़ बन चुका है। पूरे जिले के थानों की मानें तो ऐसे मामलों की संख्या तीन सौ से अधिक है।

यह भी पढ़ें : भैरू के दरबार में... हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा ,श्रद्धालुओं को 350 क्विंटल चूरमे का प्रसाद वितरित

जानकारों की माने तो नागौर ही नहीं डीडवाना, कुचामन, मकराना इलाकों के भी मामलों में वृद्धि हुई है। दहेज प्रताडऩा/घरेलू हिंसा के नाम पर दर्ज कई मामलों में आटा-साटा परम्परा से ब्याहने वाले भी शामिल है। कहीं पीहर से नहीं ले जाने की बात पर पेंच फंसा है तो कहीं साथ नहीं रखने की पति की जिद रिश्ते में आड़े आ रही है। अलग-अलग रिपोर्ट में शिकायतों की ढेरों वजह और जांच में इसके सच्ची नहीं होने की परेशानी भी पुलिस को झेलनी पड़ रही है।

तलाक कहीं नौकरी पाने का आधार
बताया जाता है कि तलाक तक पहुंचने वाले कई मामलों में अजीबोगरीब सच सामने आया। एक मामले में तो सबकुछ सही हो गया पर विवाहिता युवती सरकारी नौकरी पाने की लालसा में तलाक लेना चाहती थी। एक अन्य मामले में झूठे तलाक के आधार पर पत्नी को सरकारी नौकर बनाने के फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। असल में पढ़ी-लिखी युवती तलाक लेने के बाद खुद के पैरों पर खड़े होना चाहती है, कई बार इसलिए भी वो तलाक रोकने के सारे प्रयासों को खारिज कर देती है।

यह भी पढ़ें : धंसी जमीन ने किया हैरान, रहस्यमय तरीके से बना तीन फीट व्यास का पचास फीट गहरा गड्ढा

अब शक बड़ी वजह
पिछले आठ-नौ साल में ऐसे मामलों में काफी बदलाव आया है, पहले दहेज में गाड़ी/नकदी/जेवर जैसी वजह अब बेमानी हो गई है। पति-पत्नी पर शक की वजह भी इसका मुख्य आधार बनता जा रहा है। मोबाइल के साथ सोशल साइट पर बढ़ती सक्रियता के चलते भी पति-पत्नी के बीच कलह बढ़ रही है। कई मामले ऐसे भी सामने आए जिसमें आचरण पर संदेह जताते हुए लड़ते-झगड़ते मामला यहां तक पहुंचा।

यह है हाल
सूत्र बताते हैं कि जिले के महिला थाने और पारिवारिक परामर्श केन्द्र पर आए मामलों की पड़ताल की तो सामने आया कि साल में पौने दो सौ से अधिक यानी हर दूसरे दिन एक मामला दम्पती के विवाद का यहां आ रहा है। काउंसलर सपना टाक हो या थाना प्रभारी छीतर सिंह, दोनों मानते हैं कि इनमें से पचास फीसदी मामले समझाइश पर भले ही मान जाते हों पर शेष तो तलाक तक ही पहुंच रहे हैं। कहीं परिजन की अड़ी तो कहीं नाते-रिश्तेदारों की गलत समझाइश भी इसका मुख्य कारण है। शहरी इलाकों के मामले अधिक हैं तो तलाक तक पहुंचने वाले भी अधिकांश यही हैं।

इनका कहना...
नागौर नगर परिषद इलाके के भीतर महिला थाने तक सालभर में डेढ़ सौ मामले पहुंच रहे हैं, अन्य इलाकों के कुछ मामले यहां काउंसलिंग सेंटर तक आते हैं। कई बार छोटी-छोटी वजह होती है, जिसको समझाइश से हल कर दिया जाता है।
छीतर सिंह, थाना प्रभारी महिला थाना