बेनीवाल ने राजस्थान पुलिस के वृत्ताधिकारी हीरालाल सैनी का एक महिला पुलिस कार्मिक के साथ वायरल हुए अश्लील वीडियो के मामले में प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस मामले में राजस्थान पुलिस का दोगला चरित्र सामने आया है, क्योंकि वीडियो वायरल होने के बाद महिला कार्मिक के पति द्वारा नागौर जिले के चितावा थाने में परिवाद दर्ज कराने व जयपुर पुलिस आयुक्तालय के पुलिस कमिश्नर सहित आईपीएस अधिकारी प्रदीप मोहन शर्मा व परिस देशमुख, अजमेर एसपी सहित कई अन्य आईपीएस अधिकारियों व नागौर पुलिस के मामला संज्ञान में होने के बावजूद मामले में न्यायोचित कार्रवाई करने के स्थान पर पुलिस के उच्च अधिकारियों ने मामले में लीपापोती की व बड़ी रकम लेकर राजीनामे के प्रयास किए।
सांसद ने कहा कि यह दुर्भाग्य है कि सीएम के पास गृह मंत्रालय होने के बावजूद यह खेल विगत 2-3 माह से चल रहा है और सरकार ने जूनियर अफसरों पर निलंबन कर फोरी कार्रवाई करके इतिश्री करने का प्रयास किया है, जबकि पुलिस विभाग के बड़े चेहरों को बचाया जा रहा है। क्योंकि उन अधिकारियों के तार सीएमओ से जुड़े हैं। साथ ही सांसद ने कहा कि पुलिस अधिकारी हीरालाल सैनी के सीएमओ से जुड़े तार भी जगजाहिर हैं। ऐसे में सरकार को पूरे मामले में उच्च स्तरीय न्यायायिक जांच अथवा एक विशेष टीम का गठन करके मामले में संलिप्त पुलिस के सभी उच्च अधिकारियों को बर्खास्त करने की जरूरत है, ताकि सरकार का एक संदेश समाज में जाए। क्योंकि कोरोना काल में पुलिस की जो अच्छी छवि बनी, वो इस वीडियो के आने के बाद तार-तार हो गई है। साथ ही सरकार के ऑनलाइन एफआईआर सिस्टम की धज्जियां भी उड़ी है।
सांसद ने कहा कि यह दुर्भाग्य है कि सीएम के पास गृह मंत्रालय होने के बावजूद यह खेल विगत 2-3 माह से चल रहा है और सरकार ने जूनियर अफसरों पर निलंबन कर फोरी कार्रवाई करके इतिश्री करने का प्रयास किया है, जबकि पुलिस विभाग के बड़े चेहरों को बचाया जा रहा है। क्योंकि उन अधिकारियों के तार सीएमओ से जुड़े हैं। साथ ही सांसद ने कहा कि पुलिस अधिकारी हीरालाल सैनी के सीएमओ से जुड़े तार भी जगजाहिर हैं। ऐसे में सरकार को पूरे मामले में उच्च स्तरीय न्यायायिक जांच अथवा एक विशेष टीम का गठन करके मामले में संलिप्त पुलिस के सभी उच्च अधिकारियों को बर्खास्त करने की जरूरत है, ताकि सरकार का एक संदेश समाज में जाए। क्योंकि कोरोना काल में पुलिस की जो अच्छी छवि बनी, वो इस वीडियो के आने के बाद तार-तार हो गई है। साथ ही सरकार के ऑनलाइन एफआईआर सिस्टम की धज्जियां भी उड़ी है।