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संघर्ष व सेवा की प्रेरणा के साथ राष्ट्र सेविका समिति के 15 दिवसीय प्रशिक्षण वर्ग का समापन

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15 day training class of Rashtra Sevika Samiti concludes with the inspiration of struggle and service.

नागौर @ पत्रिका. वैदिक मंत्रों के साथ योगासन, दंड, यष्टि, नियुद्ध, योगचाप का प्रदर्शन करती बालिकाओं व मातृशक्ति ने घोषवादन के साथ विभिन्न रचनाओं का प्रदर्शन किया। यह ओजपूर्ण दृश्य साकार हुआ शारदा बालिका निकेतन उच्च माध्यमिक विद्यालय, शारदापुरम के प्रांगण में, जहां राष्ट्र सेविका समिति के 15 दिवसीय प्रवेश वर्ग के प्रशिक्षण वर्ग का शनिवार को समापन हुआ।

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इस मौके पर प्रवेश वर्गाधिकारी कल्पना शेखावत ने वर्ग की जानकारी देते हुए बताया कि जोधपुर प्रान्त के 7 विभागों के 20 जिलों के साथ जयपुर प्रांत और मध्यप्रदेश के कुल 69 स्थानों से 155 शिक्षार्थी सहित कुल 210 बहनों ने भाग लिया। इस प्रवेश वर्ग में जयपुर प्रांत से 15 बहनें और एक इंदौर से भी आई। प्रान्त कार्यवाहिका डॉ. सुमन रावलोत ने क्षेत्र में समिति की ओर से की जा रही गतिविधियों के बारे में जानकारी दी।समारोह में प्रान्त प्रचारिका ऋतु शर्मा व प्रान्त कार्यकारिणी की उपस्थित रही। वर्ग कार्यवाहिका मंजु गहलोत ने सभी का आभार जताया। मुख्य अतिथि के रूप में सहायक आचार्य कविता भाटी ने मार्गदर्शन दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता नेहरू युवा केंद्र की जिला समन्वयक सुरमयी शर्मा ने की। विभाग कार्यवाहिका मीना श्रीमाली ने अतिथियों का परिचय करवाया।

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राष्ट्र सेविका समिति के प्रशिक्षण वर्ग के समापन समारोह व प्रदर्शन को देखने के लिए बड़ी संख्या में शहर के नागरिक उपस्थित रहे। इस मौके पर संत जानकीदास, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला संघचालक मुकेश भाटी, सेविका समिति की जोधपुर प्रांत संपर्क प्रमुख कृष्णा द्विवेदी, प्रांत सह संपर्क प्रमुख धनपूर्णा, प्रांत सेवा प्रमुख विमला रांकावत भी उपस्थित रहीं। मुख्य वक्ता के रूप में समिति की अखिल भारतीय सम्पर्क प्रमुख पूनम शर्मा ने समिति की स्थापना, कार्य व उद्देश्य के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि भारत भूमि, देव भूमि, पुण्य भूमि है। इसकी सीमाएं अफगानिस्तान तक फैली हुई थी। बप्पा रावल, चंद्रगुप्त मौर्य कृष्णदेव राय, महाराणा प्रताप और छत्रपति शिवाजी व पृथ्वीराज चौहान को याद करते हुए उन्होंने कहा कि इनके शौर्य, पराक्रम और त्याग से ही अपना हिंदुत्व बचा रहा है।

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राम मंदिर की स्थापना को याद करते हुए उन्होंने कहा कि अपने राष्ट्र के प्रेरणा पुरुष श्रीराम के जन्म स्थान को बचाने के लिए हिंदुओं ने लंबा संघर्ष और बलिदान दिया है।

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अपने संस्कृति का संवर्धन व जो कुछ सिखा है, उसका अपने कार्य क्षेत्र में उपयोगिता संकल्प लेकर जाएंगे तो राम राज्य में सहयोग होगा।हम हमारे गौरवशाली विरासत को अगली पीढ़ी तक ले जाने के श्रेष्ठ कार्य को समिति के माध्यम से संपादित करें, यही इस प्रशिक्षण वर्ग की सार्थकता है।

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