
The government kept sleeping on the dry land due to water exploitation in this district of the state
जिले तीन साल बाद भूजल सर्वे शुरू, पहले 13 ब्लॉक मिले थे अतिदोहित
-तीन साल पूर्व हुए सर्वे में प्रतिवर्ष औसतन दो मीटर से नीचे का स्तर गिरने के तथ्य सामने आए थे
- जिले में अभी भी रिचार्ज होने की अपेक्षा दोगुना प्रतिशत ज्यादा पानी निकाल जा रहा है
नागौर. जिले में तीन साल बाद फिर से भूजल सर्वे किया जा रहा है। तीन साल पहले हुए सर्वे में नागौर जिले की स्थिति बेहद ज्यादा खराब थी। भूजल विभाग के आंकड़ों को माने तो जिले के 13 ब्लॉक अतिदोहित की स्थिति में थे। इनमें से नागौर की स्थिति क्रिटिकल थी। विभागीय जानकारों की माने तो तीन साल बाद भी स्थिति में बहुत ज्यादा सुधार हुआ है, नहीं कहा जा सकता है। फिलहाल सही वस्तुस्थिति तो सर्वे पूरा होने के बाद ही सामने आ पाएगी। अधिकारियों का कहना है कि स्थिति सुधारनी है तो फिर इसके लिए व्यापक स्तर पर प्रयास करने होंगे, नहीं तो फिर बहुत ज्यादा बेहतर हालात होने की उम्मीद नहीं की जा सकती है।
न्यूनतम वर्षा जल वाले क्षेत्रों में नागौर जिले की स्थिति पिछले कई सालों से भूजल के मामले में बेहद खराब चल रही है। गत वर्ष 2020 में हुए सर्वे भूजल का स्तर पिछले पांच सालों के अंतराल में दो मीटर से भी ज्यादा नीचे चला गया था। इसकी वजह वर्षा आधारित प्राप्त जल में से दोगुना से ज्यादा औसत में भूजल का उपयोग घरेलू एवं कृषि के साथ औद्योगिक कार्यों में प्रयुक्त किया जाना बताया जाता है।
39 साल पहले बेहतर स्थिति में था नागौर का भूजल
वर्ष 1984 तक जिले का कोई भी ब्लॉक अतिदोहन की स्थिति वाली श्रेणी में शामिल नहीं था, लेकिन वर्ष 1992 में हुए सर्वे में कुचामन, परबतसर एवं रियाबड़ी ब्लॉक के पहली बार अतिदोहन की स्थिति में पाए गए। इसके बाद वर्ष 2006 में छह और 2013 में नौ तथा वर्ष 2020 तक जिले के 14 में से 13 ब्लॉक अतिदोहन की स्थिति में पहुंच गए। महज 30 सालों के अंतराल में यह जिला भूजल दोहन उपयोग के अधिकतम स्तर तक जा पहुंचा है।
Published on:
08 Jun 2023 07:04 am
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