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अजमेर में दूध की रखवाली में ‘हेराफेरी’ करने वाले को नागौर में मिल गई ‘ठेकेदारी’

नागौर. बड़े बे-आबरू होकर निकाले गए तो बगल में ही उन्हें बड़े जोर-शोर से नवाजा गया। दूध की चोरी का इल्जाम लगने के बाद भी उनके साान में कोई कमी नहीं आई। जहां पकड़े गए, वहां से भले ही धकिया दिए गए हों, लेकिन दूसरी जगह ‘साहूकार’ बनकर ठेकेदारी हासिल कर ली। इतना ही नहीं यहां अपनी ‘स्वच्छ’ छवि का किरदार ऐसा निभाया की पता तक नहीं चलने दिया कि दूध की रखवाली उन्हें सौंपने के पीछे जोखिम भी कुछ ज्यादा ही है।

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अजमेर डेयरी में दूध चोरी के आरोप में अयोग्य घोषित ठेकेदार को नागौर डेयरी ने दिया ठेका,अजमेर डेयरी में दूध चोरी के आरोप में अयोग्य घोषित ठेकेदार को नागौर डेयरी ने दिया ठेका

वहां बहिष्कृत तो यहां पुरस्कृत क्यों, जबकि भविष्य में होने वाले ठेके के लिए अयोग्य करार,वहां बहिष्कृत तो यहां पुरस्कृत क्यों, जबकि भविष्य में होने वाले ठेके के लिए अयोग्य करार

जी हां, दूध परिवहन के एक ठेकेदार की यही हकीकत है। अजमेर जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड से अवैध तरीके से दूध चोरी के आरोप में ‘अयोग्य’ करार दिए गए ठेकेदार अजमेर निवासी सुखपाल चौधरी को नागौर-खाटू-बोरावड़-मकराना रूट पर दूध वितरण के साथ राशि एकत्र करने का ठेका दे दिया गया है। चंद दिनों के अंतर में यह ‘कार्रवाई’ हुई। नागौर जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड की ओर से गत 22 दिसंबर को सुखपाल को इसका ठेका दिया गया। जबकि अजमेर डेयरी ने गत 29 दिसंबर को ही दूध चोरी के आरोप में उसके दूध वितरण का कार्य निरस्त कर दिया। यही नहीं अजमेर डेयरी के प्रबंध संचालक उमेश चंद्र व्यास ने अपने आदेश में कहा कि दूध चोरी के मामले में सुखपाल चौधरी पर 25 हजार 780 का जुर्माना लगाया जाता है। इसे ठेकेदार की जमा राशि में से वसूला जाएगा। और तो और वैकल्पिक व्यवस्था होने तक अजमेर डेयरी को होने वाला घाटा भी इनसे वसूल किया जाएगा। आदेश में भविष्य में होने वाले किसी भी ठेके के लिए उसको अयोग्य घोषित किया गया।
एमडी और ठेकेदारों के मामलों की एक साथ सुनवाई
नागौर ञ्च पत्रिका. दूध परिवहन में अनियमितता के मामले के आईओ को राजस्थान उच्च न्यायालय, जोधपुर ने तलब किया है। अगली सुनवाई 13 जनवरी को होगी।
नागौर दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड की प्रबंध संचालक (एमडी) श्रीमती प्रमोद चारण ने करीब दस दिन पूर्व याचिका दायर कर अनियमितता करने वाले ठेकेदारों के खिलाफ प्रभावी अनुसंधान के निर्देश देने की अपील की थी। इस पर सोमवार को सुनवाई थी।
इस मामले की जांच एसआई बनवारी लाल कर रहे हैं। हाईकोर्ट एडवोकेट भानू प्रकाश माथुर ने बताया कि जस्टिस विश्नोई ने सुनवाई के लिए 13 जनवरी के आदेश दिए। इसी दिन ठेकेदारों की ओर से दर्ज एफआईआर निरस्त करने के मामले की भी सुनवाई होगी। पांच ठेकेदारों पर राशि बूथों पर जमा नहीं करने संबंधी यह मामला पिछले तीन महिनों से चल रहा है।
उधर, ठेकेदारों की ओर से भेजे जा रहे ज्ञापनों में कहा गया है कि उनकी जमा राशि ठीक ढंग से इंद्राज नहीं की गई। काफी राशि तो वो है जो जमा कराने के बाद भी उन पर बकाया बताई जा रही है।
वो पूरा हिसाब-किताब बैठकर करना चाहते हैं, लेकिन डेयरी के जिोदार इसके लिए समय ही नहीं दे रहे।
तीन महीने में एक रुपया ज्यादा
सूत्रों के अनुसार सितंबर 21 की शुरुआत में नागौर-बोरावड़-मकराना पथ में सिटी सप्लाई के लिए निविदा मांगी गई थी। इसमें दुग्ध परिवहन, वितरण व राशि संग्रहण का कार्य 1.89 रुपए प्रति लीटर की दर से ठेका छूटा था। फिर दिसंबर में प्रति लीटर लगभग एक रुपए की बढ़ोतरी का कारण किसी के समझ में नहीं आ रहा।
दूध का जला फिर भी...
है कि अजमेर डेयरी में दूध चोरी के बाद इतनी अधिक दर पर निविदा स्वीकृत की गई। यही नहीं पिछले कुछ महीनों से पांच ठेकेदारों पर बकाया को लेकर विवाद चल ही रहा है। ऐसे में खामियों को नजरअंदाज करना भी घातक हो सकता है। सुखपाल चौधरी का ठेका 22 दिसंबर 21 को स्वीकृत हुआ था, उसे छह जनवरी-22 तक समस्त कागजी कार्रवाई पूरी कर जमानत राशि वगैरह भी जमा करानी है।

सूत्रों का कहना है कि नागौर डेयरी संघ की ओर से 22 दिसंबर को नागौर-खाटू-बोरावड़-मकराना रूट पर 2.85 रुपए प्रति लीटर पर दूध परिवहन-वितरण-राशि संग्रहण का ठेका सुखपाल चौधरी को दिया गया। ठेका स्वीकृत होते ही इस बात पर भी सवाल उठे कि रेट ज्यादा देकर इसे ही क्यों काम मिला। कुछ ठेकेदार फर्मों ने इससे कम राशि दी थी, फिर भी वे बाहर हो गए। अजमेर डेयरी से ‘बेदखल’ होने के बाद यहां सुखपाल की ‘कारीगरी’ भी किसी को समझ नहीं आई। हालांकि नागौर दुग्ध उत्पादक संघ के जिोदार कहते हैं कि अजमेर में सुखपाल के किसी क्रियाकलाप की उन्हें कोई जानकारी नहीं मिली।जा
अयोग्य करार
ठेकेदार सुखपाल चौधरी के वाहन से दूध चोरी का मामला 18 दिसंबर 21 को पकड़ा गया था। जुर्माने के साथ घाटे की भरपाई भी सुखपाल से की जाएगी। भविष्य में होने वाली निविदाओं के लिए भी उसे अयोग्य करार दिया गया है।
उमेश चंद्र व्यास, एमडी, अजमेर जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड
कुछ नहीं हो सकता
हमारी जानकारी में अभी तक अजमेर डेयरी वाला प्रकरण नहीं आया है। रेट वगैरह सही हैं, भविष्य में होने वाली निविदाओं से उसे बाहर रखा जाएगा। अब जो स्वीकृत हो गई, उसका तो कुछ नहीं हो सकता।
श्रीमती प्रमोद चारण, एमडी, नागौर जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड