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राजस्थान में यहां पहली बार खुला MSP केंद्र, लेकिन 18 दिन बाद भी गेहूं बेचने नहीं आया एक भी किसान, सामने आई ये बड़ी वजह

MSP Center: सरकार ने गेहूं खरीद करने के लिए पहली बार राजस्थान के इस जिले में समर्थन मूल्य खरीद केन्द्र खोले हैं, लेकिन 18 दिन बाद भी एक भी किसान गेहूं बेचने नहीं पहुंचा।

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नागौर। सरकार ने गेहूं खरीद करने के लिए पहली बार जिले में समर्थन मूल्य खरीद केन्द्र खोले हैं, लेकिन खरीद केन्द्र शुरू होने के 18 दिन बाद गेहूं बेचने एक भी किसान नहीं पहुंचा। इसका कारण है समर्थन मूल्य से दो गुना ज्यादा दर पर बाजार में गेहूं की खरीद होना। कम भावों के कारण काश्तकारों ने समर्थन मूल्य खरीद केन्द्र से दूरी बना रखी है।

जिले में समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदने के लिए एफसीआई ने गत 10 मार्च को कृषि उपज मण्डी में खरीद केन्द्र खोला था। जिले में अन्य केन्द्र नहीं होने से अधिकारियों को उम्मीद थी कि गेहूं की बेहतर खरीद होगी। एफसीआई के अधिकारियों ने इस संबंध में किसानों से संपर्क कर उनको जानकारी दी साथ ही स्थानीय जनप्रतिधियों के माध्यम से किसानों को खरीद केन्द्र तक बुलाने का प्रयास किया। कवायद के बाद भी अधिकारियों के प्रयास कारगर साबित नहीं हुए।

एफसीआई अधिकारियों का मानना है कि बाजार भाव डेढ़ से दोगुना ज्यादा होने से किसान केन्द्रों में नहीं पहुंच रहे हैं। गेहूं का समर्थन मूल्य 2575 रुपए प्रतिक्विटंल तय किया हुआ है। जबकि खुले बाजार में किसानों से गेहूं 3 से 4 हजार रुपए प्रति क्विंटल की दर खरीदा जा रहा है। खुले बाजार में किसानों को करीब 1000 से लेकर 1500 रुपए का मुनाफा हो रहा है। ऐसे में किसान समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचकर घाटा नहीं उठाना चाहता।

उत्पादन में भारी, खरीद केन्द्र में जीरो

जिले में गत छह वर्ष में एक भी वर्ष गेहूं का रकबा 50 हजार हेक्टेयर से कम नहीं रहा है। कृषि विभाग के अधिकारिक आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2018-019 में 51378 हेक्टेयर, 2019-20 में 68011 हेक्टेयर, 2020-021 में 60655 हेक्टेयर, 2021-022 में 45158 हेक्टेयर, 2022-23 में 50074 हेक्टेयर एवं वर्ष 2024 में 61628 हेक्टेयर रकबा रहा है। उत्पादन बेहतर होने के बाद भी किसान का खरीद केन्द्र पर नहीं पहुंचने से स्थिति साफ है कि सरकार की समर्थन मूल्य दर से किसान नाखुश हैं।

गेहूं को नहीं पहचानने वाले मूल्य निर्धारित कर रहे

कृषि उपज मण्डी में काश्तकारों का कहना था कि गेहूं की क्वालिटी को नहीं पहचानने वाले उसका मूल्य निर्धारण कर रहे हैं। सरकार गेहूं खरीदना ही नहीं चाहती है। यह तो खानापूर्ति के के लिए केन्द्र खोल दिए । वास्तव में सरकार गंभीर होती तो समर्थन मूल्य और बाजार मुल्य में इतना अंतर नहीं होता।

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किसान बोले- घाटा उठाकर क्यों बेचेंगे

किसान सुरेश ने कहा कि किसान खेतों में हाड़तोड़ मेहनत करता है, और उसे लागत के साथ ही अपनी मेहनत का फल भी चाहिए। बाजार में अच्छे भाव मिल रहे हैं, लेकिन खरीद केन्द्र में प्रति क्विंटल एक हजार से ज्यादा का घाटा उठाना पड़ेगा। वहीं, किसान सहदेव ने कहा कि समर्थन मूल्य दर 2425 है, और बाजार में अच्छा गेहूं प्रति क्विंटल 4 हजार रुपए में तुरंत बिक जा रहा है। फिर समर्थन मूल्य केन्द्र पर किसान क्यों जाएगा। दर निर्धारण करने वाले कृषि व किसानों को समझते ही नहीं हैं।

इनका कहना है

पहली बार नागौर जिले में गेहूं का समर्थन मूल्य केन्द्र खुला है। फिलहाल फसलों की कटाई चल रही है, समर्थन मूल्य दर से बाजार भाव बेहतर होने के कारण भी किसान नहीं आ रहे हैं। विभाग किसानों को केन्द्र पर लाने का प्रयास कर रहा है।
-पवन कुमार खटनावालिया, किस्म निरीक्षक, भारतीय खाद्य निगम, नागौर।

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