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प्रदेश की इन बेटियों ने किया अनूठा आयोजन, बचपन में बिछड़ी सारी सखियां मिली, किया 60 लाख का दान

नागौर जिले के खजवाना क्षेत्र के भटनोखा गांव में इन दिनों बहुत ही खास और अनोखा आयोजन देखने को मिला। मौका था सखी सम्मेलन और भागवत कथा के आयोजन का। यह केवल सम्मेलन ही नहीं वरन एक मिलन का महाकुम्भ बन गया, जिसमें एक परिवार जो 318 साल पहले विक्रम संवत 1762 में गुजरात चला […]

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भटनोखा में हुए श्रीमद् भागवत के दौरान मौजूद क्षेत्र की बेटियां।

नागौर जिले के खजवाना क्षेत्र के भटनोखा गांव में इन दिनों बहुत ही खास और अनोखा आयोजन देखने को मिला। मौका था सखी सम्मेलन और भागवत कथा के आयोजन का। यह केवल सम्मेलन ही नहीं वरन एक मिलन का महाकुम्भ बन गया, जिसमें एक परिवार जो 318 साल पहले विक्रम संवत 1762 में गुजरात चला गया, लेकिन विधि का विधान कहो या बहनों की इच्छाशक्ति, उस परिवार के सदस्य भी इस सम्मेलन में शामिल हुए और अपने अतीत को पुनर्जीवित किया। कार्यक्रम में भाइयों की तरह शामिल हुए भटनोखा के नारायण सिंह सेवड़ ने बताया कि 318 वर्ष पहले सुजानसिंह भटनोखा से रोजगार की तलाश में गुजरात चले गए और वहीं बस गए, लेकिन यह अनूठा आयोजन परिवार को अपने मूल गांव की तरफ खींच लाया। यहां आकर अपने इतिहास को तो जाना ही, साथ ही गांव से जुड़ाव भी कायम किया।

ये दानदाता आए आगे

ग्रामीण औंकारसिंह ने बताया कि भागवत कथा के दौरान जब्बरसिंह की स्मृति में उसके पिता लालसिंह ने 21 लाख रुपए नगद राशि गोसेवा के लिए भेंट की। वहीं खींवसिंह पुत्र शेरसिंह राठौड़ ने फंटा सहित ट्रैक्टर -ट्रॉली भैरूं बाबा गोशाला सेवा समिति को सुपुर्द किया। सखियों ने जो राशि भागवत कथा के लिए एकत्र की, उसको गोशाला में भेंट करते हुए आयोजन का खर्च समाज के लोगों ने उठाया।

बहनों के 7 लाख, गोसेवा के लिए बने 60 लाख

भटनोखा राजपुरोहित समाज की बहन बेटियों ने सखी ग्रुप बना कर सात दिन में 7 लाख की राशि एकत्र कर पीहर में भागवत कथा आयोजन करवाने की इच्छा जताई, जिस पर सखियों के भाइयों ने इस नवाचार का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की तैयारियां की और भागवत कथा का आयोजन करवाया। कथा के दौरान भक्ति और गोसेवा को इतना बल और प्रोत्साहन मिला कि देखते ही देखते एक लाख से शुरुआत हुई दान राशि 60 लाख तक पहुंच गई।

40 साल बाद मिलकर खिले सखियों के चेहरे

भागवत कथा एवं सखी सम्मेलन के उद्देश्य से एकत्र हुई गांव की सखियों की जब आपस में मुलाकात हुई तो सखियों के चेहरे बचपन के रंगों से भर गए। चूरू जिले के तोलियासर गांव से आई 60 वर्षीय गुलाब कंवर ने बताया कि वह अपनी बचपन की सखी पाली जिले के पुनायता निवासी कंवरी बाई, वनदार गांव की सुगनी कंवर, ढाबर निवासी गीता कंवर व सीता से 30 से 40 साल बाद मिली। मिलकर बचपन में छूटे सतौलिया, लंगड़ी टांग, गड्डा, कबड्डी जैसे खेल खेलकर बचपन की यादें जात हो गई।

शिक्षा निधि में दिए 3 लाख

सखी सम्मेलन में 14 मई को ब्रह्मधाम आसोतरा से वेदांताचार्य ध्यानाराम महाराज भागवत कथा की कलश यात्रा में सम्मिलित हुए। भागवत कथा के पहले दिन ग्रामीणों ने ब्रह्म धाम आसोतरा की ओर से संचालित समाज शिक्षा निधि में 3 लाख रुपए दिए। इस निधि का उपयोग समाज के जरूरतमंद विद्यार्थियों की शिक्षा के लिए किया जाएगा।