
This village does not have a higher structure than the Kalka Mata Temp
रूढ. पंचायत समिति मूंडवा के ग्राम असावरी गांव के पूर्व की साइड में पहाड़ी पर स्थित कालका माता का मंदिर स्थित है। मंदिर तक पहुंचने के लिए कुल 171 सीढियां चढऩी पड़ती है। मंदिर के गर्भ ग्रह में स्थित शिलालेख के अनुसार विक्रम संवत 1885 में मंदिर की स्थापना की गई । मंदिर में शुरू से ही गांव के जाट जाति के खुडखुडयि़ा गोत्र के ही पुजारी रहते आए हैं। प्रतिवर्ष यहां पर पुजारी बदलने की परंपरा भी है। वर्तमान में पुजारी रामनिवास खुडखुडयि़ा यहां के पुजारी हैं। मंदिर में पशु बलि एवं शराब का अर्पण प्रतिबंधित है। बताते हैं कि पहाड़ी पर सिर्फ देवली ही रखी गई थी। इसकी पूजा करने वाले पुजारी इसी गांव के किसान थे। जनश्रुति है कि एक समय इस पुजारी किसान के बैलों की जोड़ी खरीफ की फसल बुवाई के दौरान चोरी हो गई। परेशान पुजारी कालका माता की मूर्ति के समक्ष जाकर रोने लगे। पुजारी ने हठ पकड़ लिया कि बैलों की जोड़ी वापस नहीं मिलने तक अपना सर नहीं उठाएंगे। दो घंटे के बाद बाद बैल मिलने बाद बाद में ग्रामीणों के सहयोग से किसान मंदिर का निर्माण कराया। ग्रामीण बताते हैं कि पहाड़ी पर स्थित मंदिर के पास एक मोबाइल टावर नहीं बन पा रहा था। बाद में मां कालका का अर्चन शुरू करने के बाद ही टॉवर का काम पूरा हो पाया। ग्रामीणों की माने तो इस गांव में मंदिर की ऊंचाई से अधिक ऊंचाई की कोई भी इमारत नहीं बनती है। कारण इसका आस्था के साथ माता का चमत्कार बताते हैं। एक और प्रचलित किवदंती के अनुसार इसी मंदिर के पास ही पहाड़ी पर एक राजा ने किले का निर्माण शुरू किया। कालका माता ने स्वप्न में राजा को किला नहीं बनाने के लिए चेताया, लेकिन राजा नहीं माना। किले की दीवार बनने के बाद अगले दिन टूट जाती। लगातार दस दिनों तक यह सिलसिला चलने के बाद राजा ने कालका माता से क्षमायाचना करते हुए किला नहीं बनाने का वचन दिया, और माफी मांगी। आज भी इसके पहाड़ी में उस गिरी हुई दीवारों के अवशेष मौजूद हंै। नवरात्र के दिनों में यहां पर जनसहयोग से दो बार मेले का आयोजन होता है। नौ दिनों तक लगातार विविध धार्मिक कार्यक्रम होते रहते हैं। वर्तमान में मंदिर के निर्माण को नए सिरे सुव्यवस्थित किए जाने का काम चल रहा है। गांव में किसी भी भवन या घर का निर्माण शुरू होने से पूर्व एक पट्टी वह मंदिर के निर्माणार्थ देने के बाद ही अपना काम करता है। यहां पर आभूषण बनवाए जाने के दौरान पहले माता को चांदी का घुंघरू अर्पित किया जाता है। मंदिर परिसर में 17 अक्टूबर को जागरण एवं 18 को मेला भरेगा। इसमें भजन गायक अनिल सैन ,अमन मालिया , तुलसीराम सेन और दौलत गरवा बरस बरस मारा इंदर राजा फेम पार्टी भजनों की प्रस्तुतियां दी जाएंगी। इस दौरान धार्मिक झांकियां भी सजेंगी।
Published on:
16 Oct 2018 11:21 am
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