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वीडियो : पोषाहार में डबल भ्रष्टाचार, पहले सप्लाई में कमीशन, फिर बिल पास करने की रिश्वत, सरकार को हर महीने 50 लाख की चपत

- एसीबी ने तीनों ठेकेदारों को भी किया गिरफ्तार, उपनिदेशक सहित चारों रिमांड पर- आंगनबाड़ी केन्द्रों के पोषाहार वितरण में भ्रष्टाचार का मामला

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Corruption in nutrition

नागौर. जिले महिला एवं बाल विकास विभाग के आंगनबाड़ी केन्द्रों में पोषाहार वितरण में भ्रष्टाचार को लेकर एसीबी की कार्रवाई में कई बड़े खुलासे हो रहे हैं। विभाग में भ्रष्टाचार का यह खेल पिछले 14-15 वर्ष से चल रहा था, लेकिन पकड़ में नहीं आने के कारण ठेकेदारों के हौसले इतने बुलंद हो गए कि उन्होंने पूरा का पूरा पोषाहार डकारना शुरू कर दिया। एसीबी के अजमेर एसपी कैलाश विश्नोई ने बताया कि नागौर जिले में अधिकारी व ठेकेदार मिलकर हर महीने 40 से 50 लाख रुपए की चपत लगा रहे थे। विभाग के अधिकारियों की स्थिति यह थी कि वे पोषाहार वितरण में दोहरा भ्रष्टाचार कर रहे थे, पहले सप्लाई वितरण में कमीशन और फिर ठेकेदार द्वारा पेश किए जाने वाले झूठे बिलों को पास करने की एवज में रिश्वत। बच्चों एवं महिलाओं की सेहत सुधारने के लिए सरकार हर महीने लाखों रुपए का बजट दे रही थी, लेकिन उससे ठेकेदार व अधिकारियों की चमड़ी मोटी हो रही थी।

तीन दिन रिमांड मांगा, एक दिन का मिला
एसीबी अधिकारियेां ने पोषाहार वितरण में भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार नागौर महिला एवं बाल विकास विभाग की उपनिदेशक उषा रानी, ठेकेदार हरिसिंह चारण, योगेश दायमा व किशोर बेन्दा को बुधवार को अजमेर एसीबी कोर्ट में पेश कर तीन दिन का रिमांड मांगा, लेकिन कोर्ट ने एक दिन का रिमांड दिया है। एसीबी अधिकारियों ने बताया कि मामला काफी बड़ा होने के कारण एक दिन में पूछताछ पूरी नहीं हो पाएगी, इसलिए गुरुवार को चारों आरोपियों को पेश कर दुबारा रिमांड मांगा जाएगा।

40 प्रतिशत कमीशन ले रहे थे
विभागीय अधिकारी व कर्मचारी पोषाहार के बजट का 40 प्रतिशत कमीशन ठेकेदार से ले रहे थे। यानी पोषाहार वितरण से पहले ही ठेकेदार कमीशन के पेटे 40 प्रतिशत राशि अधिकारियों व कर्मचारियों के नाम चढ़ा देता था। इसके बाद 60 प्रतिशत राशि ठेकेदार खुद डकार रहे थे। स्थिति यह थी कि आंगनबाड़ी केन्द्रों में पोषाहार पहुंच ही नहीं रहा था या फिर महीने में चार दिन सप्लाई करने के स्थान पर एक बार सप्लाई की जा रही थी, उसकी भी गुणवत्ता बहुत ज्यादा निम्न स्तर की थी। एसीबी अधिकारियों ने बताया कि कई सेंटर तो ऐसे हैं जहां चार-चार महीने से सप्लाई नहीं हुई।

लपेटे में आएंगे कई अधिकारी
सरकारी कार्यालयों व ठेकेदारों के घरों से जब्त किए गए रिकॉर्ड से एसीबी को बड़े मामले खुलने की उम्मीद है। एसीबी अधिकारी गिरफ्तार आरोपियों से अलग-अलग पूछताछ कर क्रॉस चेक करेगी, ताकि भ्रष्टाचार के इस खेल में शामिल अन्य लोगों को भी सलाखों के पीछे भेजा जा सके। अधिकारियों का कहना है कि जांच में पिछले करीब 10-12 सालों में रहे अधिकारी व कर्मचारियों की भूमिका भी हो सकती है।

एक महीने तक किया ऑब्जर्व
एसीबी को आंगनबाड़ी केन्द्रों में भ्रष्टाचार की शिकायत करीब एक महीने पहले मिली थी, जिसके बाद अधिकारियों ने शिकायत की पुष्टि करने के लिए करीब एक महीने तक विभाग की गतिविधियों को ऑब्जर्व (निरीक्षण) किया, जिसमें सच्चाई पाई जाने पर मंगलवार को एक साथ 11 स्थानों पर कार्रवाई की गई।

दो ठेकेदार भाजपा के पदाधिकारी रहे
पोषाहार वितरण के भ्रष्टाचार में गिरफ्तार ठेकेदार किशोर बेंदा व योगेश दायमा भाजपा के पदाधिकारी रह चुके हैं और सहकारिता मंत्री अजयसिंह के काफी नजदीक भी हैं। ऐसा भी सुनने में आ रहा है कि दोनों ठेकेदार मंत्री के खास होने के कारण उन्हें कोई छेड़ता भी नहीं था।

मामला बड़ा, जांच के बाद आगे बढ़ेंगे
महिला एवं बाल विकास विभाग में भ्रष्टाचार का मामला पिछले कई वर्षों से चल रहा था, जिसकी जांच गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ व जब्त किए गए रिकॉर्ड के आधार पर की जा रही है। यह जांच होने के बाद आगे बढ़ेंगे, जिसमें और भी कई अधिकारी व कर्मचारियों की मिलीभगत सामने आ सकती है। विभाग में भ्रष्टाचार का यह मामला काफी बड़ा है, जिसमें ठेकेदार व अधिकारी मिलकर सरकार को हर माह 40 से 50 लाख का नुकसान पहुंचा रहे थे।
- कैलाश विश्नोई, एसपी, एसीबी, अजमेर