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नागौर. जिले के पांचौड़ी, सदर एवं गोटन थाना क्षेत्र में लगे इंडस कम्पनी के मोबाइल टॉवर में पिछली दो रात में आग लगाने की घटनाओं ने ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल सेवा को प्रभावित किया है, वहीं कम्पनी के लिए परेशानी तथा पुलिस के लिए चुनौती खड़ी कर दी है। पुलिस के लिए चुनौती इसलिए है क्योंकि करीब दो माह पूर्व चितावा थाने के दौलतपुरा में भी इसी तरह इसी कम्पनी का एक मोबाइल टॉवर जलाया गया था, जिसे लेकर एफआईआर दर्ज होने के बावजूद पुलिस आग लगाने वालों को गिरफ्तार नहीं कर सकी। पुलिस की प्रारम्भिक जांच में यह सामने आया कि कम्पनी पहले टेक्नीकल कर्मचारियों को हजारों लीटर डीजल सप्लाई करती थी, लेकिन अब कम्पनी ने डीजल की सप्लाई बंद कर दी है, जिसके कारण कर्मचारियों की 'ऊपरी' कमाई बंद हो गई, उसी का रिएक्शन 'आग' के रूप में सामने आ रहा है।
हालांकि मंगलवार की रात को गुढ़ाभगवानदास व रायधनु में तथा व बुधवार रात गागूड़ा फांटा पर टॉवर में आग लगाने की घटना के बाद संदिग्ध लोगों को पकडऩे के लिए पुलिस सक्रिय टीमें संभावित ठिकानों पर दबिश दे रही हैं। पुलिस के हाथ कुछ सीसी टीवी फुटेज भी लगे हैं, जिनसे आरोपियों की पहचान करने में सहायता मिलेगी।
सेवानिवृत्त सूबेदार को बनाया शिकार
टॉवर कम्पनी व कर्मचारियों की लड़ाई का शिकार गुरुवार शाम को सेवानिवृत्त सूबेदार को होना पड़ा। मानासर क्षेत्र में रहने वाले सेवानिवृत्त सूबेदार किशनसिंह राठौड़ (50) पुत्र मोहनसिंह गुरुवार शाम को डिस्कॉम कार्यालय से पैदल अपने घर जा रहे थे। इस दौरान कॉलोनी में लगे टॉवर से निकले युवकों ने उन पर हमला कर दिया। हमले में किशनसिंह के दोनों हाथ टूट गए और सिर में चोट लगने से चार टांके आए हैं। उन्होंने बताया कि हमला करने वाले युवक तीन गाडिय़ों में सवार थे। जिन्होंने करीब सात-आठ मिनट तक उनका पीछा कर मारपीट की।
डीजल की चोरी होती थी
मोबाइल टॉवर कम्पनी अधिकारियों का कहना है कि पहले बिजली सप्लाई बंद होने पर जनरेटर चलाने के लिए डीजल दिया जाता था, लेकिन कर्मचारी डीजल कम काम लेकर उसे बेच देते थे। इससे कम्पनी को काफी नुकसान हो रहा था। इस भ्रष्टाचार को बंद करने के लिए कम्पनी ने डीजल की सप्लाई बंद कर दी और भ्रष्टाचार में लिप्त कर्मचारियों के ट्रांसफर कर दिए। मोबाइल टॉवर जलाने के बाद कम्पनी अधिकारियों द्वारा थानों में दी गई रिपोर्ट में शक जाहिर किया गया है कि जिन कर्मचारियों के ट्रांसफर किए थे, वे आग लगाने की हरकत कर सकते हैं। अब पुलिस उन्हें तलाश रही है।
सुरक्षा व टेक्निकल काम अलग-अलग कम्पनी को
सदर थानाधिकारी सुनील चारण ने बताया कि रायधनु स्थित जिस टॉवर में आग लगी है, इसकी सुरक्षा का काम आरएस सिक्युरिटी को तथा टेक्निकल काम प्रताप टेक्नोक्रेट कम्पनी को दिया हुआ है। आरएस सिक्युरिटी सुपरवाइजर घनश्याम ने रिपोर्ट दी कि गत दिनों टेक्निकल कर्मचारियों के ट्रांसफर किए गए, इसलिए उन पर संदेह है। इसी प्रकार पांचौड़ी थानाधिकारी सिद्धार्थ प्रजापत ने बताया कि चार जनों के नाम शक के दायरे में हैं, अभी वो पकड़ में आए नहीं हैं। उनसे पूछताछ के बाद ही वास्तविक कारणों का पता लग पाएगा। संदिग्ध लोगों की तलाश में पुलिस टीमें लगी हुई है।
दधवाड़ा में मोबाइल टावर जलाया
कस्बे के निकटवर्ती गागुडा गांव में मोबाइल टावर जलाया गया मोबाइल कंपनी के अधिकारी राजाराम ने बताया कि गागुडा गांव में निजी कम्पनी के मोबाइल टावर 14 गांव मॉनिटरिंग कर रहे थे जो बंद पड़े हैं । जानकारी के अनुसार मोबाइल टावर में कुछ अज्ञात लोगों ने आग लगा दी जिसमें सारा सिस्टम जलकर राख हो गया। सूचना मिलने पर गोटन पुलिस मौके पर पहुंची तथआ फायर ब्रिगेड ने आग बुझाई। प्राप्त जानकारी के अनुसार 20 जून को रात में अज्ञात लोगों ने दूरसंचार कंपनी के टावर पर आग लगा दी। जिससे लाखों का नुकसान हुआ। घटना के बाद भीड़ एकत्रित हो गई। आग लगने के बाद सुबह तक धुआं उठता रहा। कंपनी मैसर्स इंदस टावर लिमिटेड कंपनी के कर्मचारियों ने संदेश जाहिर किया कि अज्ञात लोगों ने टावर को आग लगाई। कंपनी की ओर से कुछ पूर्व कर्मियों पर भी संदेह जताया गया है।
कमाई का जरिया बंद हो गया
मोबाइल टॉवर में आग लगाने को लेकर की गई प्रारम्भिक जांच में यह सामने आया है कि कम्पनी पहले जनरेटर चलाने के लिए डीजल की सप्लाई करती थी, लेकिन बाद में कम्पनी को पता चला कि कर्मचारियों द्वारा डीजल को वापस ब्लैक में बेचा जा रहा है। इसे देखते हुए कम्पनी ने डीजल देना बंद कर दिया। इससे जमीन मालिक या कर्मचारी, जिसके भी साथ कम्पनी का एमओयू हुआ था, उनकी कमाई का जरिया बंद हो गया। उसी के परिणामस्वरूप उन्होंने विरोध जताने के लिए टॉवर जलाए ऐसी आशंका है।
परिस देशमुख, पुलिस अधीक्षक, नागौर
Published on:
22 Jun 2018 12:05 pm
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