मुख्यमंत्री गहलोत रविवार को मुख्यमंत्री निवास से वर्चुअल रूप से आयोजित 72वें वन महोत्सव एवं ‘घर-घर औषधि योजना’ के शुभारम्भ समारोह को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री निवास पर उन्होंने गिलोय का औषधीय पौधा लगाकर योजना की शुरुआत की। इस दौरान नागौर जिला मुख्यालय स्थित भारत निर्माण राजीव गांधी सेवा केंद्र से जिला कलक्टर डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी के साथ नगर परिषद सभापति मीतू बोथरा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी जवाहर चौधरी, जिला रसद अधिकारी पार्थ सारथी, जिला वन संरक्षक ज्ञानचंद मकवाना, सीडीपीओ दुर्गासिंह उदावत, सीओ गाइड मीनाक्षी भाटी, सीओ स्काउट अशफाक पंवार सहित अन्य जिला स्तरीय अधिकारी वीसी से जुड़े।
योजना को देंगे जन आंदोलन का रूप
गहलोत ने कहा कि कोविड महामारी के इस दौर में प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों का महत्व फिर से साबित हुआ है। इसके साथ ही प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए लोगों ने औषधीय पौधों का लाभ लिया है। निरोगी राजस्थान के संकल्प को साकार करने के लिए भावी पीढ़ी को भी इन औषधीय पौधों के महत्व और उपयोग की जानकारी मिलना आवश्यक है। इसी को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2021-22 के बजट में ‘घर-घर औषधीय योजना‘ प्रारम्भ करने की घोषणा की गई थी, जिसे आज मूर्त रूप दिया गया है।
गहलोत ने कहा कि कोविड महामारी के इस दौर में प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों का महत्व फिर से साबित हुआ है। इसके साथ ही प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए लोगों ने औषधीय पौधों का लाभ लिया है। निरोगी राजस्थान के संकल्प को साकार करने के लिए भावी पीढ़ी को भी इन औषधीय पौधों के महत्व और उपयोग की जानकारी मिलना आवश्यक है। इसी को ध्यान में रखते हुए वर्ष 2021-22 के बजट में ‘घर-घर औषधीय योजना‘ प्रारम्भ करने की घोषणा की गई थी, जिसे आज मूर्त रूप दिया गया है।
1.26 करोड़ परिवारों को मिलेंगे नि:शुल्क औषधीय पौधे
वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री सुखराम विश्नोई ने बताया कि योजना के तहत वन विभाग की ओर से आगामी पांच वर्षों में प्रदेश के सभी 1 करोड़ 26 लाख परिवारों को तुलसी, गिलोय, कालमेघ और अश्वगंधा के आठ-आठ औषधीय पौधे तीन बार नि:शुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे। यह पौधे वन विभाग अपनी पौधशालाओं में तैयार करेगा। राज्य सरकार इस योजना पर 210 करोड़ रुपए व्यय करेगी।
वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री सुखराम विश्नोई ने बताया कि योजना के तहत वन विभाग की ओर से आगामी पांच वर्षों में प्रदेश के सभी 1 करोड़ 26 लाख परिवारों को तुलसी, गिलोय, कालमेघ और अश्वगंधा के आठ-आठ औषधीय पौधे तीन बार नि:शुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे। यह पौधे वन विभाग अपनी पौधशालाओं में तैयार करेगा। राज्य सरकार इस योजना पर 210 करोड़ रुपए व्यय करेगी।
प्रत्येक परिवार औषधीय पौधे लगाए
मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों से अपील की है कि योजना के तहत दिए जाने वाले पौधों को वे अपने घरों या अन्य किसी उचित स्थान पर लगाएं और दूसरे लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि मैंने प्रदेश के सभी सांसदों एवं विधायकों को योजना में भागीदारी निभाने तथा लोगों को जागरूक करने के लिए पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने नि:शुल्क वितरण के लिए तुलसी, गिलोय, कालमेघ और अश्वगंधा जैसे औषधीय पौधों का चयन किया है जो प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सर्वाधिक कारगर हैं।
मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों से अपील की है कि योजना के तहत दिए जाने वाले पौधों को वे अपने घरों या अन्य किसी उचित स्थान पर लगाएं और दूसरे लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि मैंने प्रदेश के सभी सांसदों एवं विधायकों को योजना में भागीदारी निभाने तथा लोगों को जागरूक करने के लिए पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने नि:शुल्क वितरण के लिए तुलसी, गिलोय, कालमेघ और अश्वगंधा जैसे औषधीय पौधों का चयन किया है जो प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सर्वाधिक कारगर हैं।
लघु वन उपज बढ़ाने के लिए वन विकास निगम का गठन
गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में वन क्षेत्र में वृद्धि के लिए लगातार प्रयासरत है। जोधपुर में पद्मश्री कैलाश सांखला स्मृति वन विकसित करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। लघु वन उपज उत्पादन वृद्धि के लिए राज्य वन विकास निगम का गठन किया गया है। साथ ही ताल छापर अभयारण्य में वन्यजीव प्रबंधन प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित किया जा रहा है।
गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में वन क्षेत्र में वृद्धि के लिए लगातार प्रयासरत है। जोधपुर में पद्मश्री कैलाश सांखला स्मृति वन विकसित करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। लघु वन उपज उत्पादन वृद्धि के लिए राज्य वन विकास निगम का गठन किया गया है। साथ ही ताल छापर अभयारण्य में वन्यजीव प्रबंधन प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित किया जा रहा है।