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ऐसे प्लान से तैयार होगा नागदा… सात साल से फाइल एक टेबल पर

मास्टर प्लान - मध्यप्रदेश सरकार ने मंगवाए थे दावे-आपत्ति

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नागदा

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Lalit Saxena

Mar 04, 2018

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How is this plan ... File on a table for seven years

नागदा. शहर की तस्वीर व तकदीर बदलने की महत्वपूर्ण योजना लगभग ७ वर्ष से राजधानी में अटकी हुई है। करोड़ों के मास्टर प्लान प्रोजेक्ट की फाइल भोपाल में कार्यालय में धूल खा रही है। हालांकि नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने वर्ष २०१७ में शहर के मास्टर प्लान में फेरबदल किया था, लेकिन इसके बाद भी अभी तक मास्टर प्लान का प्रारूप तैयार नहीं हुआ है।

अब देखना है कि कब तक शहर का मास्टर प्लान तैयार होता है। नगर ग्राम एवं निवेश विभाग ने वर्ष २०११ में शहर का मास्टर प्लान तैयार किया था, जिसे दावे आपत्ति के बाद अंतिम निर्णय के भोपाल भेजा था लेकिन अभी तक मास्टर प्लान तैयार नहीं हुआ। अब पुन: विभाग ने दावे-आपत्ति मंगवाई थी।

७ वर्ष से अटका है मास्टर प्लान

वर्ष २०११ में जनगणना के आंकड़े के अनुसार शहर का मास्टर प्लान तैयार किया गया था। अक्टूबर २०११ में नगर ग्राम एवं निवेश विभाग ने नपा कार्यालय नागदा में १० दिन मास्टर प्लान की प्रदशर्नी लगाकर दावे-आपत्ति मंगवाईथी। उस समय कुछ लोगों ने दावे आपत्ति भी लगाई थी। स्थानीय उद्योग ने भी कुछ मुद्दों पर आपत्ति दर्ज कराई थी, जिसके बाद भोपाल में दावे आपत्ति का निराकरण प्रकाशन भी कर दिया था लेकिन राज्य शासन ने ११ जुलाई २०१७ को मास्टर प्लान में फेरबदल किया था जिसका प्रकाशन 2 फरवरी २०१८ में पुन: दावे आपत्ति मंगवाई। यह आपत्ति अपर सचिव मप्र शासन नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने मंगवाई।

आखिर कब लागू होगा मास्टर प्लान

मास्टर गत ७ वर्ष से अटका हुआ पड़ा है। आखिरकार अब मास्टर प्लान कब लागू होगा, इसका इंतजार शहरवासी कर रहे है। स्थानीय राजनेताओं की ईच्छा शक्तिके अभाव में मप्र सरकार की महत्वपूर्ण योजना कागजों में ही दबी हुई पड़ी हुई है। मास्टर प्लान मप्र सरकार ने वर्ष २०२१ तक की जनसंख्या आंकलन १ लाख ६५ हजार अधारा बनाकर प्रारुप तैयार किया था, जबकि २०२१ में अब महज ३ वर्ष का समय शेष बचा है। मप्र सरकार ने जब मास्टर प्लान तैयार किया था। उस समय शहर की जनसंख्या १,००,०३६ थी। प्लान दो चरण में तैयार किया गया था। प्रथम चरण में लगभग ३२८ हैक्टेयर भूमि अधिगृहीत कर विकसित किया जाना है। प्रथम चरण की अनुमानित लागत २८९ करोड़ आंकी गई है।

क्यों अटका है मामला

मास्टर प्लान में रिंग रोड का मुद्दा प्रमुख है। इस रिंग रोड को लकर कुछ रसूखदारों ने आपत्ति भी ली थी। प्लान के अनुसार रिंग रोड बिरलाग्राम क्षेत्र में उद्योग के समीप से निकल रहा था, जिसके निर्माण में उद्योग की कुछ जमीन का भाग भी शामिल था। रिंग रोड पर आपत्ति के बाद मप्र सरकार ने रिंग रोड का प्रारूप ही बदल दिया। प्लान के अनुसान रिंग रोड ७ किमी लंबा व ३० मीटर चौड़ा बनना है, जिसके बाद जुलाई में किए गए बदलाव के बाद रिंग रोड की शुरुआत दक्षिण दिशा में चंबल नदी के किनारे से होगी। यहां से रोड गांव टकरावदा में स्थित उद्योग के तालाब के समीप होते हुए पूर्व दिशा में उज्जैन रोड पर मिलेगी, जबकि पूर्व में वर्ष २०११ के प्लान में रिंग रोड की शुरुआत पूर्व से हो रही थी।

जानकारी नहीं है

नागदा शहर का मास्टर प्लान भोपाल कार्यालय में है। मप्र शासन के उप सचिव ने प्लान में फरवरी २०१८ में दावे-आपत्ति मंगवाईथी। कितनी आपत्ति आई है, इसकी जानकारी नहीं है।
शिवेंद्र शर्मा, अधिकारी, नगर तथा ग्राम निवेश विभाग, उज्जैन