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MP Election 2023: विधानसभा चुनाव का एक सच ये भी, बढ़ते मतदान प्रतिशत का लाभ कांग्रेस को तो घटते मतदान प्रतिशत पर भाजपा जीती

3 बार कांग्रेस, 2 बार भाजपा प्रत्याशी को मिली जीत तो 2 बार निर्दलीय ले गए लाभ हरीश पांचाल

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नागदा . 1952 से 2018 (66 साल) के विधानसभा चुनाव का एक सच ये भी है कि बढ़ते मतदान प्रतिशत का लाभ कांग्रेस तो घटते मतदान प्रतिशत का लाभ भाजपा को मिला हैं। इस मिथक के चलते 3 बार कांग्रेस तो 2 बार बीजेपी प्रत्याशी के सिर जीत का सेहरा सजा। वहीं 2 बार निर्दलीय लाभ ले गए। 2023 में हो रहे इस चुनाव में दो चीज देखने वाली होगी। पहली यह कि पिछले चुनाव के मुकाबले मतदान का प्रतिशत घटता है या बढ़ता है। अगर बढ़ता है तो क्या कांग्रेस अपना यह मिथक बरकरार रखती है या फिर भाजपा इसे तोड़ती हैं।

- 1-1 बार निर्दलियों ने तोड़ा दोनों दलों का मिथक

- 1998 के चुनाव में 65.80 प्रतिशत वोटिंग के मुकाबले

- 2003 में 71.38 (5.58 प्रतिशत ज्यादा) वोटिंग हुई। इसका लाभ निर्दलीय प्रत्याशी दिलीपसिंह गुर्जर को मिला था।

- गुर्जर ने 58 हजार 959 मत लाकर भाजपा के लालसिंह राणावत को 14,429 वोटों से हराया था। जबकि कांग्रेस के रणछोड़लाल आंजना को अपनी जमानत गंवाना पड़ी थी।

- 1957 के विधानसभा चुनाव में 47.31 प्रतिशत के मुकाबले 1962 में 1.91 प्रतिशत कम यानी 45.4 फीसदी वोट पड़े थे। तब भी निर्दलीय उम्मीदवार भैरव भारतीय ने कांग्रेस के विश्वनाथ वासुदेव को 10782 वोटों से हराया था।

- एक दौर ऐसा भी आया सन 1972 व 1977 में एक समान वोटिंग का लाभ बीजेपी को मिला था।

- 1967 से 1972 तक क्षेत्र में बीजेपी के विधायक वीरेंद्रसिंह कंचनखेड़ी थे।

- फिर सन 1977 के चुनाव में पिछले सन 1972 की तरह 66.18 प्रतिशत वोटिंग हुई। तब भी बीजेपी के वीरेंद्रसिंह ने ही जीत दर्ज थी। दलों को

ऐसे मिला लाभ

भाजपा

1. सन 1967 में 72.13 प्रतिशत वोटिंग के मुकाबले 1972 का वोटिंग प्रतिशत 5.95 प्रतिशत कम 66.18 प्रतिशत रहा। जब जनसंघ के वीरेंद्रसिंह कंचनखेड़ी ने कांग्रेस के राजेंद्रकुमार जैन को 1245 वोटों से हराया था।

2. सन 1977 में 66.18 प्रतिशत वोटिंग के मुकाबले सन 1980 में 6.52 फीसदी कम यानी 59.66 प्रतिशत वोटिंग हुई। इस चुनाव में भाजपा के पुरुषोत्तम विपट ने कांग्रेस अभयसिंह झाला को 3291 वोटों से मात दी थी।

कांग्रेस

1. 1980 के 59.6 प्रतिशत वोटिंग के मुकाबले 1985 में 61.17 प्रतिशत यानी 1.57 फीसदी वोटिंग ज्यादा हुई थी। तब कांग्रेस के रणछोड़लाल आंजना ने भाजपा के लालसिंह राणावत को 3838 वोटो से हराया था।

2. 2003 में 71.38 प्रतिशत वोटिंग के मुकाबले 2008 में 75.63 प्रतिशत यानी 4.25 फीसदी वोट ज्यादा गिरे थे। इस चुनाव में कांग्रेस के दिलीपसिंह गुर्जर ने भाजपा के दिलीप सिंह शेखावत को 9892 वोटों से हराया था।

3. 2013 में 79.41 प्रतिशत वोटिंग के मुकाबले 2018 में 2.8 प्रतिशत ज्यादा 82.21 वोटिंग हुई थी। तब कांग्रेस के दिलीपसिंह गुर्जर ने भाजपा के दिलीपसिंह शेखावत को 5896 वोटों से हराया था।