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MP Election 2023: जिस पर सियासत गरमाई, चुनाव में वही मुद्दा हुआ दूर

इस मुद्दे नागदा और खाचरौद की जनता की मिलीजुली प्रतिक्रिया है। दोनों नगर की जनता अपने-अपने नगर को जिला बनता देखना चाहती है। सवाल यह कि चुनाव जीतने वाले नेता का इस ओर क्या रुख रहेगा?

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नागदा-खाचरौद की जनता अपने-अपने नगर को जिला बनता देखना चाहती है, सवाल-नेताओं का रुख क्या? नागदा. चुनाव का मौसम धीरे-धीरे परवान चढऩे लगा है। शहर-गांवों में नेताओं के दौरे बढ चुके हैं। जनसंपर्क के दौरान नेता सिर्फ हाथ जोड़कर जनता से वोट की अपील कर रहे हैं। चुनाव से पहले जिस मुद्दे पर सियासत गरमाई, चुनाव के दौरान वही नागदा जिले का मुद्दे पर सब मौन हैं। इस मुद्दे नागदा और खाचरौद की जनता की मिलीजुली प्रतिक्रिया है। दोनों नगर की जनता अपने-अपने नगर को जिला बनता देखना चाहती है। सवाल यह कि चुनाव जीतने वाले नेता का इस ओर क्या रुख रहेगा? वह कैसे जनता से सामांजस्य बैठाकर जिले की बरसों पुरानी मांग को मूर्तरूप देने में सक्षम होगा।

जिले के इस मसले पर दोनों दलों के प्रत्याशियों के अपने-अपने दावे हैं। जिले को लेकर अब तक यह हुआ 2008 से जिले का मुद्दा चल रहा है। 2013 में सीएम शिवराजसिंह चौहान ने जिले को लेकर घोषणा की। इसके बाद 2018 में जिले को लेकर घोषणाएं हुई थीं। जुलाई 2023 में फिर सीएम ने जिले को लेकर घोषणा की, लेकिन इसमें बाकी तहसीलों के राजी-मर्जी के शामिल होने का कहकर घोषणा को डिप्लोमेटिक बना दिया। गजट नोटिफिकेशन, दावे-आपत्ति की प्रक्रिया शुरू हुई। इस बीच आलोट, खाचरौद से विरोध हुआ। चुनाव से पहले प्रदेश के मैहर व पांर्ढुना को जिला बनाया गया जबकि नागदा फिर रह गया।

जनता की बात

सिर्फ वोट की राजनीति

जिले को लेकर पहले सरकार की घोषणाएं। फिर गजट नोटिफिकेशन, दावे-आपत्ति जैसी प्रशासनिक प्रक्रियाएं। अंत में हुआ क्या...उन्हेल तहसील बन गई, नागदा फिर जिला बनने से रुक गया। नेताओं की मंशा क्याहै? यह सच थी या छलावा। अब तो ऐसा लगने लगा है, जिले के मुद्दे पर दल सिर्फ वोट की राजनीति कर रहे हैं। ऐसा करने की बजाय स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, खेल, इंफ्रास्ट्रक्चर आदि पर ध्यान देना चाहिए।

- पवन परिहार, नागदा

आखिर क्यों नहीं बना रहे

चुनाव से पहले सरकार ने मैहर व पार्ढुना को जिला बना दिया। नागदा को जिला बनाने की भी घोषणा की। फिर क्या वजह है कि नागदा जिला नहीं बन सका? क्या यह सच है कि जिले को लेकर नेता सिर्फ राजनीति कर रहे हैं। सरकार किसी भी बने, नागदा जिला बनाना ही चाहिए। इससे डेवलपमेंट के साथ पलायन रुके, रोजगार के अवसर बढ़ें। छोटे-छोटे कामों के लिए 50 किमी का फेरा नहीं लगाना पड़े।

- राहुल, प्रजापत, नागदा

खाचरौद में है ज्यादा संभावना

शुद्ध वातावरण, भौगोलिक कारण, प्रशासनिक दक्षता, संसाधन आवंटन, संचार और समन्वय, विशिष्ट शासन, संकट प्रबंधन, कानूनी और नियामक ढांचा, सार्वजनिक सुरक्षा आदि से खाचरौद परिपूर्ण है । ऐसे में खाचरौद को ही जिला बनाना चाहिए।

- साक्षी जैन, अभिभाषक, खाचरौद

पहला हक खाचरौद का

खाचरौद को वर्षों से विकासखंड का दर्जा प्राप्त है। इसलिए जिला बनने का हक भी खाचरौद को है। यहां सभी कार्यालय होने के साथ पर्याप्त शासकीय जमीने हैं। अगर खाचरौद को जिला नहीं बनाया जाता है तो इसे उज्जैन जिले में यथावत रखा जाए।

- धर्मेंद्र चंडालिया, खाचरौद

प्रत्याशियों के जवाब

जिले को लेकर सत्ता पक्ष की तरफ से शुरू से घोषणाएं हो रही है। इस बार भी सीएम ने घोषणा की, लेकिन तहसीलों के आपसी-सहमति से शामिल होने का कहकर इसे डिप्लोमेटिक बना दिया। चुनाव से पहले मैहर, पार्ढुना जिला बन गया तो क्या कारण रहा कि नि:संकोच नागदा को जिला बनाएंगे। तमाम प्रक्रियाओं के बावजूद नागदा जिला नहीं बन सका? पूर्व की सरकार में तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ के समक्ष नागदा को जिला बनाने की मांग उठाई तो उन्होंने तत्काल आदेश दे दिए। इस बार प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनती है तो नि:संकोच नागदा को जिला बनाएंगे।

- दिलीपसिंह गुर्जर, कांग्रेस प्रत्याशी

सरकार का ध्यान आकर्षित करेंगे

चुनाव जीता तो विधानसभा में विकास की नई इबारत लिखेंगे। जिले के मुद्दे पर भी सरकार का ध्यान आकर्षित कराएंगे।

- डॉ. तेजबहादुरसिंह चौहान, भाजपा प्रत्याशी

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