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श्रमिक परिवार की बेटी प्रिया ने डिप्टी कलेक्टर बन पिता और नगर का बढ़ाया मान

एमपीपीएसी में प्रदेश स्तर पर छठवीं रैंक हासिल करने वाली प्रिया चंद्रावत को दो बार असफलताओं के बाद तीसरी बार सफलता मिली है।

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नागदा

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Lalit Saxena

Dec 25, 2017

patrika

MPPSC,Civil Services,Grasim Industries,

नागदा. करत-करत अभ्यास जड़मति होत सुजान, रस्सी आवत जात ते सिल पर परत निशान...उक्त आश्य को शहर की बेटी ने डिप्टी कलेक्टर बनकर चरितार्थ किया है। दरअसल एमपीपीएसी में प्रदेश स्तर पर छठवीं रैंक हासिल करने वाली प्रिया चंद्रावत को दो बार असफलताओं के बाद तीसरी बार सफलता मिली है। पिता ग्रेसिम उद्योग में श्रमिक है, घर के ऊपरी भाग में टीन शेड के बने कमरे में सिविल सर्विस की तैयारी कर रही प्रिया को आखिरकार सफलता मिल ही गई।


गुलाबबाई कॉलोनी निवासी प्रिया का तर्क है, कि वे राजपूत परिवार से हैं। समाज के रिति रिवाजों के अनुसार जल्द ही हाथ पीले कर दिए जाते हैं, लेकिन प्रिया के पिता विजयपालसिंह चंद्रावत ने बेटी को कभी शादी के लिए नहीं कहा। सामाजिक रिवाजों से परे हटकर पिता की आशाओं पर डिप्टी कलेक्टर बनकर प्रिया खरी उतरी है।

भाई की खुशी का नहीं रहा ठिकाना
लगातार तीन बार मेहनत करने के बाद शनिवार की शाम लगभग साढ़े छह बजे परीक्षा परिणाम आया तो छोटे भाई ऋतुराजसिंह चंद्रावत ने उज्जैन से पिता को बताया कि बहन प्रिया का डिप्टी कलेक्टर के रुप में चयन हो गया है। इस दौरान पिता प्रकाशनगर में किसी काम से गए हुए थे खुशी के कारण पिता से बाइक तक नहीं चली, एक अन्य व्यक्ति की मदद से पिता अपने घर लौटे और माता रसालकुंवर को बेटी की सफलता के बारे में जानकारी दी। पूरा परिवार रातभर खुशी के कारण सोया नहीं, सुबह प्रिया सड़क मार्ग से नागदा पहुंची तो नायन निवासी भुआ के परिवारजनों ने हाईवें नंबर 17 पर प्रिया का स्वागत किया। इधर, पिता विजयपालसिंंह घर पर बेटी के आने का इंतजार कर रहे थे दोपहर लगभग 1:35 बजे बेटी घर पहुंची तो पिता बेटी को गले लगाकर रो पड़े।

आशीष देने कई लोग पहुंचे
प्रिया के पिता ग्रेसिम उद्योग में सीनियर इलेक्ट्रीशियन के रुप में कार्यकत है, जबकि माता गृहणी है। मूलत: बरखेड़ी के रहने वाले चंद्रावत परिवार की बेटी की प्राथमिक शिक्षा आत्दिय बिरला सीनियर सेकंडरी स्कूल में हुई। इसके बाद बीएससी लोति कॉलेज उज्जैन और विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से फिजिक्स करने के साथ ही पीएससी की परीक्षा दी। शहर में आने के बाद शुरूआती दौर में किराए के मकान में रहे, लेकिन वर्ष 1995 में गुलाबबाई कालोनी में स्वयं का मकान बनाया, जिसके ऊपरी हिस्से में प्रिया का परिवार निवास करता है जबकि निचला हिस्सा किराए से दे रखा है। शनिवार को प्रिया को आशीष देने विधायक दिलीपसिंह शेखावत, एसडीएम डॉ. रजनीश श्रीवास्तव, टीआई अजयकुमार वर्मा उनके निवास स्थान पर पहुंचे।

समाज में इतना नहीं पढ़ाते
प्रिया ने भी रुधे कंठों से पत्रिका को चर्चा में बताया, कि मैं राजपूत परिवार से हूं, हमारे समाज में बेटियों को इतना नहीं पढ़ाते है और उनका विवाह कर देते है मेरे माता पिता ने हिम्मत रखी और मुझे पढ़ाया, जिसके कारण आज यह सफलता मिली। प्रिया ने कहा कि कभी-कभी परीक्षा के दिनों में छोटा भाई ऋतुराजसिंह मेरे सब्जी बना दिया करता था, लगभग एक वर्ष बाद घर लौटी तो खूशी का ठिकाना नहीं रहा। दीपावली पर भी परिजन इंतजार करते रहे, लेकिन नागदा नहीं आ सकी। लक्ष्य पाने के लिए हमेशा फेसबुक, व्हाट्सअप, इंस्टाग्राम से दूर रहीं, शनिवार शाम परीक्षा परिणाम आने के बाद मैं पहली बार व्हाट्सअप पर आई हूं।