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रवींद्र रघुवंशी@नागदा. द्वापर युग के अंतिम व कलयुग के प्रारंभ में लगभग 5500 वर्ष पूर्व चंबल तट पर बना प्राचीन मुक्तेश्वर महादेव मंदिर अब महाकाल मंदिर की तर्ज पर बनेगा। लगभग 1 से 1.५ करोड़ की लागत से मंदिर का निर्माण होगा।
यह कार्य मंदिर समिति द्वारा किया जा रहा है। जिसका भूमिपूजन भी हो गया। मंदिर निर्माण से शहर में मंदिर समिति पर उठ रहे सवालों का पटाक्षेप हो गया है। मंदिर निर्माण को लेकर शहर में कई वर्षों तक समिति ने लक्की ड्रा भी खोले व मंदिर का नक्शा बनाकर कार्य प्रारंभ करने की बात भी कही थी, लेकिन लगभग दो दशक तक कार्य प्रारंभ नहीं होने पर शहर के कुछ लोग समिति से हिसाब-किताब भी मांग रहे थे। मंदिर पूरा मार्बल का बनेगा। जिसका नक्शा नागदा के प्रसिद्ध बिरला मंदिर का निर्माण करने वाले मुंबई के एक इंजीनियर ने तैयार किया है। यह मंदिर शहरवासियों की आस्था का केंद्र है।
२० वर्ष से उठ रही मांग
मुक्तेश्वर महादेव शहर से बाहर जमीन से लगभग 100 फीट की ऊंचाई पर है। मंदिर पर प्रतिवर्ष शिवरात्रि पर नपा की अगुवाई में 7 दिवसीय मेले का आयोजन भी होता है। मंदिर पर किसी समय १९६०-१९७० के दशक में ग्रेसिम उद्योग के एक अधिकारी धार जिले के माडंव से संत पुष्करानंद ब्रह्मचारी को लाए थे। शहर के लोगों व मंदिर समिति ने महंत पुष्करानंद महाराज को गद्दी पर बैठा दिया।
मंदिर का इतिहास
चंबल नदी किनारे पर जूना नागदा के समीप राजा जन्मेजय ने एक यज्ञ किया था। इस यज्ञ में नाग प्रजाति का दहन किया गया। जिससे इस शहर का नाम नागदा पड़ा। यज्ञ के दौरान की नदी किनारे पर मुक्तेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना की गई थी। यह यज्ञ इसलिए हुआ था कि राजा जन्मजेय के पिता राजा परीक्षित की मौत सांप के डसने से हो गई थी। जिसके प्रतिशोध के चलते राजा जन्मजेय ने नाग प्रजाति को खत्म करने के उद्देश्य से यज्ञ किया था। राजा परीक्षित अुर्जन के बेटे अभिमन्यू का बेटा था।
कार्य प्रारंभ हुआ
" मुक्तेश्वर महादेव मंदिर निर्माण कार्य प्रारंभ हो गया है। मंदिर समिति के पास लक्की ड्रा का लगभग २० से ३० लाख रुपए है। मंदिर का प्रोजेक्ट बड़ा है। "
- चेतनस्वरूप जायसवाल, संरक्षक, मुक्तेश्वर महादेव मंदिर समिति, नागदा
Published on:
13 Sept 2017 07:45 pm
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