
फोटो सोर्स: पत्रिका
MP News: एमपी में नागदा के दोनों शासकीय कॉलेजों में प्रवेश की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। उपलब्ध सीटों की तुलना में अब तक 50% से भी कम एडमिशन हुए हैं। इसकी प्रमुख वजह युवाओं का पारंपरिक कोर्स के बजाय प्रोफेशनल और व्यवसायिक कोर्सेस की ओर बढ़ता रुझान है। युवाओं की प्राथमिकता अब रोजगार आधारित शिक्षा बन गई है, वहीं स्थानीय कॉलेजों में अभी तक पारंपरिक कोर्स ही उपलब्ध हैं। कॉलेज चलो अभियान भी नाकाम उच्च शिक्षा विभाग द्वारा चलाए गए कॉलेज चलो अभियान का उद्देश्य छात्रों को स्थानीय कॉलेजों की ओर आकर्षित करना था।
इसके तहत प्रोफेसर्स द्वारा स्कूलों में जाकर कॉलेजों की जानकारी दी गई, लेकिन रोजगार से जुड़े कोर्स की कमी के कारण परिणाम नहीं मिल सके। दोनों कॉलेजों में पारंपरिक कोर्स नगर के दोनों कॉलेजों में उच्च शिक्षा प्रणाली पारंपरिक तरीके से ही चल रही है।
दोनों कॉलेज में यूजी में बीए, बीकॉम, बीएससी के अलावा अन्य कोई प्रोफेशनल, डिप्लोमा कोर्स नहीं हैं, जो आगे चलकर युवाओं के बेहतर भविष्य का कारण बनें। शा. कॉलेज में पीजी में एमकॉम व एमएससी के नाम पर कुछ नहीं हैं। अभी स्टूडेंट प्रोफेशनल और व्यवसायिक कोर्सेस कोर्स की तरफ ज्यादा जा रहे हैं।
शासकीय कॉलेज के प्राचार्य डॉ. भास्कर पी. रेड्डी व शा. कन्या कॉलेज की प्रोफेसर डॉ. अर्चना करंदीकर बताती हैं कि 31 जुलाई तक सीएलसी राउंड चलेगा। इसमें छात्र-छात्राएं आवेदन कर सकती है, वेरिफिकेशन सहित अन्य प्रक्रिया के बाद उन्हें सीट आवंटन होगी। हालांकि प्रोफेसर्स का यह भी कहना है कि आगे तारीख और बढ़ सकती है।
युवाओं का रुझान टेक्निकल इंस्टीट्यूट की तरफ बढा है। सरकारी नौकरी जैसे शिक्षा विभाग की जाने की मंशा रखने वाले युवाओं के लिए बीएड, डीएड अनिवार्य कर दिया गया है, ऐसे स्थानीय स्तर पर ऐसे कोर्र्सेस शुरू करने की जरुरत है। इसके अलावा अन्य नए कोर्सेस के लिए नगर के युवाओं की मंशा को भांपना चाहिए।- डॉ. सीएल मेहता, पूर्व में नागदा कॉलेज में पदस्थ रह चुके है
केस 1: 12वीं में 82 प्रतिशत प्राप्त करने वाले कृष्णकांत बुआ वर्तमान में कोटा से जेईई की तैयारी कर रहें हैं, उन्होंने बताया कि स्थानीय कॉलेजों में रोजगार शिविर जैसे आयोजनों की कमी है, जहां बड़ी कंपनियां युवाओं को रोजगार दे सकें। इसके अलावा ट्रेडिशनल कोर्स के अलावा बीटेक, एमटेक जैसे कोर्स की सुविधा नहीं हैं। कॉलेज स्ट्रक्चर को भी सुधारने की जरुरत है।
केस 2: 12वीं में 62 प्रतिशत लाकर वर्तमान में इंदौर से बीसीए कर रही छात्रा याती जैन ने बताया कि कॉपिटिशन का वक्त है, हर युवा अच्छे पैकेज पर नौकरी या बड़ा बिजनेस शुरू करना चाहता है। इसलिए वह प्रोफेशनल व बिजनेस कोर्सेस करने के लिए पलायन रहा है। स्थानीय स्तर पर कॉलेजों में मिलने वाली सुविधाओं को और बढ़ाने की जरुरत है।
Published on:
31 Jul 2025 04:49 pm
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