
देश के 240 गांव सरकार के लिए आज भी बनी हुई है अबूझ पहेली, जानिए क्यों
नारायणपुर . मुगलकाल से दर्जनों बार हुई कोशिशों के बाद फिर बस्तर के अबूझमाड़ (India's 240 Abujhmad Villages) को बूझने की कवायतें शुरू हो गई हैं। राजस्व आपदा प्रबंधन विभाग ने इसके लिए नारायणपुर, दंतेवाड़ा और बीजापुर कलेक्टरों को निर्देश जारी किया है। पत्र क्रमांक एफ 6/367/7-1/2016 में विभाग की उप सचिव रीता यादव ने लिखा है कि नक्सल प्रभावित अबूझमाड़ के असर्वेक्षित ग्रामों में नियमित राजस्व अभिलेख के स्थान पर मसाहती ( ऐसे क्षेत्र जिसकी सीमाएं तय नहीं हुई हो न ही राजस्व सर्वे हुआ हो ) खसरा और नक्शा तैयार करने का निर्णय लिया है।
अबूझमाड़ क्षेत्र की पूरी भूमि को राजस्व भूमि के रूप में मानते हुए नक्सा तैयार किया जाएगा। यह काम उत्तराखंड, आईआईटी रुड़की द्वारा किया जाएगा। बतादें कि मुगलशासनकाल और ब्रिटिश सरकार ने भी भू -सर्वेक्षण कराने की कोशिश की थी जो पूरा नहीं हो सका। राजस्व अमला व आइआइटी रुडकी की तकनीकी टीम ने करीब डेढ़ वर्ष की मशक्कत के बाद मार्च 2018 तक दस नेडऩार, ताड़ोनार गांव, कुरूषनार, कंदाड़ी, कोडोली, आकाबेड़ा, बासिंग, ओरछा, जिवलापदर व कुंदला,का राजस्व सर्वे पूरा किया था। जिसमें सिर्फ पांच गांवों में दावा-आपत्ति के निराकरण के बाद मई 2018 में भाजपा सरकार ने 169 परिवारों को 685 एकड़ भूमि का अधिकार पत्र जारी किया था।
यह होगी प्रक्रिया
कलेक्टरों को जारी निर्देश के मुताबिक आइआइटी रुड़की के सहयोग से असर्वेक्षित ग्रामों का नक्शा तैयार किया जाएगा। आइआइटी से प्राप्त नक्शों की प्रति संबंधित ग्राम पंचायत में नक्शे में दर्ज भूमि के कब्जाधारी के संबंध में जुटाई जाएगी। इस जानकारी के आधार पर सभी संबंधित ग्राम के लिए मसाहती खसरा और नक्शा तैयार किया जाएगा।
240 गांव का अबूझमांड
बस्तर संभाग के नारायणपुर, बीजापुर, दंतेवाड़ा व पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र तक 4400 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र अबूझमाड़ के नाम से जाना जाता है। यहां लगभग 240 गांव हैं। इन गांवो की सीमा का निर्धारण कभी नहीं हो सका।
हो सकता है संशोधन
नक्शे को ग्रामीणों से जुटाई जानकारी के आधार पर आवश्यक संशोधन आइआइटी रुड़की कर सकती है। संशोधित नक्शे में परिवर्तन की आवश्यकता नहीं होने पर उसे मसाहती नक्शे के रुप में अधिसूचित किया जाएगा। ग्राम के लोगों की दखल रहित भूमि का सामुदायिक उपयोग करने की दशा में निस्तार पत्रक तैयार किया जाए।
वर्जन
नक्सल प्रभावित अबूझमाड़ के असर्वेक्षित ग्रामों में नियमित राजस्व अभिलेख के स्थान पर मसाहती खसरा और नक्शा तैयार करने का निर्णय लिया है। नारायणपुर, दंतेवाड़ा और बीजापुर कलेक्टरों को निर्देश जारी किया गया है।
रीता यादव, उप सचिव,राजस्व आपदा प्रबंधन विभाग
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Published on:
08 Sept 2019 08:05 pm
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