
मारे गए नक्सली की पत्नी दुधमुहे बच्चे सहित झूल गयी फांसी पर, पुलिस पर लगा ये गंभीर आरोप
नारायणपुर. Naxal Wife Sucide Case: अबूझमाड़ के धुरबेडा पंचायत के गुमरका गांव में एक पखवाड़े पहले पुलिस और माओवादियों के बीच हुई मुठभेड़ में मारे गए कथित माओवादी की पत्नी अपने तीन और ढेड़ साल की मासूम बच्चियों के साथ फांसी में झूल गई। दोनों बच्चियों सुंदरी गोटा (3) एंव सुदनी गोटा (डेढ़ साल) को फांसी लगाकर मारने के बाद कथित माओवादी दुग्गा गोटा की पत्नी ताडो गोटा ने भी अपनी जान दे दी।
बुधवार को अबूझमाड़ के करीब तीन दर्जन गांव के ग्रामीणों के जिला मुख्यालय पहुंचने के बाद इस घटना का खुलासा हुआ। घटना की रिपोर्ट पुलिस थाने में अभी तक दर्ज नहीं हुई है। मृत तीनों लोगों को गांव में दफ नाया गया है। ग्रामीणों ने स्थानीय विधायक चंदन कश्यप को ज्ञापन सौपकर मामले से अवगत कराया गया है।
पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस द्वारा माओवादियों के साथ मुठभेड़ में जंगल गए दो लोगों को पकड़ कर गोली मारकर हत्या कर दी थी। विधायक को सौंपे ज्ञापन में ग्रामीणों ने अबूझमाड़ में पुलिस कैंप खोलने का विरोध करते हुए कहा है कि पुलिस और माओवादियों के बीच में वह बर्बाद हो रहे हैं।
पुलिस माओवादियों का सहयोगी बताकर हमें मार रही है। वहीं दूसरी ओर माओवादी पुलिस का मुखबीर कहकर ग्रामीणों को मौत के घाट उतार रहे हैं। ज्ञापन में कहा गया है कि पुलिस गश्त के दौरान गांव में या जंगल में ग्रामीणों के साथ मारपीट कर जेल भेज देती है। माओवादी पुलिस कैंप में सहयोग करने का आरोप लगाकर ग्रामीणों के साथ मारपीट करते हैं।
24 अगस्त के मुठभेड़ का जिक्र करते हुए ग्रामीणों ने कहा है कि गुमरका के ग्रामीण करिया गोटा को पुलिस घर से उठाकर ले गई और जंगल में ले जाकर मारकर उसे माआवेादी घटना बता दिया। इनके साथ गांव के दुग्गा गोटा को पकडक़र गोली मारकर उसकी भी हत्या कर दी और माओवादी वर्दी पहनाकर उसे माओवादी डिप्टी कमांडर बता दिया। ग्रामीणों का कहना है कि इस घटना के 6 दिन बाद ताडो गोटा ने सदमे में अपने दो बच्चों के साथ फांसी में झूलकर खुदकुशी कर ली।
5 अगस्त को गुमरका में हुई थी मुठभेड
अबूझमाड़ के सबसे दुर्गम इलाके में डीआरजी के 120 जवानों ने 24 अगस्त को 5 माओवादियों को मार गिराने की बात पुलिस ने कही थी। ऑपरेशन में शामिल जवानों के पैरों में छाले पड़ गए थे। दो दिन के राशन में तीन दिनों तक चलाते हुए माओवादियों से मुकाबला करते हुए बिस्किट व नमकीन खाकर लौटे थे। अबूझमाड़ के उफनती नदी व नालों को पार करते डीआरजी व एसटीएफ के जवान रविवार की सुबह 25 अगस्त को जिला मुख्यालय पहुंचे थे। इस घटना में डीआरजी के राजू नेताम शहीद हो गए। वहीं समारू गोटा घायल हुए थे।
माओवादियों के बहकावे में ग्रामीण
माओवादियों के बहकावे में आकर पुलिस पर ग्रामीणों के द्वारा आरोप लगाया जा रहा है। मुठभेड़ में पुलिस का एक जवान शहीद हुआ है और एक घायल है। मुठभेड़ पर सवाल उठाना लाजमी नहीं है। मुठभेड़ में जो माओवादी मारे गए हैं उनकी शिनाख्ती हो गई है। उनके शव परिवार के सुपुर्द कर दिए गए हैं। पुलिस का मनोबल गिराने के लिए ऐसा किया जा रहा है। जहां-जहां कैम्प खुले हैं। वहां विकास कार्य तेजी से हो रहे हैं। कोहकामेटा, आकाबेड़ा, सोनपुर और कडेनार के ग्रामीण बेहद खुश हैं।
-मोहित गर्ग, एसपी नारायणपुर
Updated on:
12 Sept 2019 06:38 pm
Published on:
12 Sept 2019 06:21 pm
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