
गेट खुलने के बाद बरगी डैम का खूबसूरत नजारा।
एमपी का महाकौशल इन दिनों भारी और लगातार बारिश से तरबतर हो चुका है। यहां पिछले 3-4 दिन से भारी बारिश का दौर जारी है। यहां जबलपुर के साथ ही डिंडोरी और मंडला में भी बारिश का दौर जारी है। इन इलाकों में लगातार हो रही बारिश के कारण रानी अवंतिबाई लोधी सागर परियोजना बरगी बांध का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है।
परिस्थितियां नियंत्रण में बनी रहे इसलिए सोमवार 29 जुलाई को डैम से करीब 35 हजार 552 क्यूसेक (घन फीट प्रति सैकंड) पानी छोड़ा जा रहा है। इसके लिए डैम के 21 गेटों में से 7 गेट खोल दिए गए हैं। वहीं जबलपुर से लेकर नर्मदापुरम तक अलर्ट जारी कर दिया गया। आपको बता दें कि कुछ ही घंटों में नर्मदा नदी उफान पर होगी। वहीं यदि बारिश का यही हाल रहा तो नर्मदा नदी के तीन और डैम नर्मदापुरम में आफत ला सकते हैं।
जब भी बरगी डैम से पानी छोड़ा जाता है तो नर्मदा नदी के किनारे बसे जबलपुर, नरसिंहपुर, नर्मदापुरम, हरदा, खंडवा और खरगोन जिलों में बाढ़ का अलर्ट जारी किया जाता है। इन दिनों जबलपुर और शहडोल संभाग में लगातार बारिश का दौर जारी है। इसके चलते सोमवार 29 जुलाई को दोपहर 2.30 बजे रानी अवंतिबाई लोधी सागर परियोजना बरगी डैम के 7 गेट खोल दिए गए। सोमवार दोपहर 12 बजे बांध का जलस्तर 419 मीटर पहुंच गया था, जिसके परियोजना प्रशासन ने दोपहर 2.30 बजे 21 में से 7 गेट खोल दिए। और 35 हजार 552 क्यूसेक ( 10 लाख लीटर प्रति सेकंड) पानी छोड़ना शुरू कर दिया। इससे कुछ ही घंटे में 40 किमी दूर जबलपुर के सभी घाटों पर कई फीट तक पानी बढ़ गया।
नर्मदा नदी लगातार खतरे के निशान की ओर बढ़ रही है। बाढ़ के खतरे को देखते हुए प्रशासन ने निचले इलाकों में अलर्ट जारी कर दिया है, वहीं लोगों से नर्मदा नदी के तट और घाटों से दूरी बनाए रखने को कहा गया है।
कार्यपालन यंत्री अजय सूरी ने बताया कि बरगी डैम के 7 गेट में से गेट नम्बर 10, 11 और 12 को डेढ़-डेढ़ मीटर तक, गेट नम्बर 9 और 13 को 1-1 मीटर और गेट नम्बर 8 और 14 को आधा-आधा मीटर तक की ऊंचाई तक खोला गया है।
बरगी डैम के गेट खोले जाने के तीन घंटे बाद ही जबलपुर के गौरीघाट, तिलवाराघाट, लम्हेटाघाट, भेड़ाघाट में नर्मदा का जल स्तर 7-8 फीट तक बढ़ गया। यहां घाट डूब रहे हैं। लेकिन जान जोखिम में डाल लोग यहां पूजा-अर्चना करते, डुबकी लगाते नजर आ रहे हैं। नर्मदा के तटवर्ती क्षेत्रों से लोगों को दूर रहने के लिए अलर्ट जारी किया गया है। सुरक्षा के मद्देनजर कुछ तटों पर पुलिसकर्मी गश्त कर रहे हैं।
बरगी बांध से 35 हजार 552 क्यूसेक ( 10 लाख लीटर प्रति सेकंड ) पानी छोड़े जाने से नर्मदा नदी उफान पर होगी। इसलिए जबलपुर से लेकर नरसिंहपुर और नर्मदापुरम (narmadapuram) जिले के सभी घाटों तक जल स्तर तेजी से बढ़ेगा। नर्मदा के सभी प्रमुख घाटों पर प्रशासन ने बैरिकेडिंग कर लोगों को दूर रहने को कहा है।
जल संसाधन विभाग के मुताबिक जबलपुर के बरगी बांध से नर्मदापुरम तक की दूरी 302 किमी है, ऐसे में टाइम लैग पर नजर डाली जाए तो यहां करीब 30 से 40 घंटे यानी एक से डेढ़ दिन में नर्मदापुरम आते-आते नर्मदा का जलस्तर 10 फीट तक बढ़ सकता है। जबलपुर के ग्वारीघाट में डेढ़ से 2 घंटे में इसका असर दिखाई देने लगा। कई घाटों और निचले क्षेत्रों में बाढ़ जैसे हालात बनते दिखे।
बता दें कि बरगी डैम से पानी छोड़ने के बाद नर्मदा का जल स्तर बढ़ने से कई जिलों में बाढ़ का अलर्ट जारी किया गया है। वहीं खंडवा का इंदिरा सागर डैम भी लगभग फुल होने के कगार पर है। इसके साथ ही ओंकारेश्वर डैम भी सोमवार तक 195.53 मीटर हो गया था। जबकि इसका टैंक लेवल 196.6 मीटर है। यानी ओंकारेश्वर डैम केवल 1.07 मीटर तक ही खाली रह गया है। ऐसे में अगर भारी बारिश का दौर जारी रहा, तो जल्द ही इनके गेट भी खोल दिए जाएंगे।
उधर नर्मदापुरम का तवा डैम भी फुल होने के कगार पर है। सोमवार को डैम का वॉटर लेवल 352.56 मीटर तक था। जबकि इसका फुल टैंक 355.4 मीटर है। यानी ये डैम केवल 2.84 मीटर ही खाली रह गया है। वहीं बारना डैम में तीन दिन पहले शनिवार 27 जुलाई को दोपहर 2.30 बजे 6 गेट खोल दिए गए। डैम का जलस्तर 346.13 हो गया है। पहले चार गेट 2-2 मीटर तक खोले गए। एक घंटे बाद दो और गेट खोल दिए गए। 6 गेट को 3-3 मीटर की ऊंचाई तक खोला गया। जिससे 38 हजार 600 क्यूसिक पानी छोड़ा जा रहा है।
गौरतलब है कि नर्मदापुरम जिले का तवा डैम (Tawa Dam), रायसेन जिले का बारना डैम(Barna Dam) का पानी भी नर्मदा नदी में मिलता है। जब बरगी डैम (Bargi Dam) का पानी भी में नर्मदा में छोड़ा जाता है, तो ऐसी स्थिति में तीनों डैम का पानी आफत लेकर आता है और नर्मदापुरम शहर टापू (Island) में तब्दील हो जाता है।
29 अगस्त 1973 का दिन था। जब लोगों की सुबह आंख खुली थी, नर्मदा (narmada river) उफन रही थी। कई मोहल्लों में पानी भर चुका था। लोग घर छोड़कर भाग रहे थे ताकि जान बचा सकें। दरअसल 29 अगस्त 1973 में भी लगातार बारिश से तीनों बांध बरगी, तवा और बांद्राभान के गेट खोल दिए गए थे। इससे नर्मदा का रौद्र रूप सामने आया और यहां बाढ़ आ गई थी।
उस समय हुआ ये था कि होम साइंस कॉलेज के पास बनी पिचिन टूट गई थी। शहर के कई हिस्सों में पानी पहुंच गया था। और देखते ही देखते पूरे शहर में पानी भर गया था। कई मकान धराशायी हो गए थे। तूफानी बरसात में जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया था।
हालात ऐसे थे कि प्रशासन को सेना बुलानी पड़ी। सेना को यहां रेस्क्यू करना पड़ा। राहत शिविर लगाए गए। जब बाढ़ का पानी उतरा तो हालात बदतर थे। हर जगह कीचड़ भरा था। घरों में लौट रहे लोगों को घर से कीचड़ निकालने में भारी मशक्कत करनी पड़ी। हर तरफ फैली बदबू से सांस लेना तक दूभर हो रहा था।
बता दें कि 29 अगस्त 2020 को भी नर्मदा एक बार फिर उफान पर थी। जलस्तर खतरे के निशान के ऊपर चल रहा था। कई मोहल्लों में पानी भरने के कारण लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जा रहा था। सुबह 9 बजे तक नर्मदा का जलस्तर 973 फीट तक पहुंच गया था। जो खतरे के निशान से 6 फीट ऊपर था। नर्मदा के उफान पर आने के बाद निचली बस्तियों में बाढ़ के हालात से निपटने के लिए एनडीआरएफ की मदद लिए जाने की चर्चा हो रही थी।
क्योंकि सभी को 29 अगस्त 1973 की बाढ़ के हालात डरा रहे थे। तब बस्तियां डूब रही थीं। रहवासियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा था। 2020 में आई बाढ़ में यहां सराफा चौक के पास तक नर्मदा का पानी पहुंच गया था। तटीय बस्तियां भी जलमग्न हो गईं थी। बीटीआई, एसपीएम पुलिया, महिमा नगर, ग्वालटोली रोड, धानाबड़, बांद्राभान में बैक वाटर भर गया था। पर्यटन कोरीघाट जलमग्न हो गया था।
तटीय गांव बालाभेंट में बाढ़ का पानी भरा गया था। वहां गोताखोर के दल को बोट के साथ पहुंचाया जा रहा था। घानाबड़ में कुछ लोग बाढ़ से बचने के लिए पुल के ऊपर जाकर बैठ गए थे। बचाव दल पहुंच गए थे। बांद्राभान में दिवस बसेरा में लोगों को शिफ्ट किया गया था। लेकिन स्थिति नियंत्रण में थी, फिर भी लोग दहशत में थे।
Updated on:
31 Jul 2024 09:40 am
Published on:
30 Jul 2024 02:39 pm
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