
खुले घूम रहे यहां 55 टाइगर, गाड़ियों के सामने भी आ जाते हैं अचानक
सोहागपुर. 41 वर्ष पूर्व 1981 में सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला में बाघ व अन्य वन्यजीवों के अस्तित्व के संरक्षण की मंशा से क्षेत्र का भी संरक्षण प्रारंभ किया गया। जिसे वर्ष 2011 में पर्याप्त विस्तार मिला और एकीकृत रूप में अलग-अलग अभ्यारण्य व सेुंचरी के साथ मिलकर टाईगर रिजर्व अस्तित्व में आया।
एसटीआर जो कि जैव विविधता के मामले में धनी है, तथा देश और विदेश में भारत की, मप्र की और नर्मदापुरम जिले की पहचान बन चुका है। यहां दो क्षेत्र हैं, एक कोर एरिया और दूसरा बफर जोन। कोर एरिया का क्षेत्रफल 1330 वर्ग किलोमीटर से अधिक है तथा बफर जोन का एरिया 1240 हैक्टेयर से अधिक है तथा बफर जोन का क्षेत्रफल 790 वर्ग किलोमीटर से अधिक है।
एसटीआर की चर्चित टूरिस्म जोन मढ़ई में प्रतिवर्ष 25 हजार से अधिक पर्यटक आते हैं। वर्ष 2016 के बाद से यहां प्रतिवर्ष एक करोड़ रुपए की कमाई होती है। एसटीआर में पर्यटकों के लिए हाथी सफारी, जिप्सी सफारी, बोटिंग, चप्पू बोट की सशुल्क सुविधा है। एसटीआर से पिछले कुछ सालों में 45 से अधिक गांव विस्थापित किए गए हैं, जिनके चलते कोर एरिया व बफर जोन में 11 हजार हैक्टेयर से अधिक जमीन वन्यजीवों के प्राकृतिक पर्यावास के रूप में प्राप्त हुई है।
बाघ आकर्षण का केंद्र
वर्ष 2018 की गणना अनुसार एसटीआर में 47 बाघ थे। वर्तमान में इनकी संख्या 55 के आसपास बताई जाती है। यद्यपि अधिकारी बताते हैं कि आगामी महीनों में गत सत्र में कैमरों की सहायता से की गई गणना का आंकड़ा मिलने वाला है तथा संभव है कि परिणाम उत्साहवद्र्धक हों। एसटीआर में 100 से अधिक तेंदुए हैंं।
दुनिया की सबसे छोटी बिल्ली का ठिकाना
एसटीआर में रस्टी स्पॉटेड कैट पाई जाती है, इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर आईयूसीएन की रिपोर्ट अनुसार यह कैट अति संवेदनशील व असुरक्षित प्रजाति का जीव है। जिसका वजन 800 ग्राम से डेढ़ किलो तक होता है तथा लंबाई 35 से 48 सेमी तक (पूंछ रहित लंबाई, पूंछ शरीर की लंबाई की आधी होती है।
सवा सौ से अधिक तितलियां
उल्लेखनीय है कि एसटीआर में तितलियों का भी अजब संसार है, जो कि इसकी जैव विविधता का प्रतीक बन चुका है। बताया जाता है कि एसटीआर में तितलियों की 125 से अधिक प्रजातियां हैं, जिनका सर्वे भी लगातार दो वर्ष तक हो चुका है। यहां तक कि अब एसटीआर के अंदर तितली पार्क बनाने तक पर प्रबंधन द्वारा विचार किया जा रहा है।
उडऩ गिलहरी का आशियाना
यदि आपने एसटीआर का मोनो देखा है तो इसमें उडऩ गिलहरी का चित्र जरूर देखा होगा। नन्हीं के नाम से इसे पहचान देने का प्रयास विभिन्न स्तरों पर किया जा रहा है तथा उडऩ गिलहरी एसटीआर की खास पहचान बने, इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
एसटीआर में बारहसिंघा की हुई आमद
वर्ष 2015 के बाद से लेकर 2017 तक दो खेप में कान्हा नेशनल पार्क से एसटीआर में बारहसिंघा लाए गए हैं। फिलहाल में इनकी संख्या 35 से 40 के बीच है। एसटीआर का क्षेत्र मेलघाट बैतूल जिला से जुड़ा है। वहीं छिंदवाड़ा जिले की सीमाओं को एसटीआर की कनेक्टिविटी मिलती है, जिसके कारण पेंच अभ्यारण्य से भी एसटीआर का संबंध बनता है।
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पक्षियों का अद्भुत संसार, ठंड के मौसम में आते देश-विदेश के पक्षी
एसटीआर का प्राकृतिक पर्यावास देशी व विदेशी पक्षियों को भी बहुत भाता है तथा यहां लगभग 250 से अधिक प्रजातियों में पक्षियों को चिन्हित किया जा चुका है। इनमें से कई विदेशी पक्षी हैं, जो कि प्रतिवर्ष ठंड के मौसम में यहां आते हैं तथा अपना आशियाना बनाने के साथ-साथ अंडे देकर वंशवृद्धि करते हैं।
Published on:
26 Oct 2022 10:28 am
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