scriptनर्मदापुरम का इंतजार खत्म, सतपुड़ा टाइगर रिवर्ज पहुंच गए कर्नाटक के गजा, पूजा, मारिशा और कृष्णा | Karnatak elephant reached satpura tiger reserve MP, latest hindi news | Patrika News
नर्मदापुरम

नर्मदापुरम का इंतजार खत्म, सतपुड़ा टाइगर रिवर्ज पहुंच गए कर्नाटक के गजा, पूजा, मारिशा और कृष्णा

इन हाथियों का नाम है गजा, पूजा, मारिशा और कृष्णा। यहां आपको बताते चलें कि इन चारों हाथियों को एम माह तक यहीं रखा जाएगा। इनके साथ कर्नाटक के महावत भी यहां आए हैं, जो मप्र के महावतों को इन हाथियों की देखरेख के लिए उन्हें प्रशिक्षित करेंगे।

नर्मदापुरमDec 02, 2022 / 04:32 pm

Sanjana Kumar

karnatak_elephants_in_mp_1.jpg

,,

नर्मदापुरम। कर्नाटक के हाथियों का इंतजार आखिरकार खत्म हो गया। चार हाथी सतपुड़ा टाइगर रिजर्व पहुंच गए हैं। शुक्रवार अल सुबह ट्रक से हाथियों को मटकुली के पास परासपानी बेरिया के पास उतार दिया गया। यहां से उन्हें अजनाढ़ाना हाथी कैंप लाया गया है। इन चार हाथियों में से दो हाथी मेल हैं तो दो हाथी फीमेल हैं। इन हाथियों का नाम है गजा, पूजा, मारिशा और कृष्णा। यहां आपको बताते चलें कि इन चारों हाथियों को एम माह तक यहीं रखा जाएगा। इनके साथ कर्नाटक के महावत भी यहां आए हैं, जो मप्र के महावतों को इन हाथियों की देखरेख के लिए उन्हें प्रशिक्षित करेंगे।

 

 

29 नवंबर को रवाना हो गई थी टीम
कर्नाटक के हाथियों का यह काफिला 29 नवंबर को मध्यप्रदेश आने के लिए रवाना हो गया था। दोपहर 2 बजे शुरू हुई हाथियों की यह यात्रा 1600 किमी लंबी रही। जिसे काफिले ने 62 घंटे में पूरा किया। जबकि हाथियों को लाने को लेकर एसटीआर की टीम पिछले एक महीने से जुटी थी। 32 सदस्यीय टीम चार हाथियों को चार ट्रक में लेकर यहां पहुंची है। ट्रकों के आगे-पीछे एसटीआर, लोकल फॉरेस्ट और पुलिस द्वारा पॉयलेटिंग की गई। रास्ते में जंगल और नेशनल पार्क कोर एरिया पर जगह-जगह हाथियों को रात में ठहरने की व्यवस्था की गई थी। टीम नर्मदापुरम आने तक हाथियों की लोकेशन साझा करती रही। जिसे विभाग ने रिकॉर्ड में दर्ज किया है। मैसूर, बेंगलूरु, नागपुर होते हुए यह काफिला सतपुड़ा टाइगर रिजर्व पहुंच चुका है। इस दौरान चार गाडिय़ों में सुरक्षा व्यवस्था के साथ डॉक्टरों की टीम मौजूद थी, जो लगातार हाथियों की मॉनीटरिंग कर रही थी। इस दौरान हाथियों की सेहत का पूरा-पूरा खयाल रखा गया। उन्हें भोजन में नारियल, गन्ना चावल, खरबूजा भी खाने को दिए गए।

अब आजनढ़ाना कैंप में होगी ट्रेनिंग
मैसूर के जंगल और मध्य प्रदेश के जंगल अलग तरह के हैं। यहां गश्त व्यवस्था और सैलानियों को सफारी कराने का तरीका भी बिल्कुल अलग है। इसलिए नए मेहमानों को सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के पुराने हाथियों के साथ ट्रेनिंग दी जाएगी। ट्रेनिंग समाप्त होने के बाद हाथियों को उपयोग में लिया जाएगा। मैसूर से आए चारों हाथी एसटीआर के डॉक्टर की निगरानी में रहेंगे। यहां पर हाथियों के खानपान के साथ उनके व्यवहार को समझेंगे।

इन एशियाई हाथी का वजन 5 हजार किलो तक
कर्नाटक के मैसूर के नागरहोल टाइगर रिजर्व में एशियाई हाथी पाए जाते हैं। इन हाथियों की कई विशेषताएं हैं। घने जंगल में वन्यप्राणियों की सुरक्षा के लिए यह उपयुक्त रहते हैं। एशियाई हाथी रात में ज्यादा सक्रिय होते हैं। 150 किलो सामग्री खा सकते हैं। इनके कान बड़े होते हैं। वजन 3 से 5 हजार किलो तक होता है। हाथी एक दिन में 200 लीटर तक पानी पी लेते हैं। इसलिए पानी की लिए दूर तक बार-बार नहीं जाते हैं। पर्यटकों को सैर कराने, बाघों के रेस्क्यू एवं रात में पेट्रोलिंग हाथियों से की जाती है। एसटीआर में हाथी महोत्सव के दौरान 7 दिन तक विशेष पकवान खिलाए जाते हैं। मेडिकल परीक्षण भी कराया जाता है।

https://www.dailymotion.com/embed/video/x8fytxc

लक्ष्मी और सिद्धनाथ कर रहे हैं चीतों की निगरानी
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में वर्तमान में केवल 6 हाथी हैं। सबसे छोटा हाथी विक्रम है। सबसे बुजुर्ग हथिनी अजुंगम है। एसटीआर में 4 हाथी एक ही परिवार के सदस्य हैं। प्रिया और सिद्धनाथ का बेटा विक्रम और बेटी लक्ष्मी है। लक्ष्मी और सिद्धनाथ कूनो में अफ्रीकन चीतों की निगरानी कर रहे हैं।

फिलहाल खाएंगे अपनी पसंद का कर्नाटकी भोजन
जानकारी के मुताबिक हाथियों को फिलहाल पचास फीट के बाड़े में रखा जाएगा। इसके बाद कर्नाटक से आए महावत हाथियों को सतपुड़ा के जंगलों से रू-ब-रू कराएंगे। पहले दौर में हाथी मध्य प्रदेश का भोजन नहीं कर पाएंगे। इसलिए जो भोजन वे करते रहे हैं, उन्हें वही दिया जाएगा। टीम अपने साथ कर्नाटक से चावल भी ला रही है। बताया जाता है कि वहां कोई विशेष प्रकार का चावल होता है। इसलिए पहले हाथियों को वही दिया जाएगा। इसके साथ ही उन्हें मध्य प्रदेश में हाथियों को पसंद आने वाला भोजन दिया जाएगा।

asian elephant in hoshangabad-satpura tiger reserve century

हाथियों के साथ जो महावत रहते थे, उन्हें ही लाया गया है। यहां के महावतों के साथ हाथी इतनी जल्दी घुल-मिल नहीं पाएंगे। इसलिए महावत भी साथ आए हैं। हाथी जो खाते आए हैं पहले उसी तरह का भोजन उन्हें दिया जाएगा।
संदीप फैलोस, डीडीए सतपुड़ा टाइगर रिजर्व, नर्मदापुरम।

Home / Narmadapuram / नर्मदापुरम का इंतजार खत्म, सतपुड़ा टाइगर रिवर्ज पहुंच गए कर्नाटक के गजा, पूजा, मारिशा और कृष्णा

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो