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आदिमानव यहां बनाते थे ‘हथियार’

20 हजार साल पुराने शैलचित्र हो रहे धुंधले

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आदिमानव यहां बनाते थे ‘हथियार’

आदिमानव यहां बनाते थे ‘हथियार’

नर्मदापुरम
देशभर में शैलचित्रों के लिए मशहूर नर्मदापुरम की आदमगढ़ पहाडिय़ों का सौंदर्य देखने हर साल हजारों पर्यटक देश भर से आते हैं। आदमगढ़ पहाडिय़ां के 18 शेल्टरों (शैलाश्रय) में शैल चित्र बने हुए हैं। इनमें से ज्यादातर लोगों की पहुंच में होने से अब ये धुंधले होते जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि यहां आदिमानवों के बनाए पाषाण उपकरण भी पहले खुदाई के दौरान मिल चुके हैं। यहां आदिमानव वन्यजीवों का शिकार करने के लिए पत्थरों से हथियार बनाते थे। जिसके प्रमाण भी मिल चुके हैं। अब भी यहां हथियार बनाने वाले पत्थर लोगों को मिलते हैं।

प्राकृतिक रंगों से बनाए गए हैं ये चित्र-
नर्मदापुरम की आदमगढ़ पहाड़ी लगभग 4 किमी क्षेत्र में फैले हैं। इनमें बने शैलाश्रयों में पशु जैसे वृषभ, गज, अश्व, सिंह, गाय, जिराफ, हिरण आदि योद्धा, मानवकृतियां, नर्तक, वादकों के चित्र नजर आते हैं। इन चित्रों को खनिज रंग जैसे हेमेटाइट, चूना, गेरू आदि में प्राकृतिक गोंद, पशु चर्बी के साथ पेड़ों के कोमल रेशों अथवा जानवरों के बालों से बनी कूची की सहायता से बनाए गए हैं।

20 हजार साल पुराने शैलचित्र-
इतिहासकारों के मुताबिक यहां मौजूद आदमगढ़ पहाड़ी पर शैलचित्र 20 हजार वर्ष पुराने हैं। प्रागैतिहासिक मनुष्य के रहने का पहला घर पहाडिय़ा रहा है। इन शैलचित्रों में मानव की दैनिक दिनचर्या जैसे शिकार, घुड़सवारी, नृत्य आदि से संबंधित चित्र मौजूद हैं। चित्रों के माध्यम से स्पष्ट है कि इस दौर में मनुष्य ने समूह में रहना शुरू कर दिया था।

यहां हुआ डिजिटलीकरण-
यहां आने वाले पर्यटकों ऑनलाइन भुगतान करके टिकट लेकर यात्रा कर सकते हैं। कोरोना संक्रमण के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने टिकट जारी करने डिजिटलीकरण कर दिया है। पहाडिय़ा के केयर टेकर संजय कुमार ने बताया कि यहां आने वाले पर्यटकों को अब डिजिटल तरीके से भुगतान करके टिकट दिया जा रहा है। कैश काउंटर पूरी तरह बंद कर दिया गया है।

सात एकड़ में बनेगा पुरातत्व पार्क-
पहाडिय़ा के पास संभाग का पहला पुरातत्व पार्क बनेगा। पार्क बनाने के लिए शासन ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को 7 एकड़ जमीन दे चुकी है। पार्क में पर्यटकों की सुविधाओं के अलावा एतिहासिक धरोहर बन चुकी प्रतिमाएं भी रखी जाएंगी। जमीन पहाडिय़ा पास राधास्वामी सत्संग व्यास परिसर के पीछे मिली है।

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