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गूगल में भी ढूंढने पर न मिले, ऐसी नायाब और प्राचीन किताबों का मिला खजाना!

MP News: मध्यप्रदेश के एक कॉलेज में दशकों बाद बंद अलमारियों से 20 हजार से ज्यादा बहुमूल्य किताबें मिलीं। अब विद्यार्थी चाणक्य का अर्थशास्त्र सहित दुर्लभ ग्रंथ और जर्नल पढ़ सकेंगे।

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rare books Government Narmada College library narmadapuram mp news

rare books Government Narmada College library narmadapuram (फोटो-सोशल मीडिया)

MP News: नर्मदापुरम स्थित प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस शासकीय नर्मदा कॉलेज (Government Narmada College) की लाइब्रेरी में मौजूद अति दुर्लभ और बहु मूल्य पुस्तकें अब विद्यार्थी आसानी से पढ़ सकेंगे। सुविधा के लिए लाइब्रेरी में सभी किताबों को अलग-अलग नंबर दिया गया है। लाइब्रेरी में किताबों के लिए अलग से व्यवस्था की गई है। इसके लिए 10 नई अलमारी आएंगी। पुरानी लाइब्रेरी में सांस्कृतिक भवन के अंदर बंद 3 कक्षों में पुरानी किताबों को कीड़े खा रहे थे।

करीब 20 साल से कमरों में बंद किताबें मिली जो बह मूल्य होने के साथ ही दुर्लभ हैं। कुछ किताबें ऐसी है जिनके फॉर्मूले गूगल में भी ढूंढ़ने पर नहीं मिलेगी। इसके बाद भी कॉलेज प्रबंधन द्वारा सालों से अनदेखा किया गया। इससे विद्यार्थियों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है। वहीं किताबों के रखरखाव के अभाव में कई खराब तक हो चुकी हैं।

कॉलेज के कमरों में मिला किताबों का खजाना

साफ-सफाई, रंग रोगन और उचित व्यवस्था के उद्देश्य से कमरों का सालों बाद ताला खुला तो इसमें पेटियों और अलमारियों में बड़ी संख्या में किताबें दिखी। इन किताबों में दीमक और कीड़े लगे हुए हैं। कचरे के ढेर की तरह ठसाठस सालों से बंद लगभग 20 हजार से ज्यादा पुस्तकें मिली। जिनकी कीमत लाखों में आंकी जा सकती है। इनमें कई पत्रिकाएं, संदर्भ पुस्तकें, शोध पुस्तकें को साथ विभिन्न मासिक पत्रिकाएं और साहित्य की दुर्लभकृक्तियां सम्मिलित हैं। 1958 की ए आईआर की बहुमूल्य प्रतियां भी प्राप्त हुई है जो बेशकीमती हैं। इनके कोई भी रिकॉर्ड या दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं।

कुछ ऐसी किताबे जो गूगल में भी नहीं

प्राचार्य डॉ. आरके चौकसे ने बताया कि विद्यार्थियों के लिए इन कक्षों को खुलवाया गया। जहां किताबों की दुर्दशा हो रही थी। इन किताबों में चाणक्य का अर्थशास्त्र (Chanakya Arthshastra) कहीं उपलब्ध नहीं होने के कारण अभी तक मुझे भी पढ़ने को नहीं मिली। इसके साथ ही साल 1958 का कॉमर्स के जर्नल में ऐसी सामग्री है जो गूगल में भी नहीं है। कुछ किताबें बिल्कुल खराब हो चुकी हैं। जो थोड़ी बहुत अच्छी है उन्हें साफ कर कीटनाशक पाउडर लगाकर सुरक्षित रखा जा रहा है।

प्रमुख किताबें

ईस्टर्न इकोनॉमिस्ट एनुअल नंबर 1966, व्हिच कैम एग और हेन, स्टेट पॉलिटिक्स इन इंडिया, कॉलेज जूलॉजी, ईटस्न इकोनोमिक, इंडियन जर्नल ऑफ केमिस्ट्री, चाणक्य का अर्थशास्त्र, साल 1958 का कॉमर्स के जर्नल आदि कई बहुमूल्य किताबें हैं।