
शिवराज बोले- पत्नी साधना सिंह को समझाया पर वो नहीं मानी, 1365 सीढ़ियां चढ़कर पहुंच गई शिव मंदिर
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की धर्मपत्नी साधना सिंह सोमवार को पंचमढ़ी के सबसे ऊंचे पहाड़ चौड़ागढ़ पर स्थित शिव मंदिर में भगवान भोलेनाथ के मंदिर गई थीं। यहां साधना सिंह ने मंदिर की 1365 सीढ़िया पैदल चढ़कर भोले बाबा के मंदिर में त्रिशूल भी चढ़ाया। ऐसी मान्यता है कि, किसी मान्यता के पूरा होने पर भक्त को पैदल पहाड़ पर स्थित मंदिर पर चढ़कर भोलानाथ के दरबार में त्रिशूल चढ़ाना होता है।
बताया जा रहा है कि, सीएम शिवराज ने पत्नी साधना सिंह भी अपनी मान्यता के पूर्ण होने पर पैदल 1365 सीढ़ियां चढ़कर जाने लगीं। इसी बीच जब ये जानकारी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लगी तो उन्होंने पत्नी से इतनी ऊपर पैदल चढ़ने को मना किया। लेकिन साधना सिंह ने इसपर उन्हें जवाब दिया कि, भोलेबाबा हमें शक्ति देते हैं तो फिर उनके दर पर जाने में तकलीफ कैसी ?
आपको बता दें कि, मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले में स्थित पंचमढ़ी के चौड़ागढ़ में स्थित शिव मंदिर में सोमवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पत्नी किसी मान्यता के पूर्ण होने पर भोले बाबा को त्रिशूल चढ़ाने पहुंचीं। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए पहाड़ी पर 1365 सीढ़िया बनी हुई हैं। जब साधना सिंह मंदिर पहुंची तो शिवराज सिंह दिल्ली में थे। जैसे ही शिवराज को दिल्ली में पता चला कि, साधना चौड़ागढ़ पहाड़ पैदल जा रही हैं तो उन्होंने तुरंत ही पत्नी को फोन किया और समझाया कि, पहाड़ की 1365 सीढ़ियां चढ़ने में परेशानी होगी और पैरों में दर्द भी होने लगेगा, लेकिन साधना सिंह नहीं मानी। साधना सिंह ने पति को जवाब दिया कि, भागवान की भक्ति में शक्ति है, उन्हें भगवान ने शक्ति दी है। ये कहकर साधना सिंह पूरा पहाड़ चढ़कर मंदिर पहुंच गई और भोलेबाबा को त्रिशूल चढ़ाया।
आपको बता दें कि, दिल्ली से लौटने के बाद ये किस्सा खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक कार्यक्रम में सुनाया।
चौड़ागढ़ मंदिर का महत्व
पंचमढ़ी के सबसे ऊंचे शिखर पर स्थित चौड़ागढ़ की चोटी पर भगवान भोलेनाथ का प्रसिद्ध मंदिर है। ऐसी मान्यता है कि, यहां श्रद्धा और भक्ति के साथ मांगी जाने वाली हर मनोकामना पूरी होती है। लगभग 28 वर्ष पहले इस मंदिर में भगवान शिव की प्रतिमा को किसी व्यक्ति ने खंडित कर दिया था। तब कांग्रेस नेता कमलनाथ ने इस मंदिर के लिए नई प्रतिमा बनवाई थी और शंकराचार्य स्वरूपानन्द सरस्वती महाराज से इस प्रतिमा की प्राण - प्रतिष्ठा कराई गई थी।
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Published on:
27 Dec 2022 08:26 pm
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