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मोरंड-गंजाल बांध परियोजना को लेकर आदिवासी आक्रोशित, 4 लाख से ज्यादा पेड़ों की कटाई का विरोध

Morand-Ganjal dam project: मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम में नर्मदा की सहायक नदी मोरंड और गंजाल पर प्रस्तावित बांध निर्माण को लेकर स्थानीय आदिवासी समाज में गुस्सा है।

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Tribals angry over Morand-Ganjal dam project in narmadapuram mp

Morand-Ganjal dam project: मध्यप्रदेश में नर्मदा की सहायक नदियों मोरंड और गंजाल पर प्रस्तावित बांध निर्माण के लिए जंगलों की बलि चढ़ने वाली है। इस परियोजना के चलते 2250 हेक्टेयर जंगल क्षेत्र में चार लाख से ज्यादा पेड़ों की कटाई होने का अनुमान है। नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (NVDA) द्वारा पेड़ों की गिनती की जा रही है, जिसमें अब तक 1650 हेक्टेयर में तीन लाख पेड़ों को चिह्नित किया जा चुका है।

आदिवासी कर रहे विरोध, टीम को जंगल में प्रवेश से रोकने की कोशिश

बचा हुआ 650 हेक्टेयर क्षेत्र ऐसा है, जहां आदिवासी समुदायों के विरोध के चलते पेड़ों की गिनती संभव नहीं हो सकी है। आदिवासी समूह जंगल की कटाई के खिलाफ खड़े हो गए हैं और सर्वेक्षण दल को जंगल में प्रवेश करने से रोक रहे हैं। NVDA के अधिकारी ग्रामीणों से संवाद स्थापित करने और उन्हें परियोजना के लाभ समझाने की कोशिश कर रहे हैं।

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वन विभाग से मांगी गई अनुमति

परियोजना के तहत सिवनी मालवा (नर्मदापुरम) के मोरघाट और हरदा जिले के जवारधा में मोरंड और गंजाल नदी पर बांध बनाए जाएंगे। इस 2166 करोड़ की सिंचाई परियोजना से हरदा, खंडवा और नर्मदापुरम के 64 हजार हेक्टेयर भूमि पर सिंचाई सुविधा मिलेगी। पेड़ों की कटाई के लिए वन विभाग से अनुमति मांगी गई है, जिसे मिलते ही कटाई की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।

कहां कितनी जंगल भूमि आएगी प्रभावित?

नर्मदापुरम -1215.42
हरदा-809.9
बैतूल पश्चिम- 34.35
बैतूल उत्तर-188.89
खंडवा-2.19

परियोजना के लाभ बनाम पर्यावरणीय खतरे

मोरंड-गंजाल परियोजना से 199 गांवों की 64 हजार हेक्टेयर भूमि को सिंचाई का लाभ मिलेगा, लेकिन पर्यावरणविदों और स्थानीय समुदायों की चिंता इस जंगल के विनाश को लेकर बढ़ गई है। चार लाख से ज्यादा पेड़ों की कटाई से इलाके की जलवायु और जैव विविधता पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।