नरसिंहपुरPublished: Nov 09, 2022 11:25:02 pm
Sanjay Tiwari
चिंकी बोरास बैराज परियोजना का मामला, जनसुनवाई में विरोध कर रहे ग्रामीणों से अधिकारियों ने कहा
‘बैराज का बनना तय है, आपत्तियां दर्ज कराएं तो करेंगे उचित निराकरण’
नरसिंहपुर. रायसेन एवं नरसिंहपुर जिले की चिंकी बोरास बैराज संयुक्त बहुउद्देशीय माइक्रो सिंचाई परियोजना की पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए राज्य स्तरीय विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति द्वारा लोक सुनवाई शिविर का आयोजन बुधवार दोपहर 12 बजे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मूर्ति स्थल किला केरपानी में किया गया। परियोजना का विरोध कर रहे करीब 20 गांवों के सैकड़ों ग्रामीण सुनवाई में शामिल हुए और अपना पक्ष रखते हुए बांध बनाने का विरोध किया। वहीं जनसुनवाई करने आए अधिकारियों ने कहा कि जिसे बांध कहा जा रहा है वह बैराज है और उसे बनाया ही जाएगा तय है। अत: इसका विरोध करने की बजाय अन्य विषयों पर अपनी आपत्तियां दर्ज कराएं, जिनका उचित निराकरण किया जाएगा।
ग्रामीणों ने कहा बांध बनाने से डूबेंगे कई गांव खेती होगी नष्ट
जन सुनवाई में ग्रामीणों ने परियोजना को लेकर जबरदस्त विरोध जताया। करीब एक साल से इस परियोजना के विरोध में मुहिम चला रहे किसान नेता बाबूलाल पटेल ने किसानों की ओर से उनका पक्ष रखते हुए लिखित आपत्ति दर्ज कराई व कहा कि चिनकी से 8 किमी नीचे पिपरहा में छोटे भेड़ाघाट में करीब 83 फीट ऊंचाई का बांध बनाने यहां के करीब 20-21 गांव पानी में डूब जाएंगे। सरकार ने इनके विस्थापन की कोई योजना नहीं बनाई है। बांध बनने पर गांवों की कृषि भूमि डूब जाएगी और किसानों की आजीविका छिन जाएगी। बरगी के गेट खोलने पर अभी केरपानी में पानी भर जाता है और बांध बनने के बाद उसके 17 गेटों से पानी छोडऩे पर हालात भयावह होंगे। केरपानी, समनापुर, बमोरी, करहिया, रम्पुरा सहित कई गांवों के किसानों की जमीन चली जाएगी। बाबूलाल पटेल के अलावा समनापुर के रमेश पटेल, बमोरी के छोटेलाल रमपुरा के मुकेश पटेल सहित कई अन्य किसानों ने मौखिक रूप से अपनी आपत्तियां दर्ज कराईं ।
इन अधिकारियों ने की सुनवाई
जन सुनवाई में जिला प्रशासन की ओर से अपर कलेक्टर एवं अपर जिला दण्डाधिकारी दीपक कुमार वैद्य ने एवं आलोक कुमार जैन क्षेत्रीय अधिकारी, मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जबलपुर, कार्यपालन यंत्री अंकुर शमर ने प्रस्तावित परियोजना के संबंध में विस्तृत जानकारी दी एवं पीपीटी के माध्यम से जानकारियों का प्रदर्शन किया गया।
उन्होंने बताया कि परियोजना के कुल 5 स्थानों पर पम्प हाउसों का निर्माण करवाकर दाब युक्त सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली द्वारा भूमिगत पाईपों का जाल बिछाकर 396 ग्रामों में सिंचाई सुविधा विकसित की जाएगी। सिंचाई की इस उन्नत तकनीक से प्रति 2.5 हेक्टयर के क्षेत्रफल मे आउटलेट का प्रावधान है। परियोजना का कार्य दिसंबर 2027 मे पूर्ण हो जाएगा।
जनसुनवाई में आए किसानों ने परियोजना को लेकर खास विरोध दर्ज नहीं कराया। जमीन अधिग्रहण, मुआवजा, बांध बनने से होने वाले नुकसान, फायदों को लेकर अपनी शंकाएं व्यक्त कीं। जिनका उचित समाधान किया गया। परियोजना को लेकर उनकी भ्रांतियां दूर की गईं।
दीपक वैद्य, एडीएम