
प्रधानमंत्री उज्जवला योजना में बदइंतेजामी, अब भी जंगल से लकड़ी लाकर खाना बनाने को मजबूर महिलाएं
नरसिंहपुर/ केन्द्र सरकार की गरीब परिवारों के लिए प्रभावी योजना कही जाने वाली प्रधानमंत्री उज्जवला योजना को लेकर भले ही सरकार द्वारा लोगों को चूल्हे के धुएं से मुक्ति दिलाने के लाखवादे किये जाते हैं, लेकिन नरसिंहपुर जिले का गोटेगांव इस योजना की कुछ और ही हकीकत बयान करता है। योजना के माध्यम से यहां 20 हजार गैंस सिलेंडरों का वितरण किया जा चुका है, ताकि वो अपने घरों में धुएं से बचते हुए खाना बना सकें। उन्हें खाना बनाते समय धुएं और आग के कारण किसी तरह की पेशानी न हो। हालांकि, जमीनी हीकत ये भी है कि, आज भी जिले में कई परिवार ऐसे हैं, जो सुबह उठते ही इस फिक्र के साथ हैं, कि उन्हें जंगल जाकर वहां से सूखी लकड़ी बीनकर लाना है, ताकि वो अपने घर का चूल्हा जला सकें।
जंगल से लकड़ी सर पर लादकर लाने को मजबूर ग्रामीण
गोटेगांव के जंगलों से भोजन बनाने के लिए सिर पर लकड़ी लादकर लाने वालों की संख्या उज्जवला योजना होने के बावजूद काफी ज्यादा है। पूछे जाने पर इन महिलाओं का कहना है कि, अगर वो जंगल से लकड़ी लेकर नहीं जाएंगी तो उनके घर का चूल्हा कैसे जलेगा। ग्रामीणों के मुताबिक, बस्ती के आसपास कहीं भी भोजन पकाने के हिसाब की लकड़ी नहीं बची है। वहीं, कुछ महिलाओं का कहना है कि, उज्जवला योजना के तहत अभी तक उन्हें किसी भी प्रकार की गैस टंकी नहीं मिली है। उनका कहना है कि, जिन परिवारों के पास गैस सिलेंडर है वो एक बार टंकी लेने के बाद उसे दौबारा भरवा पाने में भी सक्षम नहीं हैं। मजबूरन उन्हें भी जंगल से लकड़ी लाकर ही घर में चूल्हां जलाना पड़ रहा है।
ये कहती है एजेंसी
जानकारी के अनुसार, गोटेगांव की विभिन्न गैस एजेंसियों के माध्यम से लगभग 20 हजार परिवारों के पास उज्जवला योजना के तहत गैस कनेक्शन है। एक बार टंकी ले जाने के बाद ई परिवार तो दोबारा रीफिलिंग के आए ही नहीं है। अभी तक लोगों को जितने कनेक्शन सरकार द्वारा बांटे गए हैं उनमें से 30 फीसदी भी रीफिलिंग के लिए नहीं आ पाए हैं।हालांकि, इन लोगों के पास बड़ी के साथ साथ छोटी टंकी भी मौजूद है।
Published on:
09 Feb 2020 04:11 pm
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