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घर बैठे अपडेट होगा Aadhaar! UIDAI क्यूआर कोड आधारित ऐप लाने की तैयारी में

Aadhaar Update: आधार कार्ड अपडेट कराने के लिए अब बार-बार आधार सेंटर जाने की जरूरत नहीं होगी। इसके लिए यूआईडीएआई एक नया क्यूआर कोड आधारित मोबाइल ऐप लाने की तैयारी में है।

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आधार कार्ड अपडेट (प्रतीकात्मक फोटो)

Aadhaar Card Update: आधार कार्ड अपडेट कराने के लिए अब बार-बार आधार सेंटर जाने की जरूरत नहीं होगी। यूआईडीएआई एक नया क्यूआर कोड आधारित मोबाइल ऐप लाने की तैयारी में है, जिसके जरिए घर बैठे ही आधार कार्ड अपडेट किया जा सकेगा। ऐप के जरिए पता, मोबाइल नंबर, नाम और जन्म तिथि में बदलाव किया जा सकेगा। यानी जल्द ही घर बैठे फिंगरप्रिंट और आइरिस देने के अलावा बाकी सारे काम ऐप से कर सकेंगे। नवंबर 2025 तक यह सुविधा शुरू हो सकती है।

अन्य दस्तावेज भी सिस्टम से जुड़ेंगे

यह सिस्टम जन्म प्रमाण पत्र, मैट्रिक सर्टिफिकेट, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट, पैन, पीडीएस और मनरेगा जैसे डेटाबेस से पता और दूसरी जानकारी हासिल करेगा। इससे न केवल दस्तावेजों की जांच आसान होगी, बल्कि जाली दस्तावेजों के इस्तेमाल पर भी रोक लगाने में मदद मिलेगी। बिजली बिल को भी इस सिस्टम से जोडऩे की तैयारी चल रही है।

फोटोकॉपी देने की जरूरत नहीं होगी

इसके साथ ही क्यूआर कोड आधारित नया ऐप मोबाइल-से-मोबाइल या ऐप-से-ऐप पर आधार की पूरी या संक्षेप जानकारी भेजने की सुविधा देगा। इसका उपयोग कई उद्देश्यों के लिए किया जाएगा। जैसे- होटलों में रुकने, मोबाइल सिम लेने या ट्रेन यात्रा के दौरान सत्यापन के लिए इस ऐप का इस्तेमाल हो सकेगा। लोगों को इसके लिए आधार की फोटोकॉपी देने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

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बिना अनुमति डिटेल शेयर नहीं होगा

नए ऐप को आधार के दुरुपयोग को रोकने के लिए अहम माना जा रहा है। यह ऐप आधार धारक को अपने डेटा पर अधिकतम नियंत्रण की अनुमति देगा और केवल उसकी सहमति से ही उसका आधार विवरण साझा किया जा सकेगा। इसका इस्तेमाल सब-रजिस्ट्रार और रजिस्ट्रार की ओर से संपत्ति के रजिस्ट्रेशन के समय भी कर सकते हैं।

बच्चों का ब्योरा भी होगा अपडेट

इसके अलावा यूआईडीएआई इस ऐप के माध्यम से बच्चों के बायोमेट्रिक अपडेट के लिए सीबीएसइ और अन्य शिक्षा बोर्ड के साथ बातचीत कर रहा है। 5 से 7 साल और फिर 15 से 17 साल की उम्र में बच्चों का बायोमेट्रिक डेटा अपडेट करना जरूरी होता है। इसके लिए प्राधिकरण ने एक विशेष योजना तैयार की है, ताकि करीब 18 करोड़ बच्चों का बायोमेट्रिक डेटा अपडेट किया जा सके।